ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो की रिसर्च में 26 साल देने वाले वैज्ञानिक डॉ. जी. करुणाकरण को मिला खास सम्‍मान 

ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो की रिसर्च में 26 साल देने वाले वैज्ञानिक डॉ. जी. करुणाकरण को मिला खास सम्‍मान 

डॉक्‍टर करुणाकरण ने अपनी जिंदगी के 26 साल से ज्‍यादा का समय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) का दिया. इस दौरान उन्‍होंने कई फल फसलों जैसे केला, पपीता, कटहल, ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो, रैम्बूटन, कूर्ग मंदारिन और इमली के सुधार और इसके कमर्शियलाइजेशन में अग्रणी योगदान दिया है.

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ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो की रिसर्च में 26 साल देने वाले वैज्ञानिक  डॉ. जी. करुणाकरण को मिला खास सम्‍मान डॉ. जी. करुणाकरण को मिला सम्‍मान

आईसीएआर–भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईएचआर), बेंगलुरु के फल फसलों विभाग में प्रधान वैज्ञानिक (बागवानी) डॉ. जी. करुणाकरण को कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरु (यूएएसबी) की ओर से डॉक्‍टर कलैया कृष्णमूर्ति राष्‍ट्रीय पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है. यह पुरस्कार बागवानी फसलों के अनुसंधान, आनुवंशिक सुधार और मूल्य श्रृंखला विकास में उनके उत्कृष्ट और निरंतर योगदान के सम्मान में प्रदान किया गया है. 

कौन हैं डॉक्‍टर करुणाकरण 

डॉक्‍टर करुणाकरण को यह सम्मान कर्नाटक सरकार के गृहमंत्री एवं कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरु के विशिष्‍ट पूर्व छात्र डॉ. जी. परमेश्वर की तरफ से दिया गया. 9 अक्‍टूबर को जब यूनिवर्सिटी अपना 60वें फाउंडेशन डे मना रही थी, उसी मौके पर उन्‍हें इस सम्‍मान से नवाजा गया. डॉक्‍टर करुणाकरण ने अपनी जिंदगी के 26 साल से ज्‍यादा का समय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) का दिया. इस दौरान उन्‍होंने कई फल फसलों जैसे केला, पपीता, कटहल, ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो, रैम्बूटन, कूर्ग मंदारिन और इमली के सुधार और इसके कमर्शियलाइजेशन में अग्रणी योगदान दिया है. फल फसलों के जेनेटिक रिर्सोसेज, फसल सुधार एवं वैल्‍यू एडीशन डेवलपमेंट पर उनके इनोवेटिक कामों ने उष्णकटिबंधीय बागवानी पर गहरा प्रभाव छोड़ा है. 

कटहल और इमली की खास किस्‍म 

उन्होंने उच्च उत्पादकता वाली कई किस्मों के विकास में अहम भूमिका निभाई है, जिनमें अर्का सीरीज की एवोकाडो, रैम्बूटन, पेपर, वैक्स एप्पल और जामुन शामिल हैं. साथ ही, किसानों की तरफ से विकसित कुछ किस्मों को प्लांट वेरायटी एंड फार्मर्स राइट्स अथॉरिटी (PPV&FRA) के तहत रजिस्‍टर्ड किया गया है. इनमें कटहल की किस्में सिद्धू और शंकरा और इमली की किस्म लक्ष्मणा प्रमुख हैं. 

FPOs के साथ मिलकर किया काम 

टेक्निकल डेवलपमेंट में भी उन्‍होंने काफी योगदान दिया है. उनके कई प्रयासों से कई रेडी-टू-सर्व और रेडी-टू-ईट फलों पर आधारित उत्पाद विकसित किए गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के साथ मिलकर सामुदायिक आधारित फल मूल्य श्रृंखलाओं को सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके अलावा डॉक्‍टर करुणाकरण ने अब तक 40 से ज्‍यादा रिसर्च पेपर्स, तीन किताबें, 15 बुक चैप्‍टर्स और 12 तकनीकी बुलेटिन प्रकाशित किए हैं. उनका काम बायो-डायवर्सिटी संरक्षण और किसानों की आजीविका सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने की दृष्टि को साकार करता है. 

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