मिलेट्स यानी मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के रूप में मनाया जा रहा है. चूंकि राजस्थान का बाजरा उत्पादन में देश में पहला स्थान है. राजस्थान में भी सबसे अधिक बाजरा बाड़मेर में उगाया जाता है. इसीलिए बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी में बाजरा अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया जा रहा है. राजस्थान सरकार ने इसके लिए 40 हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी है. गुड़ामालानी में कृषि विज्ञान केन्द्र के पास 100 करोड़ रुपये की लागत से यह केन्द्र बनाया जा रहा है. निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाएगा.
बता दें कि केन्द्र स्थापित करने के लिए जमीन का आवंटन बीते दो साल से अटका हुआ था. केन्द्र सरकार ने दो साल पहले बाड़मेर में बाजरा अनुसंधान केन्द्र खोलने की घोषणा की थी, लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार में तालमेल की कमी होने के कारण इस पर कोई काम नहीं हो पा रहा था. बाजरा अनुसंधान केन्द्र बाड़मेर में खोलने के पीछे की वजह ये थी कि यहां राजस्थान का सबसे अधिक बाजरा उगाया जाता है.
केन्द्र सरकार ने दो साल पहले बाड़मेर के गुड़ामालानी में 100 एकड़ जमीन पर यह अनुसंधान केन्द्र खोलने की घोषणा की थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसके लिए जमीन अब उपलब्ध कराई है. इससे पहले जो जमीन आवंटित हो रही थी, उसमें स्थानीय नेताओं ने अड़ंगा लगा दिया. इसके बाद नई जमीन तलाशी जाने लगी.
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बाजरा अनुसंधान केन्द्र के लिए आईसीएआर की ओर से 2021 में कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अगले साल यानी 2022 में सौंप दी थी. इसके बाद केन्द्र ने राज्य सरकार को जमीन आवंटित करने के लिए कई पत्र भी लिखे. लेकिन विभिन्न कारणों से जमीन आवंटन अटका हुआ था. टोकन मनी पर यह जमीन आवंटित हुई है.
केन्द्र में कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि जमीन आवंटन के बाद केन्द्र के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. बाजरा अनुसंधान केन्द्र खुलने से पूरे राज्य के किसानों को लाभ होगा. वहीं, राजस्थान के कृषि विपणन मंत्री मुरारी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान सरकार मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने में सबसे आगे हैं. इसी के तहत सरकार ने 40 हेक्टेयर भूमि बाड़मेर के गुड़ामालानी में आवंटित की है.
बाजरा अनुसंधान केन्द्र में बाजरे को लेकर नए-नए रिसर्च होंगे. इससे बाजरे के बिस्किट, केक, पराठे और नमकीन सहित करीब 20 प्रोडक्ट बनाए जाएंगे. इन उत्पादों को बेचने से किसानों की आय में इजाफा होगा. साथ ही बाजरे की नई किस्में तैयार करने, तकनीकी का उपयोग होगा. इसका फायदा पूरे राजस्थान के किसानों को मिलेगा.
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बाजरा एक बरसात आधारित फसल है. चूंकि राजस्थान एक शुष्क क्षेत्र है इसीलिए यहां बाजरे का उत्पादन देश में सबसे अधिक है. प्रदेश में पूरे देश का करीब 42 प्रतिशत यानी 3.75 मिलियन टन बाजरे का उत्पादन होता है. अकेले बाड़मेर जिले में करीब 10 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया जाता है और इसका सालाना करीब 500 करोड़ रुपये का बाजरा पैदा होता है.
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