इन दिनों में खेती और इसकी पद्धतियों में बहुत तेजी से बदलाव हो रहे हैं. मॉडर्न फार्मिंग में सबसे ज्यादा चलन नेचुरल फार्मिंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग का है. मगर बहुत सारे लोग अभी नेचुरल और ऑर्गेनिक खेती में सही अंतर नहीं समझ पाते. हालांकि ये दोनों ही केमिकल-मुक्त और स्वास्थ्यप्रद फसल उत्पादों के लिए जानी जाती हैं, लेकिन इन दोनों ही खेती के तरीके, लागत और उत्पाद की क्वालिटी अलग-अलग होती हैं.
नेचुरल फार्मिंग या प्राकृतिक खेती पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों पर ही आधारित होता है. यानी इसमें बाहरी या बाजार से खरीदी हुई खाद, कीटनाशक या कोई अन्य जैविक इनपुट नहीं डाल सकते. प्राकृतिक खेती का मूल सिद्धांत ये है कि जमीन, पौधे और पशु ही सही संतुलन बना सकते हैं. मतलब प्राकृतिक खेती में किसी भी हाल में प्राकृतिक चक्र को नहीं छेड़ा जाता. नेचुरल फार्मिंग एक तरह से कृषि की सबसे प्राचीन विधि है, जिसमें खेती नेचर के प्राकृतिक चक्रों और प्रक्रियाओं पर निर्भर होती है, जैसे कि पौधों और जानवरों के बीच संबंध, मिट्टी के सूक्ष्मजीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों का अपघटन और फसल चक्रण.
प्राकृतिक खेती में मिट्टी को जीवित और उपजाऊ बनाए रखना मकसद होता है और इसके लिए जैविक पदार्थों, जैसे कि गोबर, केंचुआ खाद और कंपोस्ट का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा नेचुरल फार्मिंग में मिट्टी को जितना कम हो सके उतना कम जोता जाता है. इससे मिट्टी के सूक्ष्मजीवों और संरचना को नुकसान नहीं पहुंचता. नेचुरल फार्मिंग को जीरो-कॉस्ट फार्मिंग भी कहते हैं.
पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर होने से प्राकृतिक खेती में लागत बहुत कम होती है. इस तरह की खेती में इस्तेमाल होने वाली अधिकतर चीजें खेत में ही तैयार हो जाती हैं. हालांकि नेचुरल फार्मिंग करने पर शुरू में उत्पादन काफी कम होता है, लेकिन जब एक बार मिट्टी की सेहत सुधरने लगती है तो उत्पादन स्थिर हो जाती है.
जैविक खेती में भी किसी तरह के रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, मगर प्राकृतिक खेती के उलट इसमें जैविक खाद, वर्मी-कम्पोस्ट, नीम-आधारित कीटनाशक या अन्य कम्पोस्ट जैसे उत्पाद डाले जाते हैं. इसके साथ ही जैविक खेती से उपजे उत्पादों को जब बाजार में बेचना होता है तो इसमें प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) की भी प्रक्रिया भी होती है. ये सर्टिफिकेट मिलने से आपके उत्पाद को मार्केट में प्रीमियम कीमत मिलती है. ऑर्गेनिक खेती का सबसे अहम उद्देश्य पर्यावरण को रसायन मुक्त रखते हुए मिट्टी, जल और वायु को बिना प्रदूषित किए उत्पाद उगाना है. जैविक खेती में हरी खाद, फसल चक्र, केंचुआ खाद और तमाम तरह के जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है.
ऑर्गेनिक फार्मिंग में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना खेती की जाती है. जैविक खेती से उपजे उत्पाद पूरी तरह से केमिकल से मुक्त होते हैं और इंसानी स्वास्थ के लिए भी बेस्ट होते हैं. इसके अलावा ऑर्गेनिक खेती मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है और इससे जैव विविधता को भी बढ़ावा मिलता है.
जैविक खेती में किसानों की लागत ज्यादा हो सकती है, क्योंकि इसके लिए ऑर्गेनिक खाद और दूसरी तरह की गैर-रासायनिक चीजें डालनी पड़ती हैं. जैविक खेती की अच्छी बात ये है कि इसमें प्राकृतिक खेती से ज्यादा पैदावार मिलती है. ऐसा इसलिए क्योंकि बाहरी जैविक पदार्थ फसल को पोषण देने में मदद करते हैं.
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