रबी सीजन की शुरुआत होने वाली है. लेकिन इस साल हुई मूसलाधार बारिश ने कई किसानों को आर्थिक तौर पर कमजोर कर दिया है, जिससे किसानों के सामने रबी फसल की खेती करने में थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. किसानों के इन्हीं परेशानियों को देखते हुए पंजाब सरकार राज्य के किसानों को रबी फसलों की खेती करने पर मदद कर रही है. दरअसल, पंजाब के किसान इस साल बाढ़ की मार झेल रहे हैं. इस बीच पंजाब सरकार ने 13 अक्टूबर से पांच एकड़ से कम भूमि वाले बाढ़ प्रभावित किसानों को मुफ्त में गेहूं के बीज मुहैया कराएगी.
मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करते हुए, सरकार ने कहा कि 13 अक्टूबर से बाढ़ प्रभावित पांच एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को राज्य कृषि विभाग के कार्यालयों से मुफ़्त गेहूं के बीज मिलने शुरू हो जाएंगे. पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड (PUNSEED) को 1.85 लाख हेक्टेयर जमीन के लिए मुफ़्त बीज वितरण के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है.
इसके अलावा पंजाब सरकार ने इस वर्ष खरीफ फसल के लिए ऐसे किसानों द्वारा लिए गए अल्पकालीन लोन के भुगतान की तारीख भी बढ़ा दी गई है. ऐसे में अब लोन खरीफ सीजन में लोन लेने वाले किसान अगले वर्ष 31 जनवरी के बजाय 30 जून तक लोन चुका सकते हैं.
साथ बाढ़ प्रभावित किसान भी अपने खरीफ फसल लोन के लंबित रहने के बावजूद नए लोन के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. सरकार ने रबी सीजन के लोन के रूप में वितरण के लिए 1,342 करोड़ रुपये रखे हैं. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब सरकार 1,600 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता का इंतजार कर रही है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे के दौरान की थी.
प्रभावित किसानों द्वारा विभाग के पोर्टल (www.agrimachinerypb.com) पर रजिस्ट्रेशन कराने और भूमि स्वामित्व विवरण और पहचान पत्र अपलोड करने के बाद ही बीज मिलेगा. विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इन आवेदनों का जल्द सत्यापन किया जाएगा और सत्यापन के बाद, किसान मुफ्त गेहूं के बीज प्राप्त कर सकेंगे. पनसीडा द्वारा खरीदे जा रहे प्रमाणित और पीएयू-अनुशंसित बीजों की कीमत 4,000 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. इस पहल के लिए केंद्र ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत 44.40 करोड़ रुपये दिए हैं, जबकि राज्य सरकार ने 29.60 करोड़ रुपये का योगदान दिया है.
मानक संचालन प्रक्रिया में कहा गया है कि लाभार्थियों का नाम संबंधित डीसी द्वारा तैयार बाढ़ प्रभावित किसानों की सूची में होना चाहिए और उनकी खरीफ फसल (धान, कपास, मक्का या गन्ना) का 33 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बाढ़ में नष्ट हुआ होना चाहिए.
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