Kashmir Farmers: रंग बिरंगी सब्जियों की खेती वाले कश्‍मीर का 'छोटा पंजाब', कहलाता है मॉडल एग्री विलेज 

Kashmir Farmers: रंग बिरंगी सब्जियों की खेती वाले कश्‍मीर का 'छोटा पंजाब', कहलाता है मॉडल एग्री विलेज 

कश्मीर का बुगाम गांव अपनी उच्च उत्पादकता और कई तरह की सब्जियों के उत्पादन के लिए मशहूर हो चुका है. यहां के किसान ऑर्गेनिक और रासायनिक खेती के साथ ही हाई-टेक पॉलीहाउस और डायरेक्‍ट सप्‍लाई चेन की मदद से अच्‍छी आय कमा रहे हैं. आज यहा यहां के ‘छोटा पंजाब’ के तौर पर मशहूर है और बाकी गांवों के लिए मॉडल एग्री विलेज बन चुका है.

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रंग बिरंगी सब्जियों की खेती वाले कश्‍मीर का 'छोटा पंजाब', कहलाता है मॉडल एग्री विलेज Bugam Village: कश्‍मीर का छोटा पंजाब बुगाम गांव

कश्‍मीर घाट के कुलगाम जिले में आने वाला बुगाम आज एक मॉडल एग्री विलेज बन गया है. बुगाम अपनी सब्जी उत्पादन क्षमता के कारण न सिर्फ पूरे क्षेत्र में बल्कि दक्षिण भारत तक में मशहूर हो गया है. इसे गर्व से यहां के लोग ‘छोटा पंजाब’ तक कहते हैं. यह गांव न सिर्फ स्थानीय और राष्‍ट्रीय बाजारों की मांग पूरी करता है, बल्कि श्रीनगर, जम्मू, उधमपुर और राजौरी जैसे दू-दूर के बाजारों तक भी ताजा उपज पहुंचाता है. यहां की खास सब्जियों जैसे मटर और धनिया को हवाई मार्ग से बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बैंगलोर तक में भेजा जाता है. 

गाजर, शिमर्ला मिर्च और न जाने क्‍या-क्‍या 

बुगाम के 202.25 हेक्टेयर खेती योग्य क्षेत्र में से लगभग 160 हेक्टेयर विविध सब्जियों के लिए समर्पित हैं और यह कुल भूमि का 80 प्रतिशत हिस्‍सा है. बाकी भूमि बागवानी और बाकी कृषि गतिविधियों में प्रयोग होती है. यहां के करीब 400 परिवार पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं और इसे अपनी मुख्य आजीविका मानते हैं. यहां गाजर, मूली, पत्ता गोभी, फूलगोभी, शिमला मिर्च और पालक जैसी रंग-बिरंगी सब्जियों की खेती होती है. 

किसानों को मिलती सब्सिडी भी 

यहां स्थानीय किसानों की मानें तो खेती से बेहतर आय मिलने के कारण वो बागवानी की तुलना में खेती को प्राथमिकता देते हैं. बुगाम ऑर्गेनिक और रासायनिक, दोनों ही तरह की खेती में आगे है. कृषि विभाग ने चार जैविक क्लस्टर और 80 हेक्टेयर रासायनिक खेती के लिए क्षेत्र स्थापित किए हैं. इसके अलावा किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरक, कीटनाशक और प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर उपलब्ध कराए जाते हैं. कैपेक्‍स बजट के तहत मशीन टूल्स और सिंचाई पंप पर हर साल 50 फीसदी से ज्‍यादा की सब्सिडी मिलती है. 

मुश्किल सर्दियों में भी भरपूर उत्‍पादन 

बुगाम में 14 हाई-टेक पॉलीहाउस स्थापित किए गए हैं, जो सर्दियों में भी सब्जियों की खेती में मदद करते हैं. इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ता है बल्कि कठोर सर्दियों में ताजा उपज की उपलब्धता भी सुनिश्चित होती है. पिछले वित्त वर्ष में गांव ने 17.07 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू जुटाया था. इसमें 9.2 करोड़ रुपये जैविक और 8.5 करोड़ रुपये रासायनिक उपज से आए. हालांकि, कुछ चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं. बुगाम की सफलता ने आसपास के गांवों, कैसर-मुल्ला, कुजवेरा, गोहरपोरा, नोवबू और डूनीवारा, को भी सब्जी उत्पादन अपनाने के लिए प्रेरित किया है. कई परिवार सीधे होटल, रेस्टोरेंट और कैफे सेक्टर को सप्लाई कर रिटेल दरों का फायदा उठा रहे हैं. इस तरह की डायरेक्‍ट सप्‍लाई चेन से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. 

और बुगाम बन गया मॉडल एग्री विलेज 

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बुगाम जैसे गांव जम्मू और कश्मीर में कृषि विकास का मॉडल प्रस्तुत करते हैं. यहां की भूमि और सिंचाई सुविधाएं अगर सही नीतियों और रखरखाव के साथ उपयोग की जाएं तो यह गरीबी और बेरोजगारी कम करने में भी योगदान दे सकते हैं. फल और सब्जी मंडियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि उपजाऊ भूमि पर निर्माण पर रोक लगाकर इसे बचाना चाहिए, ताकि बुगाम और आसपास के क्षेत्र कृषि केंद्र बने रहें. बुगाम गांव रंग-बिरंगी सब्जियों की खेती, आधुनिक कृषि परंपराओं और आर्थिक समृद्धि का अद्भुत उदाहरण पेश करता है. यह गांव न सिर्फ कश्मीर का प्रमुख सब्जी उत्पादन केंद्र बन रहा है बल्कि पूरे राज्य के लिए ‘मॉडल एग्री विलेज’ का प्रतीक बन चुका है.

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