भारत इस बार G20 समिट की अध्यक्षता कर रहा है. इसमें 09-10 सितंबर को न्यू दिल्ली में 18वां सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. इसमें एक खास बात ये है कि मिलेट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है. तभी भोजन में मोटे अनाजों से व्यंजनों को परोसा जा रहा है. यहां तक कि राष्ट्राध्यक्ष और उनके साथ आईं फर्स्ट लेडी मिलेट्स से जुड़ी खेती के बारे में जान सकेंगी. समिट से इतर इसका विशेष प्रबंध किया गया है. मिलेट्स के महत्व को समझना है तो भारत की उस कोशिश को समझ सकते हैं जिसमें भारत की पहल पर इस साल को मिलेट्स ईयर मनाया जा रहा है. भारत ने 2023 में गोल्डन मिलेट वर्ष के प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दे दी.
मिलेट्स का महत्व कितना है, इसे बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे "लोगों का एक आंदोलन" बनाने और भारत को "मिलेट का ग्लोबल हब" बनाने की इच्छा जाहिर की है. G20 में मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली के प्रसिद्ध ताज पैलेस होटल ने अपने मेन्यु में मिलेट को शामिल किया है. इतना ही नहीं, भारत मंडपम जहां समिट का आयोजन हो रहा है, वहां भी मिलेट्स के कई रंग देखने को मिलेंगे. इसके अलावा, दिल्ली के अन्य होटल जहां राष्ट्राध्यक्ष ठहरेंगे, वहां भी मिलेट व्यंजनों की तैयारी की गई है.
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ऐसे में यह जानना जरूरी हो गया है कि भारत में मिलेट्स के उत्पादन की क्या स्थिति है और यह दुनिया में किस पायदान पर खड़ा है. INDIA TODAY के डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने भारत में मिलेट के हजार साल की यात्रा को जांचा है और उसके आंकड़ों को विचार किया. आइए इसके बारे में जानते हैं.
भारत की मिलेट क्रांति तेज गति से चल रही है जिसमें आठ अलग-अलग प्रकारों के मोटे अनाज रागी, बाजरा, ज्वार, कोदो और फॉक्सटेल मिलेट्स जैसे छोटे मिलेट्स की खेती कई वर्षों से की जा रही है. 2012-13 का आंकड़ा देखें तो ज्वार 53 लाख टन के उत्पादन के साथ मिलेट्स में महत्वपूर्ण स्थान रखता है जबकि बाजरा 87 लाख टन के साथ टॉप पर बना हुआ है. रागी का उत्पादन 16 लाख टन है. 2018-19 में ज्वार के उत्पादन में कुछ गिरावट देखी गई, लेकिन बाद में इसमें सुधार हुआ और यह 2020-21 में 48 लाख टन तक पहुंच गया.
2022-23 के लिए नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि ज्वार का उत्पादन लगभग 60 लाख टन के आसपास होने का लक्ष्य रखा गया है. ज्वार के साथ रागी का उत्पादन भी बढ़ गया और उत्पादन में लगभग 20 लाख टन जुड़ गया. आंकड़े के मुताबिक, 2022-23 के लिए भारत में बाजरे का उत्पादन लगभग 113 लाख टन होने का लक्ष्य रखा गया है.
अगर हम राज्य-स्तर पर भारत में मिलेट के उत्पादन को देखें तो राजस्थान प्रमुख राज्य है, जो 56 लाख टन मिलेट्स का उत्पादन करता है. इस मामले में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है, जहां 22 लाख टन तक उत्पादन होता है. इसके बाद 21 लाख टन के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर है.
पिछले पांच वर्षों में भारत से मिलेट्स के निर्यात में खास वृद्धि हुई है. 2018-19 में भारत ने लगभग दो लाख मीट्रिक टन मिलेट्स का निर्यात किया, जिसमें 2019-20 में 1.2 लाख मीट्रिक टन की गिरावट आई. हालांकि, 2022-23 में मिलेट्स के निर्यात में बड़ी तेजी आई और यह 1.6 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया. इससे देश को लगभग 608.12 करोड़ रुपये (75.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास) की कमाई हुई. बाजरा और ज्वार वो मुख्य मिलेट्स हैं जो निर्यात किए जाते हैं.
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भारत दुनिया के मिलेट्स के पांच प्रमुख निर्यातकों में से एक है. भारतीय मिलेट्स विदेशों में बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं. भारतीय मिलेट्स के लिए शीर्ष दो आयातकर्ता हैं - संयुक्त अरब अमीरात और सउदी अरबिया. इनके बाद आते हैं नेपाल और बांग्लादेश. 2022-23 में, भारत ने इन चार देशों को लगभग 1,00,000 मीट्रिक टन मिलेट्स का निर्यात किया. इससे 266 करोड़ रुपये की कमाई हुई.
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