कृषि मंत्रालय की तरफ से हुए एक डिजिटल सर्वे में देश में फसल आंकड़ें को लेकर रोचक जानकारी सामने आई है. केंद्र सरकार ने तीन लाख गांवों का डिजिटल सर्वे कराया है. ये गांव 14 राज्यों के 435 जिलों के तहत आते हैं. सरकार की तरफ से इस पूरे काम को उसके महत्वाकांक्षी कार्यक्रम डिजिटल क्रॉप सर्वे (DCS) के तहत पूरा कराया गया है. इसके नतीजों को विशेषज्ञ आने वाले समय के लिए काफी अच्छा करार दे रहे हैं.
अखबार द हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार इस सर्वे में तीन लाख गांवों के कम से कम 23 करोड़ भूखंडों को शामिल किया गया था. जो नतीजे आए हैं उनके अनुसार फसल क्षेत्र में 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यह आंकड़ा मैनुअली सर्वे की तुलना में कई एकड़ ज्यादा है. अब उन राज्यों के एक जिले को और शामिल किया जाएगा जिन्हें अभी तक डीसीएस में नहीं रखा गया है.
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कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव प्रमोद कुमार मेहेरदा के हवाले से अखबार ने लिखा है कि 21 जिलों में हुए सर्वे के अनुसार पिछले खरीफ सीजन के दौरान क्षेत्र में 18.93 फीसदी का इजाफा हुआ है और यह 20.9 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. जबकि जानकारी इकट्ठा करने के पारंपरिक सिस्टम के तहत यह आंकड़ा 16.8 लाख हेक्टेयर पर था.
मंत्रालय की तरफ से जो अनुमान लगाया गया है, उसके तहत धान के रकबे में साल 2024 खरीफ सत्र के 14 फीसदी का इजाफा हुआ है. वहीं गन्ने की बात करें तो यह आंकड़ा 48 प्रतिशत और मूंगफली के लिए 111 प्रतिशत है. यहां तक कि छोटे बाजरे की किस्मों जैसे काकुन में 8 हजार 500 हेक्टेयर का विस्तार हुआ और कोदो में 32 हजार 900 हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है. ये बाजरे की ऐसी किस्में हैं जिन्हें बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती है.
विशेषज्ञों की मानें तो डिजिटल सर्वे के बाद एक बार आंकड़ों को दोबारा से वैरीफाई करना चाहिए, खासतौर पर उन इलाकों में जहां मैनुअली और डिजिटल डाटा कलेक्शन में थोड़ी सी भी गड़बड़ी आई है. विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल सर्वे तो ठीक है लेकिन मैनुअल डाटा कलेक्शन को भी अगले कुछ सालों तक जारी रखना चाहिए जब तक कि डिजिटल डाटा की विश्वसनीयता साबित न हो जाए.
वहीं मेहरदा का कहना था कि कृषि मंत्रालय लगातार डीसीएस का विस्तार करने में लगा हुआ है. मंत्रालय की योजना साल 2025 के खरीफ सीजन के दौरान इस महत्वाकांक्षी पहल को सभी बड़े राज्यों के हर जिले और दूसरे राज्यों के कम से कम एक जिले तक लेकर जाने की है. इस पहल को सरकार के डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत चलाया जा रहा है. कृषि सचिव ने अखबार को बताया है कि इस पहल की मदद से राष्ट्रीय स्तर पर फसल बोने के डाटा का एक विस्तृत सोर्स तैयार हो सकेगा.
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डीसीएस में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, असम और राजस्थान बेस्ट परफॉर्मेंस वाले राज्य रहे हैं. इन में से हर राज्य ने पिछले साल खरीफ सत्र के दौरान अपने टारगेट को पूरा किया गया है. गुजरात और ओडिशा ऐसे राज्य रहे जिन्होंने 50 फीसदी से ज्यादा का लक्ष्य हासिल किया.
टेक्नोलॉजी के शामिल होने के बाद डीसीएस के भविष्य को लेकर मेहरदा को काफी उम्मीदें हैं. उनका कहना है कि इसकी मदद से फसल के बारे में हर छोटी और बड़ी जानकारी का एक डेटाबेस तैयार किया जा सकेगा. इस का प्रयोग मशीन लर्निंग मॉडल्स के लिए ट्रेनिंग डेटा के तौर पर भी हो सकेगा. मेहरदा ने कहा कि डीसीएस फसल सर्वे, फसल के स्वास्थ्य का पता लगाना और ड्रोन के साथ ही सैटेलाइट इमेजेरी के जरिये एआई के प्रयोग को और आसान बना सकेगा.
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