पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांव खैरै के किसान अमृतपाल सिंह का अब तक कुछ पता नहीं चला है. वह कटीली तार के पार अपनी खेती करने के बाद घर वापस लौटने की जगह पाकिस्तान पहुंच गए हैं. 21 जून को अमृतपाल खेत पर तो गए लेकिन शाम तक घर नहीं लौटे. अब उनके परिवार को रो-रोकर बुरा हाल है. परिवार ने भारत सरकार से भी इस मामले में मदद मांगी है लेकिन अभी तक इस मामले में कोई डेवलपमेंट नहीं हुआ है.
ड्यूटी पर तैनात बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के जवानों को इसकी जानकारी तब लगी जब अमृतपाल के शाम को वापस घर नहीं लौटा और रजिस्टर में भी उसके साइन नहीं थे. उसी समय बीएसएफ की तरफ से परिवारवालों को इस बारे में जानकारी दी गई. बीएसएफ जवान और अधिकारी लगातार बीएसएफ के संपर्क में हैं और परिवार की हर मदद कर रहे हैं. बीएसएफ ने जब पाकिस्तान की तरफ तैनात रेंजर्स से संपर्क किया तो पहले तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया. लेकिन जब बीएसएफ के जवानों ने अमृतपाल सिंह के पैरों के निशान को पाक की ओर जाते देखा तो उन्होंने फिर पाक रेंजरो से राफता किया. तब इस बात की पुष्टि हुई कि अमृतपाल सिंह पाकिस्तान में है.
परिवार ने खासतौर पर महिलाओं ने रोते-रोते सरकार से और केंद्र सरकार से विशेष तौर पर अनुरोध करते हुए कहा कि उनके बेटे को पाकिस्तान से वापस लाया जाए. उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. बताया जाता है कि अमृतपाल सिंह पिछले 5-6 सालों से लगातार कंटीली तारों के पार खेती करने जाता था और शाम को घर वापस लौटता था. लेकिन इस बार पता नहीं कैसे और क्यों वह घर आने की जगह पाकिस्तान पहुंच गए. पिता ने केंद्र सरकार और पंजाब के भाजपा के प्रांतीय अध्यक्ष सुनील जाखड़ से विशेष तौर पर अनुरोध किया है. उन्होंने कहा है कि उनके बेटे को पाकिस्तान से वापस लाया जाए.
किसान अमृतपाल एक शादीशुदा शख्स हैं जिनकी तीन महीने की बेटी है. उनके पास भारतीय सीमा पर सीमा बाड़ के पार करीब 8.5 एकड़ कृषि भूमि है. उनके पिता जुगराज सिंह ने बताया कि अमृतपाल उस दोपहर अपनी बाइक से निकले थे, लेकिन शाम को वापस नहीं लौटे. बीएसएफ ने शाम ढलने से पहले उनकी तलाश में तलाशी गेट फिर से खोल दिया लेकिन वे नहीं मिले. गर्मियों के महीनों के दौरान, किसानों को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे के बीच बीएसएफ की सख्त निगरानी में कंटीले तारों की बाड़ और अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के बीच की जमीन तक पहुंचने की अनुमति दी जाती है. फाजिल्का, फिरोजपुर, गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर और तरनतारन सहित सीमावर्ती जिलों के कई किसानों की इस क्षेत्र में कृषि भूमि है, जिसे 'जीरो लाइन' के तौर पर जाना जाता है.
(सुरिंदर गोयल की रिपोर्ट)
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