
सिवनी जिले की पहचान सुगंधित जीराशंकर चावल को सरकार की महत्वाकांक्षी 'एक जिला एक उत्पाद' परियोजना के लिए चुना गया है. जिले में पारंपरिक रूप से उत्पादित जीराशंकर चावल अपने अनूठे स्वाद, सुगंध और कोमलता के लिए प्रसिद्ध है. इसके दाने जीरे की तरह बहुत छोटे-छोटे होते हैं और पकने पर मुलायम, चमकदार और बेहद स्वादिष्ट हो जाते हैं. इन सभी गुणों के साथ-साथ जीराशंकर चावल की सुगंध हर किसी को आकर्षित करती है. आपको यह जानकार हैरानी होगी कि इस चावल को पकने में 10 मिनट से भी कम का समय लगता है.
जिले की पहचान बना जीराशंकर चावल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला प्रशासन 'एक जिला एक उत्पाद' के तहत किसान उत्पादक संगठन का गठन कर जिले के जीराशंकर चावल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास कर रहा है.
सिवनी जिले में उत्पादित सुगंधित, मीठा और मुलायम जीराशंकर चावल की पहचान पूरे मध्यप्रदेश में बीते कई सालों से बनी हुई है. इसकी सुगंध हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है. जिले के लगभग 12000 हेक्टेयर रकबे में जीराशंकर धान लगाई जाती है. जिले में सभी 8 विकासखंडों में जीराशंकर धान बोई जाती है. बरघाट के कांचना, मोहगांव, मंडी, जेवनारा, ताखला व कुरई विकासखंड के गोडेगांव, सुकतरा, मोहगांव सड़क में विशेष तौर पर जीराशंकर धान की खेती की जाती है.
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किसानों को अधिक लाभ दिलाने के लिए प्रत्येक ब्लाक स्तर पर जैविक जीराशंकर की खेती करने वाले किसानों के 8 नवीन एफपीओ गठित किए गए है, जो जीराशंकर चावल उत्पादित कर उसे बेचने का काम करेंगे. इसके लिए समूहों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इनमें अन्ना्पूर्णा कृषक उत्पादन संगठन, बलराम कृषक उत्पादक संगठन, ओम माँ फार्मर प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड उत्पादक संगठन, गंगा जी कृषक उत्पादक संगठन, हीरामणी कृषक उत्पादक संगठन,बंधानी सीताफल कृषक उत्पादक संगठन, जीराशंकर कृषक उत्पादक संगठन, मोगली कृषक उत्पादक संगठन शामिल है.
जीराशंकर धान का जीआइ टेग करने सिवनी जीराशंकर सहकारी समिति बरघाट का पंजीयन किया गया है. भौगोलिक संकेत क्षेत्र (जीआई टैग) में जीराशंकर उत्पादन के गुणवत्ता के निरीक्षण व निगरानी हेतु जिले में कलेक्टर द्वारा जिला स्तरीय दल गठित किया गया है इसके अतिरिक्त कलेक्टर द्वारा जीराशंकर धान का भौगोलिक संकेत क्षेत्र का पंजीयन कराने निर्देशक राष्ट्रीय पादप आनुंवशिक संसाधन ब्यूरो पूसा कैंपस नई दिल्ली को पत्र भेजा गया है. सिवनी जिले में पारंपरागत रूप से उगाई जाने वाली जीराशंकर धान का जीआई टैग कराकर इसे पूरे देश में पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.
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