2025-26 सीजन में भारत की चीनी उत्पादन क्षमता 350 से 360 लाख टन तक पहुंच सकती है. अनुमान है कि इसमें से करीब 45 से 50 लाख टन इथेनॉल के लिए डायवर्ट किया जाएगा. इसके बाद 10 से 20 लाख टन तक का निर्यात संभव है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार जनवरी से फरवरी 2026 के बीच चीनी निर्यात पर फैसला ले सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि 20 लाख टन तक के निर्यात को मंजूरी मिल सकती है, अगर घरेलू मांग और उत्पादन संतुलित रहे.
कमजोर कच्चे तेल की कीमतों और ब्राजील की बेहतर फसल के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें गिरकर और भी नीचे जाने की उम्मीद है. विशेषज्ञों के अनुसार, 2025-26 सीजन में दुनिया भर में तीसरा सबसे बड़ा चीनी सरप्लस देखने को मिलेगा. इसमें भारत और थाइलैंड की बड़ी भूमिका होगी.
चीन की चीनी उत्पादन क्षमता 110 लाख टन रहने की उम्मीद है, जबकि उसका कुल आयात करीब 52 लाख टन तक जा सकता है. इंडोनेशिया (59 लाख टन), बांग्लादेश (25 लाख टन), और दक्षिण कोरिया (17 लाख टन) भी बड़े आयातक होंगे.
निजी चीनी मिलों के संगठन भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) ने शुरुआती अनुमान में देश में चीनी उत्पादन 350 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले सीजन के 295 लाख टन से 18 प्रतिशत अधिक है. इस्मा को उम्मीद है कि 50 लाख टन चीनी का इस्तेमाल इथेनॉल उत्पादन के लिए किया जाएगा. इस्मा ने सरकार से 20 लाख टन निर्यात की अनुमति देने की मांग की है.
रिसर्च एजेंसी बीएमआई का अनुमान है कि भारत में चीनी उत्पादन 350 लाख टन होगा, जबकि ब्राजील में 430 लाख टन उत्पादन की उम्मीद है. कॉमडेक्स इंडिया के डायरेक्टर किरण वाधवानी ने अनुमान लगाया है कि इस सीजन में भारत में चीनी की खपत बढ़कर 280 लाख टन हो जाएगी. उन्होंने कहा, "अगर आगे और चीनी उत्पादन की योजना है, तो खपत में 5 लाख टन की और वृद्धि हो सकती है."
थाइलैंड का चीनी उत्पादन बढ़कर 113 लाख टन होने का अनुमान है, और 76 लाख टन निर्यात की उम्मीद है. साथ ही, यह भी कहा गया है कि थाइलैंड में चीनी उत्पादन के लिए मौसम अनुकूल है, लेकिन चीनी के पौधों पर सफेद पत्ती रोग का खतरा मंडरा रहा है.
चीन में 110 लाख टन चीनी उत्पादन होने की उम्मीद है. ऑस्ट्रेलिया में भी 39 लाख टन का अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है. इसमें से 32 लाख टन निर्यात होने की संभावना है. पाकिस्तान में 62 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है, लेकिन वह आयात जारी रखेगा.
भारत का अनुमानित उत्पादन | 345–350 लाख टन |
एथेनॉल के लिए डायवर्जन | 45– 50 लाख टन |
निर्यात अनुमानों की सीमा | 10–20 लाख टन |
घरेलू खपत का अनुमान | 280– 290 लाख टन |
वैश्विक प्रमुख सरप्लस देश | भारत, थाइलैंड, ब्राजील |
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