Kisan dadi mohinder kaur intreviewपंजाब के बठिंडा में एक गांव है राइके खुर्द। इस गांव में एक घर है। इसमें आधा टूटा, आधा कच्चा और सिर्फ एक पक्का बना हुआ कमरा है। एक तरफ कुछ सब्जियां लगी हुईं हैं। एक तरफ पशुओं का चारा रखा हुआ है। एक खाट बिछी है उस पर बूढ़ी दादी बैठी हैं। उनकी खाट के आगे एक और खाट है उस पर 35-40 साल का एक शख्स लेटा हुआ है। एक कुर्सी पर एक बुजुर्ग बैठे हैं जो बूढ़ी दादी के पति हैं। तो घर में कुल जमा तीन लोग हैं। बूढ़ी दादी, उनके पति और एक बेटा। बेटी की बीवी यानी बहू की दो साल पहले बीमारी से मौत हो गई। बेटे को एक बीमारी है जिसकी वजह से वो अब तीन महीने से उठकर चल भी नहीं पा रहा। घर से दूर एक छोटा खेत भी है जहां धान-गेहूं लगाकर रोजी-रोटी का गुजारा हो जाता है।
हाल ही में शाम के करीब 4 बजे किसान तक की टीम इस घर में दाखिल हुई। ये घर है किसान आंदोलन से चर्चा में आईं दादी मोहिंदर कौर का। दादी मोहिंदर कौर अब ठीक से चल भी नहीं पाती हैं। चल लेती हैं तो बहुत देर खड़ी नहीं रह पाती हैं। फिर भी उनके घर का सारा काम वो खुद करती हैं। उनकी कच्ची-पक्की रसोई में आटा गूंदा हुआ रखा है। सब्जी बनी हुई है। और वो चाहती हैं कि हमें चाय भी बनाकर पिलाएं। बहुत मनाने के बाद मानती हैं कि चाय ना बनाई जाए बस वो हमसे बात करें। अपनी कहानी के बारे में। कंगना रनौत पर केस करने के बारे में।
उनसे मिलने जाने से पहले बहुत से ख्याल मन में थे...कैसे बात होगी...बात करेंगी क्या...इतनी वृद्ध महिला कहीं कुछ बुरा ना मान जाएं...मगर वो एक जिंदादिल और जज्बे से भरी हुई महिला हैं। हम उनसे मिलने पहुंचे थे 22 नवंबर को। 24 नवंबर को बठिंडा कोर्ट में उनके केस की सुनवाई होनी थी। इस सुनवाई में बॉलीवुड एक्ट्रेस और मंडी से सांसद कंगना रनौत को पेश होना था। उन पर चल रहे मानहानि मामले की सुनवाई थी, लेकिन कंगना कोर्ट में पेश नहीं हुईं। उनकी ओर से वकील ने पेशी से छूट की अर्जी देते हुए कहा कि सुरक्षा कारणों की वजह से वह नहीं आ सकीं। अदालत ने कंगना की गैर-हाजिरी के बावजूद केस की कार्यवाही आगे बढ़ाई और मानहानि मामले में उन पर आरोप तय कर दिए। अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगली सुनवाई में कंगना को आना होगा। अगली सुनवाई 4 दिसंबर को है।
कंगना रनौत कौन हैं ये बात दादी मोहिंदर कौन नहीं जानतीं। उनसे जब सवाल किया तो उनका साफ कहना था- कभी देखा नहीं उसे, लेकिन उसने किसानों के लिए गलत बोला है बहुत कुछ (देखी नईं कदे,पर गल्त-फल्त बोल गई किसानां नूं)। साल 2020 में शुरू हुए किसान आंदोलन की एक तस्वीर पोस्ट करके कंगना रनौत ने ट्वीट किया था। उस तस्वीर में दादी मोहिंदर कौर भी थीं। कंगना रनौत ने लिखा था- 'ये दादी 100-100 रुपये में आंदोलन में बैठने के लिए उपलब्ध