Bihar Agriculture: राजमा की खेती बदल रही किसानों की जिंदगी, कम लागत में हो रहा बंपर मुनाफा 

Bihar Agriculture: राजमा की खेती बदल रही किसानों की जिंदगी, कम लागत में हो रहा बंपर मुनाफा 

पहले बलुई मिट्टी में पारंपरिक रूप से गेहूं, मक्का और धान जैसी फसलों की खेती होती थी. लेकिन कम उपज और घटते मुनाफे के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा था. विशेषज्ञों की सलाह और नए प्रयोगों के माध्यम से किसानों ने बलुआही जमीन में राजमा की खेती शुरू की. यह प्रयोग बेहद सफल रहा और अब किसानों को पहले की तुलना में बेहतर मुनाफा होने लगा है.

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Bihar Agriculture: राजमा की खेती बदल रही किसानों की जिंदगी, कम लागत में हो रहा बंपर मुनाफा बिहार में राजमा की खेती से मुनाफा कमा रहे किसान

बिहार की जिस बलुई मिट्टी को पहले कम उपजाऊ माना जाता था, वही अब यहां के किसानों की समृद्धि का जरिया बन गई है. बिहार के किसान इसी जमीन पर अब राजमा की बंपर खेती करके न सिर्फ अपनी जिंदगी बदल रहे हैं बल्कि परंपरागत खेती को भी एक नई दिशा दे रहे हैं. आपको बता दें कि मुख्य तौर पर बलुई मिट्टी आलू, मूंगफली, गाजर, मूली और शलजम की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है. इसके अलावा कई अन्य फसलें भी इसमें उगाई जा सकती है. राज्‍य में बदलते समय के साथ खेती भी बदलने लगी है. राजमा की खेती अब यहां के किसानों के लिए मुनाफे का एक बड़ा अवसर बन गई है. 

सफल हुआ एक प्रयोग 

पहले बलुई मिट्टी में पारंपरिक रूप से गेहूं, मक्का और धान जैसी फसलों की खेती होती थी. लेकिन कम उपज और घटते मुनाफे के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा था. विशेषज्ञों की सलाह और नए प्रयोगों के माध्यम से किसानों ने बलुआही जमीन में राजमा की खेती शुरू की. यह प्रयोग बेहद सफल रहा और अब किसानों को पहले की तुलना में बेहतर मुनाफा होने लगा है. राजमा की बढ़ती मांग और इसकी अच्छी उपज से किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं और परंपरागत खेती से हटकर नई संभावनाओं की ओर बढ़ रहे हैं. 

लोकप्रिय फसल बना राजमा 

मध्यम और उच्च गुणवत्ता वाली राजमा की किस्मों की खेती ने राज्य में इस फसल को लोकप्रिय बना दिया है.  राजमा न केवल खाने में स्वादिष्ट होता है बल्कि यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर है, जिसमें प्रोटीन, विटामिन और फाइबर प्रमुख हैं. राजमा की खेती में सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे कम जमीन में भी उगाया जा सकता है और फसल की लागत अपेक्षाकृत कम होती है. बिहार की मिट्टी और जलवायु राजमा की खेती के लिए बेहद अनुकूल हैं. 

इसके अलावा, किसान अब बेहतर बीज, उन्नत तकनीक और आधुनिक कृषि उपकरणों का इस्तेमाल कर उच्च गुणवत्ता वाली फसल उगा रहे हैं. राजमा की बढ़ती मांग को देखते हुए व्यापारी अब सीधे गांवों में पहुंचकर किसानों से अच्छी कीमत पर इसे खरीद रहे हैं. खुले बाजार में इसकी कीमत वर्तमान में 8,500 रुपये से 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है. 

सरकार ने शुरू की योजनाएं 

सरकार ने भी राजमा की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं शुरू की हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और राज्य सरकार की कृषि योजनाओं के तहत किसान बीज, खाद और उन्नत तकनीक पर सब्सिडी पा सकते हैं. इसके अलावा, राजमा की मार्केटिंग और मूल्य सुरक्षा के लिए मंडी और सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को समर्थन दिया जाता है. इन योजनाओं का उद्देश्य न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाना है बल्कि उन्हें कृषि व्यवसाय में आत्मनिर्भर बनाना भी है. 

बढ़ रही है किसानों की आमदनी 

राजमा की खेती में सरकार की स्कीमें किसानों को बीज खरीद, उर्वरक, सिंचाई उपकरण और मशीनरी पर आर्थिक मदद भी मुहैया कराती है. इससे किसान कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाली फसल उगा सकते हैं. इसके अलावा, प्रशिक्षण और टेक्निकल सपोर्ट भी उपलब्ध कराया जाता है ताकि किसान उन्नत कृषि तकनीकों का सही उपयोग कर सकें.  

इसके अलावा कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी किसानों को राजमा की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है. सॉइल टेस्टिंग, बीज वितरण, खेती के आधुनिक तरीकों पर प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं देकर किसानों को सफल खेती की ओर अग्रसर किया जा रहा है. इससे न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ रही है, बल्कि क्षेत्र में राजमा की खेती को नई पहचान भी मिल रही है. 

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