देश में लोगों की खाने पीने की आदतों का पैटर्न बदल रहा है और कैसे किसान किस तरह से इसके साथ तालमेल बिठा रहे हैं, इसकी जानकारी सरकार की तरफ से आए आंकड़ों से मिलती है. केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की तरफ से जो आंकड़े जारी किए गए हैं उनसे पैटर्न में बदलाव के बारे में विस्तार से बताया गया है. इन आंकड़ों के अनुसार देश में स्ट्रॉबेरी और अनार जैसे फलों के अलावा परवल और मशरूम जैसी सब्जियों के सकल उत्पादन मूल्य (GVO) में पिछले एक दशक में सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है.
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, कृषि और इससे जुडे़ क्षेत्रों के GVO में मांस की हिस्सेदारी में पिछले 13 सालों में पांच फीसदी का इजाफा हुआ है. आंकड़ों के अनुसार साल 2011-12 की तुलना में 2023-24 में मीट या मांस की हिस्सेदारी 7.5 प्रतिशत हो गई है. जबकि उसी अवधि के दौरान अनाज की हिस्सेदारी 17.6 प्रतिशत से गिरकर 14.5 प्रतिशत हो गई.
सकल उत्पादन मूल्य, या GVO, उत्पादन का एक माप है जो प्रोडक्शन में प्रयोग किए जाने वाले इनपुट की कीमत को घटाने से पहले उत्पादित वस्तुओं की कुल कीमत के बारे में बताता है. 27 जून को आई मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2011-12 और 2023-24 के बीच स्ट्रॉबेरी के उत्पादन में 40 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है. यह बढ़कर 1.32 करोड़ रुपये के जीवीओ से 55.4 करोड़ रुपये (स्थिर मूल्यों पर) पहुंच गया है.
स्ट्रॉबेरी पर महंगाई का भी कोई असर नजर नहीं आता है. इसका उत्पादन करीब 80 गुना बढ़कर 103.27 करोड़ रुपये हो गया है. बाकी फलों और सब्जियों में, जिनके जीवीओ में तेजी से इजाफा हुआ है, वो कुछ इस तरह से हैं-
परवल करीब 17 गुना बढ़कर 789 करोड़ रुपये हो गया
कद्दू में करीब 10 गुना का इजाफा हुआ और यह 2,449 करोड़ रुपये हुआ
अनार में चार गुना का इजाफा और यह 9,231 करोड़ रुपये हुआ
मशरूम साढ़े तीन गुना बढ़कर 1,704 करोड़ रुपये पर पहुंचा
इस बीच, बेहतर प्रोसेसिंग ने मसालों और मसालों, खासतौर पर सूखी अदरक का उत्पादन बढ़ाने में मदद की है. सूखी अदरक का उत्पादन 285 फीसदी बढ़कर 11,004 करोड़ रुपये पर पहुंचा है. सकल उत्पादन मूल्य में वृद्धि दिखाने वाले दूसरे फलों में तरबूज (119 प्रतिशत), चेरी (99 प्रतिशत), केला और मोसंबी (दोनों 88 प्रतिशत) और खरबूजा (87 प्रतिशत) शामिल हैं.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today