सरकार के हालिया फैसले से देशभर के गन्ना किसानों और चीनी उद्योग में बेचैनी बढ़ गई है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) द्वारा नई इथेनॉल आवंटन नीति में गन्ना आधारित डिस्टिलरियों को केवल 28 फीसदी यानी 288.52 करोड़ लीटर कोटा देने और अनाज आधारित संयंत्रों को 72 फीसदी यानी 759.75 करोड़ लीटर आवंटित करने के निर्णय के बाद, निजी चीनी उद्योग संगठन इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने सरकार से 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति मांगी है.
ISMA ने चेतावनी दी है कि इस निर्णय के चलते चीनी मिलों की आय घट सकती है, जिससे गन्ना किसानों को भुगतान में देरी का खतरा बढ़ जाएगा. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, संगठन का कहना है कि सरकार ने ईथेनॉल सप्लाई वर्ष 2025-26 (जो नवंबर से शुरू होगा) के लिए 1,050 करोड़ लीटर का टेंडर जारी किया था. इसके जवाब में डिस्टिलरियों ने 1,776 करोड़ लीटर की पेशकश की थी, लेकिन 18 अक्टूबर को घोषित परिणाम में ओएमसी ने केवल 1,048 करोड़ लीटर खरीदने का फैसला किया.
वहीं, ISMA के अनुसार चीनी मिलों ने लगभग 472 करोड़ लीटर इथेनॉल गन्ना आधारित फीडस्टॉक से देने की पेशकश की थी, जो कुल जरूरत का करीब 45 फीसदी था. इसके बावजूद, सरकार ने सिर्फ 289 करोड़ लीटर का आवंटन किया, जो प्रस्तावित मात्रा का 61 फीसदी और उम्मीद से काफी कम है. यह मात्रा करीब 34 लाख टन चीनी के डायवर्जन के बराबर है, जबकि उद्योग की क्षमता 500 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन की है, जिससे लगभग 50 लाख टन चीनी डायवर्ट की जा सकती थी.
ISMA का कहना है कि यह सीमित आवंटन न केवल उद्योग के लिए झटका है, बल्कि इससे चीनी की अधिशेष आपूर्ति, घरेलू बाजार में कीमतों में गिरावट और मिलों की नकदी प्रवाह पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा. इसके चलते 5.5 करोड़ से अधिक गन्ना किसान प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि मिलें गन्ने की खरीद घटा सकती हैं और भुगतान में देरी कर सकती हैं.
संगठन ने अनुमान जताया है कि 2025-26 सीजन में देश की कुल चीनी उत्पादन 349 लाख टन तक पहुंच सकती है, जो पिछले वर्ष से 18 फीसदी अधिक है. वहीं, घरेलू खपत लगभग 284 लाख टन रहने का अनुमान है. ऐसे में 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति जल्द मिलने से उद्योग को संतुलन में मदद मिलेगी, तरलता बढ़ेगी और किसानों की आमदनी को सहारा मिलेगा.
इसके साथ ही इस्मा ने सरकार से ‘राष्ट्रीय एथनॉल मोबिलिटी रोडमैप 2030’ लाने की मांग की है, ताकि E-20 (20% एथनॉल मिश्रण) से आगे के लक्ष्य तय किए जा सकें. संगठन ने GST दरों में तर्कसंगतता, फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल्स (FFVs) और स्मार्ट हाइब्रिड वाहनों के लिए प्रोत्साहन की भी सिफारिश की है, जिससे स्वच्छ ईंधन और सतत उद्योग विकास को बढ़ावा मिले.
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