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भेड़-बकरी की आंखों में द‍िखें ये बदलाव तो समझें खून की कमी के हैं ये लक्षण

भेड़-बकरी की आंखों में द‍िखें ये बदलाव तो समझें खून की कमी के हैं ये लक्षण

बकरी पालन में पशुपालक को सबसे ज्यादा नुकसान बकरियों की तौत से होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर बकरियों की निगनानी की जाए तो बकरियों को होने वाली बीमारी का पहले से ही पता लगाया जा सकता है.

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बकरी का प्रतीकात्मक फोटो. बकरी का प्रतीकात्मक फोटो.

भेड़-बकरी में दिखाई देने वाले कुछ लक्षण ऐसे भी होते हैं, जिन्हें देखकर उनके बीमार होने का पता लगाया जा सकता है. यह वो सामान्य लक्षण हैं, जिनकी पहचान पशुपालक खुद कर सकता है और उसके आधार पर भेड़-बकरी का इलाज भी करवा सकता है. इसी तरह से भेड़-बकरी की आंखों में होने वाले लक्षण को पहचान कर एक खतरनाक बीमारी का पता लगाया जा सकता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी के चलते कभी-कभी भेड़-बकरी की मौत भी हो जाती है. इतना ही नहीं बकरी के यूरिन और उसकी मेंगनी में होने वाले बदलाव से भी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. 

सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. आरएस पवैया ने किसान तक को बताया कि यह जरूरी नहीं कि डॉक्टर के पास ले जाने पर ही बकरी के बीमार होने का पता चलेगा. बकरी में होने वाले बदलावों को देखकर पशुपालक भी उसके बीमार होने का पला लगा सकते हैं. जैसे भेड़-बकरी के अंदर जब हिमोकस नाम का पैरासाइड पलने लगता है तो भेड़-बकरी की आंखों में बदलाव होने लगता है. क्योंकि हिमोकस भेड़-बकरी का खून चूसता है. और जब यह खून चूसने लगता है तो इसकी संख्या भी बढ़ने लगती है. 

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इसलिए अगर आपने गौर किया हो तो स्वस्थ भेड़-बकरी की आंखें एकदम से चमकीली लाल-गुलाबी होती हैं, लेकिन अगर उसके पेट में हिमोकस है तो आंख हल्की गुलाबी हो जाती है. जैसे-जैसे हिमोकस की संख्या बढ़ती जाती है और वो खून चूसते हैं तो भेड़-बकरी की आंख सफेद पड़ने लगती है. जिसका मतलब यह है कि भेड़ या बकरी में खून की कमी हो रही है. यह पता चलते ही भेड़ या बकरी का स्वास्थ्य परीक्षण कराएं और जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं. 

मेंगनी से ऐसे पता चलता है कि बकरी को डायरिया होने वाला है 

सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. आरएस पवैया ने किसान तक को बताया कि अगर बकरी गोल, चमकदार और सॉलिड मेंगनी कर रही है तो समझ लीजिए कि आपकी बकरी का पेट बिल्कुल ठीक है. मतलब बकरी हेल्दी है, लेकिन, अगर बकरी की मेंगनी आपस में चिपकी हुई और गुच्छे की शक्ल में आ रही है तो फौरन अलर्ट हो जाइए कि आपकी बकरी बीमार होने वाली है. अगर मेंगनी पेस्ट जैसी हो रही है तो यह तय मान लीजिए कि बकरी की आंत में किसी न किसी तरह का इंफेक्शन हो चुका है. या फिर बकरी डायरिया की चपेट में आ चुकी है. ऐसे में सबसे पहला काम यह होना चाहिए कि पशुपालक उन मेंगनी को एक जिप वाली पॉलीथिन में भरकर पशु चिकित्सा से जुड़ी किसी लैब में ले जाकर उसकी जांच कराएं. 

यूरिन की निगरानी से भी बीमारियां पहले पता चल जाती हैं

बकरी के यूरिन की निगरानी से भी बहुत सारी बीमारियां पहले से पता चल जाती हैं. पशुपालकों को हमेशा या याद रखना चाहिए कि अगर बकरी का यूरिन भूसे यानि हल्के पीले रंग का है तो वो सामान्य है. अगर गहरे पीले रंग का यूरिन आ रहा है तो इसका मतलब बकरे-बकरी ने पानी कम पि‍या है और उन्हें डिहाइड्रेशन है और अगर यह रंग और ज्यादा गहरा पीला हो जाए और उसमे लालपन आने लगे तो समझ जाइए कि बकरी और बकरे के यूरिन की जगह पर कोई चोट लगी है और अगर कभी यूरिन कॉफी कलर का आने लगे तो समझिए कि उसके खून में इंफेक्शन है. ऐसे हालात में बकरी को फौरन ही किसी डॉक्टर को दिखाना चाहिए.  

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