गैर-बासमती चावल निर्यात फंड को लेकर छिड़ी बहस, बासमती निर्यातकों ने जताई आपत्ति

गैर-बासमती चावल निर्यात फंड को लेकर छिड़ी बहस, बासमती निर्यातकों ने जताई आपत्ति

Rice Export Fund: केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने गैर-बासमती चावल के निर्यात फंड में एपीडा को 30% हिस्सेदारी दी है, जबकि‍ बासमती निर्यातक 50% शुल्क को लेकर असंतुष्ट हैं. जानिए बासमती निर्यातकों ने क्‍या कहा...

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गैर-बासमती चावल निर्यात फंड को लेकर छिड़ी बहस, बासमती निर्यातकों ने जताई आपत्तिगैर बासमती चावल एक्‍सपोर्ट (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने अपने कृषि निर्यात संवर्धन संगठन, एपीडा को गैर-बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों के पंजीकरण शुल्क से मिलने वाले फंड का 30% हिस्सा रखने की अनुमति दी है. यह शुल्क 8 रुपये प्रति टन (GST अलग) निर्धारित किया गया है. बाकी रकम के इस्तेमाल के लिए एक समिति बनाने का भी निर्णय लिया गया है. हालांकि, इस फैसले से बासमती चावल निर्यातकों में असंतोष है. उनका कहना है कि पहले उन्हें बासमती निर्यात विकास फंड (BEDF) में 50% राशि देने के लिए बाध्य किया गया था. अब गैर-बासमती के लिए केवल 30% शुल्क रखना “दोहरी नीति” जैसा लगता है.

NBDF के पैनल में कौन होगा शामिल?

बिजनेसालइन की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि जुलाई में वाणिज्य विभाग ने NBDF की स्थापना को मंजूरी दी थी. इसे एपीडा के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक पैनल द्वारा संचालित किया जाएगा. इस पैनल में कुल आठ सदस्य होंगे, जिनमें तीन उद्योग प्रतिनिधि शामिल हैं. हाल ही में इस फंड के प्रबंधन के तरीकों को भी मंजूरी दी गई. एपीडा ने संबंधित विभागों और हितधारकों से अपने प्रतिनिधि नामांकित करने के लिए अनुरोध किया है, ताकि पैनल की पहली बैठक दिवाली से पहले हो सके.

बासमती निर्यातकों की आपत्ति

बासमती निर्यातक एपीडा द्वारा गैर-बासमती फंड से 30% सेवा और इन्फ्रास्ट्रक्चर चार्ज लेने के निर्णय पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि बासमती फंड से अब तक 50% शुल्क लिया जाता है. उन्होंने मांग की है कि बासमती फंड में भी यह दर 30% कर दी जाए. साथ ही, बासमती निर्यात अनुबंध पंजीकरण शुल्क 30 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 70 रुपये किए जाने पर भी विरोध किया गया है. एक प्रमुख निर्यातक ने कहा, “एक ही काम के लिए दो अलग नियम कैसे?” उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि शुल्क और एपीडा की हिस्सेदारी दोनों कम किए जाएं.

पैनल गठन की प्रक्रिया

एपीडा ने कृषि शिक्षा और अनुसंधान विभाग (DARE) और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को पत्र भेजा है कि वे प्रत्येक एक प्रतिनिधि नामांकित करें. इस प्रतिनिधि का पद निदेशक या उप सचिव से कम नहीं होना चाहिए. इसी तरह, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना सरकारों को भी पत्र भेजा गया है.

राज्य और उद्योग प्रतिनिधि शामिल

NBDF पैनल में भारत के शीर्ष 10 चावल उत्पादक राज्यों से दो-दो प्रतिनिधि होंगे, जिनका कार्यकाल एक वर्ष का होगा. शीर्ष 10 राज्यों की सूची हर पांच साल में समीक्षा की जाएगी. पैनल में काकिनाडा स्थित द राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (TREA), रायपुर स्थित द राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन CG (TREACG), और इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (IREF) के अध्यक्ष स्थायी सदस्य होंगे. उद्योग प्रतिनिधियों के यात्रा और ठहरने के खर्च खुद उठाने होंगे.

कैसे होगा फंड का इस्‍तेमाल?

एपीडा के अनाज विभाग के प्रमुख को मेंबर सेक्रेटरी बनाया जाएगा. NBDF समिति तय करेगी कि पंजीकरण शुल्क का 70% हिस्सा प्रचार, प्रशिक्षण और कर्मचारियों के वेतन में खर्च किया जाए. फंड का उपयोग किसानों को अच्छी कृषि प्रथाओं (GAP) और जैविक उत्पादन के प्रशिक्षण, उत्पादन बढ़ाने, अनुसंधान, व्यापारिक दौरे, प्रचार कार्यक्रम, खरीदार- विक्रेता बैठक और उपभोक्ता अध्ययन के लिए किया जाएगा. बासमती निर्यातक अब सरकार से समान नियम लागू करने और शुल्क कम करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, NBDF के गठन से गैर-बासमती चावल का उत्पादन और निर्यात बढ़ाने की उम्मीद है.

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