हरियाणा के किसानों को एक बार फिर उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल रहा है. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने आरोप लगाया है कि राज्य में धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दामों पर की जा रही है. उन्होंने इस पूरे मामले को "घोटाला" बताया है और सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है.
गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि हरियाणा की मंडियों में खरीद एजेंसियां सक्रिय नहीं हैं. पूरा सिस्टम चावल मिल मालिकों के हवाले कर दिया गया है. किसान से धान ₹300 प्रति क्विंटल कम में खरीदी जा रही है. नकद में पैसे लिए जाते हैं और कागज़ों में दिखाया जाता है कि MSP पर खरीद हुई है.
चढूनी ने ये भी कहा कि उत्तर प्रदेश से बड़ी मात्रा में धान और चावल हरियाणा की राइस मिलों में सीधे पहुंच रहा है. इससे न केवल राज्य के खजाने को नुकसान हो रहा है, बल्कि हरियाणा के किसानों को भी घाटा उठाना पड़ रहा है.
चढूनी ने मांग की है कि राज्य की सभी चावल मिलों में रखे गए धान का तत्काल सत्यापन होना चाहिए. यदि कहीं भी कम या ज्यादा मात्रा पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी और मिल मालिक पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया जाए. उन्होंने एक जांच टीम की मांग की है जिसमें किसान यूनियन के दो सदस्य या ईमानदार जांच अधिकारी को शामिल किया जाए.
उन्होंने आरोप लगाया कि "मेरी फसल, मेरा ब्यौरा" (MFMB) पोर्टल पर बड़ी संख्या में फर्जी रजिस्ट्रेशन हुए हैं. इसके बावजूद अब तक किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यही पोर्टल इस घोटाले की जड़ है.
चढूनी ने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री, विपक्षी नेताओं और जिले के अधिकारियों को खुला पत्र भेजा है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर स्थिति को जल्द नियंत्रित नहीं किया गया तो किसान मजबूर होकर कड़ा कदम उठाएंगे.
उन्होंने मुख्यमंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों से बैठक की मांग की है ताकि किसानों को उनका हक यानी MSP मिल सके. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री स्वयं इस बैठक में मौजूद रहें और इस गंभीर मुद्दे का हल निकालें.
यह मामला केवल किसानों के हक की बात नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की भी पोल खोलता है. यदि समय रहते जांच और कार्रवाई नहीं की गई, तो किसान आंदोलन का रास्ता अपना सकते हैं. सरकार को चाहिए कि वो इस मुद्दे को गंभीरता से ले और जल्द से जल्द किसानों को न्याय दिलाए.
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