तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) ने 2024-25 में इथेनॉल सप्लाई के लिए देशभर की डिस्टिलरी को 837 करोड़ लीटर का आवंटन किया है. नवंबर से अक्टूबर तक चलने वाले 2024-25 इथेनॉल सप्लाई ईयर (ईएसवाई) के दौरान इसकी सप्लाई की जाएगी. इस बार इथेनॉल बनाने की जिम्मेदारी चीनी बेस्ड डिस्टलरीज की तुलना में खाद्यान्न बेस्ड डिस्टलरीज को ज्यादा मिली है. यह डिस्टलरीज इथेनॉल बनाने के लिए मक्का के साथ चावल समेत अन्य खाद्यान्न का इस्तेमाल करेंगी.
तेल मार्केटिंग कंपनियों के ताजा आवंटन से साफ हो गया है कि खाद्यान्न बेस्ड डिस्टलरीज को इथेनॉल बनाने का आवंटन ज्यादा किया गया है. आवंटित 837 करोड़ लीटर इथेनॉल में से 94 करोड़ लीटर टूटे चावल से बनाया जाएगा और इसके लिए 20 लाख टन से अधिक चावल इस्तेमाल होगा. जबकि, खाद्यान्न में मक्का प्रमुख रूप से इथेनॉल बनाने में इस्तेमाल की जा रही है. इतना ही नहीं प्रमुख चीनी बेस्ड डिस्टिलरी अब 126 करोड़ लीटर इथेनॉल बनाने के लिए खाद्यान्न के इस्तेमाल के लिए कदम बढ़ा रही हैं.
तेल मार्केटिंग कंपनियों के ताजा आवंटन से पता चलता है कि खाद्यान्न बेस्ड डिस्टिलरी प्रमुखता में हैं. जो मुख्य रूप से मक्का पर निर्भर हैं. 2024-25 की पहली दो तिमाहियों (नवंबर-अप्रैल) में आवंटन से पता चलता है कि मार्केटिंग कंपनियां चीनी बेस्ड प्लांट से 235 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदेंगी, जिसमें 185 करोड़ लीटर गन्ने के रस से, 44 करोड़ लीटर बी हैवी मोलासेस (बीएचएम) से और 6 करोड़ लीटर सी हैवी मोलासेस (सीएचएम) से बनाया जाएगा.
इसके इतर 188 कंपनियों ने खाद्यान्न बेस्ड डिस्टिलरी को 525 करोड़ लीटर इथेनॉल के ऑर्डर दिए हैं. इथेनॉल की इस मांग को पूरा करने के लिए 110 लाख टन मक्का और 20 लाख टन चावल का इस्तेमाल किया जाएगा. पिछले कुछ वर्षों में खाद्यान्न बेस्ड डिस्टिलरी की कुल इथेनॉल क्षमता 742 करोड़ लीटर से बढ़कर 868 करोड़ लीटर तक पहुंच गई है. इसके अलावा चीनी बेस्ड डिस्टिलरी में 941 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन की क्षमता है. इसमें से 815 करोड़ लीटर केवल गुड़ से बनता है और 126 करोड़ लीटर दोहरे फीड प्लांट प्रोड्यूस करते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार तेल मार्केटिंग कंपनियों ने यह नहीं बताया है कि वे किस कीमत पर इथेनॉल को खरीदेंगी. डिस्टिलरीज को उम्मीद है कि ओएमसी जल्द ही 2024-25 ईएसवाई में लागू होने वाली नई इथेनॉल दरों की घोषणा करेंगी, जिससे इथेनॉल की कीमतें पिछले स्तरों से बढ़ जाएंगी. इससे उन्हें इथेनॉल बनाने के लिए प्रॉसेसिंग प्रक्रिया, मशीनरी और भुगतान में आसानी हो जाएगी.
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