वृक्षों पर लगे फूलों से फलों का विकास होता है. फूल, पौधों के महत्वपूर्ण अंग होते हैं. फूलों का मानव जीवन में शुरू से लेकर अंत तक उपयोग होता है. फूलों का धार्मिक कार्यों, सौन्दर्य उत्पादों, मिठाइयों आदि बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है. फूलों से ग्रामीण या वनवासी समुदाय द्वारा खाद्य सामग्रियां और सब्जी भी बनायी जाती हैं. कुछ पौधों से प्राप्त फूलों की सब्जियां पौष्टिक व स्वादिष्ट होती हैं. इनमें विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्व, प्रोटीन, विटामिन आदि पाए जाते हैं. ऐसे पौधे, जिनके फूलों से सब्जियां बनायी जा सकती हैं, में इमली, आम, सन या सनई, सहजन, कचनार, कद्दू और केला आदि शामिल हैं.
सेमल के फूलों से भी सब्जी बनाई जाती है. यह सब्जी स्वास्थ्य के लिए बेहतर बताई जाती है. इसके फूलों को साफ करके पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर को निकालकर, मोटी हरी पंखुड़ियों को काटकर बेहतर सब्जी बनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इसके फूलों की सब्जी शरीर के विभिन्न रोगों के लिए लाभकारी होती है.
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कचनार के फूल से कई प्रकार की सब्जियां बनायी जाती हैं. इसकी प्रकृति ठंडी होने के कारण लोग इसे सुखा लेते हैं और गर्मियां पड़ने पर इसकी सब्जी बनाकर खाते हैं. इसका अचार बनाकर भी उपयोग में लेते हैं. इसके पकौड़े बनाकर भी इसका प्रयोग करते हैं. भारत के विभिन्न हिस्सों में यह वृक्ष पाया जाता है. कचनार के फूल और कलियां वात रोग और जोड़ों के रोग के लिए लाभकारी मानी गई हैं. इसके अलावा रक्त पित्त, फोड़े और फुंसियों की समस्याओं से भी कचनार की कलियां निजात दिलाती हैं. कृषि वैज्ञानिक पवन कुमार माहौर ने लिखा है कि कचनार के वृक्षकचनार के फूलों की बनाएं सब्जी, वात और जोड़ों के रोग के लिए है लाभकारी है.
कचनार के वृक्ष जंगलों में स्वतः ही उगे होते हैं. बसंत ऋतु में लगने वाले फूलों का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जियों के लिए किया जाता है. ये विषैले तत्व से रहित व जैविक गुणों से भरपूर होते हैं. कचनार, जिसे लोग स्थानीय भाषा में करयाल भी कहते हैं, का ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग सब्जी व रायता बनाने के लिए किया जाता है. कचनार की कलियों का अचार बहुत ही स्वादिष्ट होने के साथ-साथ औषधि का काम भी करता है.
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