हैं।' ट्वीट वायरल हुआ तो दादी मोहिंदर कौर को भी इसके बारे में पता चला और उन्हें ये बात बिलकुल नागवार गुजरी। बस इसके बाद उन्होंने वो किया जो करने की हिम्मत कई लोग नहीं कर पाते। उन्होंने बिना किसी डर और झिझक के बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत पर मानहानि का मुकदमा दर्ज कर दिया। आज इस मुकदमे को चलते हुए लगभग 5 साल होने जा रहे हैं।
5 साल में एक बार भी कंगना रनौत और दादी मोहिंदर कौर एक दूसरे से नहीं मिले। कंगना ने कोर्ट में जज के सामने जरूर माफी मांगी लेकिन दादी मोहिंदर कौर से नहीं मिलीं। मोहिंदर कौर कहती हैं, 'माफी मांगने का टाइम निकल गया। माफी मांगनी थी तो उसी वक्त मांगनी चाहिए थी। अब पांच साल से मैं चप्पले घिस रही हूं सर्दी-गर्मी बारिश हर मौसम में धक्के खा रही हूं कोर्ट के। अब नहीं रुकना, अब तो जब तक लड़ाई चलेगी लड़ूंगी आखिरी सांस तक (माफी मांगन दा टेम लंग गया। माफी ओसी वेले मंगनी सी, हुण माफी दा की, हुण ते मैं लड़ांगी)
किसान आंदोलन के बारे में कहती हैं कि किसान मजबूरी में आंदोलन करते हैं। दोबारा करेंगे तो भी जाएंगी। इस बात पर उनके झुर्रियों भरे चेहरे पर एक मुस्कान भी तैर जाती है। कहती हैं, बस इस बार उन्हें उठाकर ले जाना पड़ेगा क्योंकि अब ज्यादा चल नहीं पाती हैं और ज्यादा खड़ी भी नहीं हो पाती हैं। (इस वाली उठाके ले जाना पवउगा, हुणं इन्ना चल नहीं सकदी मैं) किसानों की हालत पर दादी ने कहा- बहुत दुखी होते हैं किसान आंदोलन करने में, कोई ठग या चोर नहीं हैं किसान, उनसे सही से बात करें, उनके बारे में गलत ना बोलें। दुखी होते हैं किसान' (ओखे हुए जांदे हैं किसाना, भाई कोई ठग-चोर नहीं हैं किसान,सही गल करो भाई, दुखी हुए जांदे ने)
पूरी बातचीत में दादी ने एक बार भी किसी तरह की मदद की या किसी सपोर्ट की बात नहीं कही। जबकि घर के हालात साफ बता रहे थे कि वह आर्थिक और पारिवारिक हर तरह से परेशान हैं, लेकिन उनकी आंखों में उम्मीद की जो रोशनी थी वो हर परेशानी को धूल चटा रही थी। वो जानती हैं कि बेटा चल नहीं पा रहा-पर कहती हैं- ठीक हो जाऊगा ऐ भी। पति को अस्थमा है, वो कहती हैं- चलदा पया है कम, इन्ने साल लंघ गे होर वक्त भी कट जाना सी। वो इंटरव्यू में बार-बार कहती रहीं-सब राजी-खुशी सी, रोटी चलदी पई सी। देश दा भला होवे, राजा दा भला होवे, परजा दा भला होवे। आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की ऐसी जाती-जागती तस्वीर को हम सलाम करते हैं। उम्मीद करते हैं कि कोर्ट केस से इतर कंगना रनौत भी इस मामले को इंसानियत के तराजू पर रखकर तोलें और दादी मोहिंदर कौर के घर जाकर एक बार उनसे मिलें और मिलकर माफी मांगे सिर्फ कैमरे के सामने या कोर्ट में जज के सामने नहीं।
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