महाराष्ट्र के कई जिलों में डूबी गन्ने की फसल, चीनी उत्पादन पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र के कई जिलों में डूबी गन्ने की फसल, चीनी उत्पादन पर क्या होगा असर?

महाराष्ट्र में इस साल बारिश के बाद भी उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी उत्पादन में गिरावट नहीं आएगी. राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (एनएफसीएसएफ) के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि हालांकि बारिश से खेती प्रभावित हुई है, लेकिन पूरा चीनी उत्पादन प्रभावित नहीं होगा.

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महाराष्ट्र के कई जिलों में डूबी गन्ने की फसल, चीनी उत्पादन पर क्या होगा असर?बारिश के बावजूद चीनी उत्पादन पर असर नहीं

देश के लगभग सभी राज्यों में इस साल बारिश का कहर जारी है. वहीं, इस साल हुई मूसलाधार बारिश से कई फसलें या तो बिल्कुल चौपट हो गई या खराब हो गई. लेकिन इस बीच महाराष्ट्र में इतनी बारिश के बावजूद भी मिलर्स का अनुमान है कि चीनी उत्पादन बरकरार रहेगा. दरअसल, भारी बारिश के कारण सोलापुर, नासिक, अहिल्यानगर और मराठवाड़ा में गन्ने के खेत हफ़्तों से पानी में डूबे हुए हैं, और पश्चिमी महाराष्ट्र के चीनी क्षेत्र में नदी किनारे की फसलें भी जलमग्न हो गई हैं. इसके बावजूद भी उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी उत्पादन बरकरार रहेगा.

चीनी उत्पादन में होगी बढ़ोतरी

शुरुआती अनुमान बताते हैं कि लगभग 100 लाख टन गन्ना प्रभावित हुआ होगा. हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि नुकसान को ध्यान में रखने के बाद भी लगभग 1,200 लाख टन गन्ना पेराई के लिए उपलब्ध रहेगा, जो पिछले वर्ष के 850 लाख टन से काफी अधिक है. महाराष्ट्र राज्य सहकारी समिति के अनुसार, चीनी मिल्स एसोसिएशन द्वारा अनुमानित चीनी उपज को 82 टन प्रति हेक्टेयर से संशोधित कर 74 टन कर दिया गया है.

चीनी उत्पादन प्रभावित नहीं होगा

राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (एनएफसीएसएफ) के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि हालांकि बारिश से खेती प्रभावित हुई है, लेकिन पूरा चीनी उत्पादन प्रभावित नहीं होगा. इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार से अतिरिक्त निर्यात कोटा पर विचार करने का आग्रह किया और कहा कि इथेनॉल की ऊंची कीमतें सीधे तौर पर किसानों को फायदा पहुंचाएगी.

बारिश के कारण गन्ने की रुकी वृद्धि

महाराष्ट्र और कर्नाटक में फसल को हुए नुकसान के बावजूद, चीनी मिल मालिकों का मानना ​​है कि चीनी उत्पादन स्थिर रहेगा. हालांकि, किसानों का कहना है कि अधिक बारिश के कारण गन्ने की वृद्धि रुक ​​गई है. साथ ही भारी बारिश के कारण पेराई सत्र में देरी हुई है और बाजार में चीनी का नया स्टॉक पहुंचने की उम्मीद है.

विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस देरी से दिवाली सीजन के दौरान खुदरा चीनी की कीमतें बढ़ जाएंगी, क्योंकि कुछ राज्यों में कीमतें पहले ही 4,000 रुपये प्रति टन को पार कर चुकी हैं.

सरकार की मिल मालिकों को चेतावनी

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा नापतोल में किसानों को धोखा देने वाली मिलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. इस चेतावनी के  बाद चीनी मिलों और महाराष्ट्र सरकार के बीच एक नया विवाद शुरू हो गया है.यह चेतावनी बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए राहत शुल्क लगाने के राज्य के निर्णय के खिलाफ मिल मालिकों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद दी गई है.

सरकार की योजना के तहत, मिलों को मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रति टन गन्ने पर 10 रुपये और बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए 5 रुपये प्रति टन का योगदान देना होगा. राज्य सरकार ने कहा कि यह निर्णय एक उच्च-स्तरीय समिति की समीक्षा के बाद लिया गया है, जिसमें पाया गया कि महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने 30,000 करोड़ रुपये का कारोबार किया है, जबकि सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये की सहायता की है.

हालांकि, मिल मालिकों ने तर्क दिया कि कई चीनी कारखानों की वित्तीय स्थिति खराब है और वे अतिरिक्त खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं. किसान नेता राजू शेट्टी ने उन चीनी मिलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. दरअसल ये मांग उन्होंने जो चीनी मिले पिछले सत्र में पेराई किए गए गन्ने के लिए किसानों को पूर्ण उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान करने में विफल रही हैं मिलों के लिए की है.

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