Benefits of Kinova: क्या आप किनोवा को भूल गए, ज‍िसके नाम पर मनाया गया था इंटरनेशनल ईयर 

Benefits of Kinova: क्या आप किनोवा को भूल गए, ज‍िसके नाम पर मनाया गया था इंटरनेशनल ईयर 

क‍िनोवा एक ग्लूटेन फ्री अनाज है. ज‍िसमें सामान्य अनाजों से अध‍िक आयरन, प्रोटीन और फाइबर पाया जाता है. इसे लोग मदर ग्रेन भी कहते हैं. जबक‍ि, पोषक तत्वों की वजह से इसे भविष्य का सुपर ग्रेन भी कहा जा रहा है. दो साल पहले पीएम मोदी ने द‍िलाई थी इसकी याद.

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Benefits of Kinova: क्या आप किनोवा को भूल गए, ज‍िसके नाम पर मनाया गया था इंटरनेशनल ईयर जानिए क‍िनोवा के बारे में

ज‍िस तरह मौजूदा साल यानी 2023 को इंटरनेशनल म‍िलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है वैसे ही ठीक एक दशक पहले 2013 में इंटरनेशनल क‍िनोवा वर्ष मनाया गया था. ताकि हर व्यक्ति इस फसल के महत्व को जान सके. इसके बावजूद अध‍िकांश लोगों को या तो क‍िनोवा के बारे में पता नहीं है या फ‍िर वो इसे भूल गए हैं. हालांक‍ि, दो साल पहले स‍ितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को फसलों की 35 नई किस्मों का तोहफा दिया था उनमें किनोवा  का भी नाम शाम‍िल था. हो सकता है क‍ि क‍िनोवा की तरह ही म‍िलेट ईयर भी हम सब भूल जाएं. फ‍िलहाल, हम आपको उस क‍िनोवा की याद द‍िलाने वाले हैं ज‍िसमें अंडा और गाय के दूध से भी अधिक आयरन होता है. चावल की तुलना में दोगुना प्रोटीन और मक्का की तुलना में डबल फाइबर होता है.

इंका सभ्यता में यह पव‍ित्र अनाज माना जाता था और इसे लोग मदर ग्रेन भी कहते थे. जबक‍ि, संपूर्ण प्रोटीन में धनी होने के कारण इसको भविष्य का सुपर ग्रेन  कहा जा रहा है. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों का दावा है क‍ि क‍िनोवा का इस्तेमाल स‍िल‍ियक रोग से पीड़‍ित लोग भी कर सकते हैं. क्योंक‍ि यह ग्लूटेन फ्री होता है. यह इस रोग में कारगर है. स‍िल‍ियक रोग वालों को गेहूं से बनी चीजों को खाने से एलर्जी होती है. क‍िनोवा अन्य अनाजों के मुकाबले अध‍िक पौष्ट‍िक माना जाता है. 

बथुआ प्रजाति का है क‍िनोवा 

राजस्थान कृष‍ि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञान‍िको ने इसे बथुआ कुल का सदस्य बताया है. जिसका वानस्पतिक नाम चिनोपोडियम किनोवा है. इसका बीज अनाज की तरह ही इस्तेमाल में लाया जाता है.  प्राचीन काल से ही हमारे देश में बथुआ खाद्यान्न एवं हरी पत्तेदार सब्जी के रूप में प्रयोग होता रहा है. इसकी नई किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) विकसित किया है. इसकी फसल के ल‍िए बहुत कम पानी की जरूरत होती है. 

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क‍िन देशों में ज्यादा है इसकी खेती 

विश्व में इसकी खेती मुख्य तौर पर तीन देशों पेरू, बोल्विया एवं इक्वाडोर में नकदी फसल के रूप में की जाती है. जो कि विश्व के कुल किनोवा उत्पादन का करीब 95 प्रतिशत है. भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों में इसकी खेती को अत्याधिक प्रोत्साहन दिए जाने की वजह से इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, ज‍िससे क‍िनोवा के क्षेत्रफल और उत्पादन में तेजी से वृद्ध‍ि हुई है. यह एकवर्षीय रबी फसल है. यह शरद ऋतु में उगाई जाती है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक किनोवा को खाने से मनुष्य को स्वस्थ जीवन मिलता है. किनोवा कम पानी, समस्याग्रस्त भूमि एवं विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छी पैदावार देकर हमारी भोजन व पोषण आवश्यकता की पूर्ति करता है. यह फसल छोटे व सीमान्त किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है.  

पर्यावरण और पोषण हितैषी फसल है क‍िनोवा 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के अनुसार दुन‍िया भर में करीब 80,000 पौध प्रजातियां आर्थिक महत्व की हैं. जिनमें से 30,000 खाने योग्य हैं.  इनमें से भी केवल 158 पौध प्रजातियां ही ऐसी हैं, जो मनुष्य द्वारा उगाकर खाने के रूप में उपयोग की जाती हैं. दुन‍िया में 60 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न उत्पादन तो केवल चावल, गेहूं व मक्का से हो रहा है. जाह‍िर है क‍ि कुछ ही फसलों पर विश्व की खाद्यान्न आपूर्ति टिकी हुई है, जो कि हमारे भविष्य के लिए-शुभ संकेत नहीं है. क्लाइमेट चेंज की चुनौत‍ियों के वक्त हमें गेहूं, चावल और मक्का आदि के साथ-साथ क‍िनोवा जैसी पर्यावरण व पोषण हितैषी फसलों फ‍िर से सामने लाने की जरूरत है.

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