पंजाब में पराली जलाने के 308 मामले सामने आए, सबसे ज्यादा घटनाएं तरनतारन में

पंजाब में पराली जलाने के 308 मामले सामने आए, सबसे ज्यादा घटनाएं तरनतारन में

पंजाब में 15 सितंबर से अब तक पराली जलाने के 308 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा घटनाएं तरनतारन और अमृतसर जिलों में हुई हैं. जानें पूरी जानकारी और सरकार की कार्रवाई.

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पंजाब में पराली जलाने के 308 मामले सामने आए, सबसे ज्यादा घटनाएं तरनतारन मेंपराली की समस्या

15 सितंबर से 19 अक्टूबर 2025 के बीच पंजाब में 308 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं. यह जानकारी पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के आंकड़ों से मिली है. हर साल की तरह इस बार भी किसान धान की फसल के बाद बचे अवशेष यानी पराली को खेतों में आग लगाकर साफ कर रहे हैं, जिससे प्रदूषण की समस्या फिर बढ़ रही है.

तरनतारन और अमृतसर सबसे आगे

इन 308 मामलों में से तरनतारन जिले में सबसे ज्यादा 113 घटनाएं हुई हैं. इसके बाद अमृतसर में 104 मामलों की पुष्टि हुई है. यह दो जिले ही मिलकर लगभग 70% से ज्यादा मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.

अन्य जिलों की बात करें तो:

  • फिरोजपुर में 16 मामले
  • पटियाला में 15 मामले
  • गुरदासपुर में 7 मामले दर्ज हुए हैं.

पिछले सप्ताह में तेजी से बढ़े मामले

11 अक्टूबर को राज्य में पराली जलाने के 116 मामले थे. लेकिन एक ही हफ्ते में यह संख्या 308 तक पहुंच गई है. इससे साफ है कि पराली जलाने की घटनाओं में अचानक तेजी आई है.

किसानों पर जुर्माना और एफआईआर

सरकार ने पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्ती दिखाई है:

  • 132 मामलों में कुल ₹6.5 लाख से अधिक का जुर्माना लगाया गया है.
  • इसमें से ₹4.70 लाख की वसूली भी हो चुकी है.
  • 147 एफआईआर भी दर्ज की गई हैं, जिनमें से तरनतारन में 61 और अमृतसर में 37 एफआईआर शामिल हैं.
  • इन केसों में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 223 के तहत कार्रवाई की गई है, जो सरकारी आदेशों की अवहेलना से जुड़ी है.

पराली जलाना क्यों होता है?

धान की कटाई के बाद किसानों को जल्दी से जल्दी गेहूं की बुवाई (रबी सीजन) करनी होती है. समय कम होने की वजह से कई किसान खेतों की सफाई के लिए पराली जलाने का आसान रास्ता चुनते हैं. लेकिन यह तरीका पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है.

सरकार की कोशिशें

राज्य सरकार ने पराली जलाने से होने वाले नुकसान और फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों (Crop Residue Management Machinery) के फायदे को लेकर जागरूकता अभियान चलाया है. इसके बावजूद कई किसान अभी भी पराली जलाने की आदत छोड़ नहीं पाए हैं.

पिछले वर्षों की तुलना में सुधार

साल 2024 में अब तक 10,909 पराली जलाने के मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 2023 में यह संख्या 36,663 थी. यानी इस साल 70% की गिरावट दर्ज की गई है, जो एक सकारात्मक संकेत है.

पिछले सालों के आंकड़े इस प्रकार हैं:

  • 2022: 49,922
  • 2021: 71,304
  • 2020: 76,590
  • 2019: 55,210
  • 2018: 50,590

हालांकि पराली जलाने के मामलों में कुछ हद तक गिरावट आई है, लेकिन तरनतारन और अमृतसर जैसे जिलों में यह समस्या अब भी गंभीर बनी हुई है. सरकार, किसान और समाज को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा, ताकि पर्यावरण को नुकसान से बचाया जा सके और लोगों को शुद्ध हवा मिल सके.

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