सब्जियों की ऊंची कीमतों की वजह से अक्टूबर में खाद्य महंगाई दर 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. इसमें प्याज, टमाटर, आलू और हरी सब्जियों की अधिक कीमत वजह बनी है. दिल्ली एनसीआर के खुदरा बाजारों में प्याज की कीमत 75 रुपये प्रति किलो तक कीमत पर बिक रही है. जबकि, देश के कुछ हिस्सों में 100 रुपये प्रति किलो तक में प्याज बिक रही है. जानकारों का कहना है कि प्याज की ये ऊंची कीमत रिटेलर्स पर नियंत्रण नहीं करने की वजह से है. खुदरा व्यापार में ढिलाई के चलते प्याज की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं.
बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ (HPE) के अध्यक्ष अजीत शाह ने बिजनेसलाइन को बताया कि खुदरा विक्रेताओं के साथ हमेशा कीमतों को लेकर समस्या रहती है, क्योंकि उन पर कोई नियंत्रण नहीं होता. सरकार केवल थोक व्यापार को नियंत्रित करती है. इसका फायदा उठाकर खुदरा विक्रेता कीमतें बढ़ा देते हैं. वहीं, महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन के वरिष्ठ सलाहकार कृषि और एपीडा के बोर्ड सदस्य पराशराम पाटिल ने कहा कि खुदरा व्यापार पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. साथ ही कई शहरों में भंडारण सुविधाओं की कमी के चलते एजेंट व्यापार पर मोनोपॉली बना लेते हैं.
खुदरा दुकानों की तुलना में कृषि उपज विपणन समिति (APMS) यानी मंडियों के यार्ड में प्याज का मॉडल मूल्य महाराष्ट्र के नासिक जिले के लासलगांव में मंगलवार को एवरेज क्वालिटी के लिए 5,851 रुपये प्रति क्विंटल था. वहीं, दिल्ली एनसीआर में प्याज की कीमतें एक हफ्ते पहले 50-60 रुपये से बढ़कर 70-75 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं. दूसरी ओर केंद्र नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसी सहकारी समितियों के अलावा मदर डेयरी के सफल स्टोर के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं को 35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्याज बेच रहा है.
कृषि जिंस निर्यातक संघ (ACEA) के अध्यक्ष एम मदन प्रकाश ने कहा कि नासिक से चेन्नई तक प्याज पहुंचने में 48 घंटे लगते हैं. हालांकि, शहर में जो प्याज अभी बिक रहा है, वह पिछले सप्ताह खरीदा गया होगा. उन्होंने कहा कि देश के किसी भी हिस्से में प्याज पहुंचने में 10 रुपये प्रति किलोग्राम का अतिरिक्त खर्च आता है. उदाहरण के लिए अगर नासिक में प्याज 40 रुपये में खरीदा जाता है तो परिवहन और अन्य लागतों सहित इसकी कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकती है. व्यापारियों के लिए 10 रुपये प्रति किलोग्राम जोड़ना उचित होगा. लेकिन, खुदरा विक्रेता अधिक कीमत वसूल रहे हैं.
कई शहरों में वर्तमान में बिकने वाला प्याज रबी सीजन में काटी गई थी. उन्होंने कहा कि पिछले महीने महाराष्ट्र के उत्पादक क्षेत्रों में बारिश के कारण खरीफ सीजन की प्याज आवक में देरी होने से कीमतें बढ़ गई हैं. प्याज का कारोबार संगठित नहीं है, लेकिन खराब होने के नाम पर भारी प्रीमियम वसूल कर संगठित की तरह व्यवहार कर रहा है. एक्सपर्ट ने कहा कि नासिक जैसी जगहों पर खुदरा व्यापारियों का कोई प्रतिनिधि नहीं है. हमें नहीं पता कि एपीएमसी यार्ड में बिकने के बाद प्याज का लेनदेन कैसे होता है. कृषि बाजार टर्मिनलों पर बिक्री के बाद प्रत्येक स्तर पर पारदर्शिता की कमी है.
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