Shaktipeeth Expressway Protest: महाराष्ट्र में शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे का विरोध तेज करेंगे किसान, स्वतंत्रता दिवस पर खेतों में फहराएंगे तिरंगा

Shaktipeeth Expressway Protest: महाराष्ट्र में शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे का विरोध तेज करेंगे किसान, स्वतंत्रता दिवस पर खेतों में फहराएंगे तिरंगा

Shaktipeeth Expressway Protest: महाराष्ट्र के 12 जिलों के किसान प्रस्तावित शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के खिलाफ एक अनोखे विरोध प्रदर्शन के तहत स्वतंत्रता दिवस पर अपने खेतों में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे. उनका दावा है कि इससे उपजाऊ कृषि भूमि नष्ट हो जाएगी. 15 अगस्त के विरोध प्रदर्शन का अभियान नारा होगा, "हमारे खेत में तिरंगा लहराता है, हमारे खेत में शक्तिपीठ का कोई स्थान नहीं है."

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महाराष्ट्र में शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे का विरोध तेज करेंगे किसान, स्वतंत्रता दिवस पर खेतों में फहराएंगे तिरंगाखेतों में तिरंगा फहराकर विरोध करेंगे किसान (AI Image)

महाराष्ट्र में प्रस्तावित शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे को लेकर किसानों के बीच खासा रोष है. अब खबर है कि कम से कम 12 जिलों के किसान इस एक्सप्रेसवे के खिलाफ एक अनोखा विरोध प्रदर्शन प्लान कर रहे हैं. इस स्वतंत्रता दिवस पर सभी किसान अपने खेतों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले हैं. उनका दावा है कि प्रस्तावित शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे से उपजाऊ कृषि भूमि नष्ट हो जाएगी.

शक्तिपीठ परियोजना से "आजादी" की मांग

कांग्रेस एमएलसी सतेज पाटिल ने कहा कि 15 अगस्त के विरोध प्रदर्शन का अभियान नारा होगा, "हमारे खेत में तिरंगा लहराता है, यहां शक्तिपीठ का कोई स्थान नहीं." पाटिल ने कहा कि इससे राज्य सरकार को कड़ा संदेश जाएगा. कांग्रेस एमएलसी ने बताया कि यह फैसला शनिवार को शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे विरोधी संघर्ष समिति की एक ऑनलाइन बैठक में लिया गया. इस बैठक में प्रभावित जिलों के सभी किसान और जनप्रतिनिधि शामिल हुए.

पाटिल ने कहा कि ये विरोध प्रदर्शन किसानों की परियोजना से "आजादी" की मांग का प्रतीक है. सतेज पाटिल ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन एक व्यापक आंदोलन का हिस्सा है, जिसमें प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के भी 13 अगस्त को कोल्हापुर के बिंदु चौक पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की उम्मीद है.

क्या है शक्तिपीठ एकस्प्रेसवे परियोजना?

दरअसल, इस साल जून में महाराष्ट्र सरकार ने महत्वाकांक्षी 'महाराष्ट्र शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे' के लिए 20,787 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी थी. यह एक्सप्रेसवे 12 जिलों से होकर गुजरेगा और पूर्वी महाराष्ट्र को दक्षिणी कोंकण से जोड़ेगा. अधिकारियों के अनुसार, 802 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे से नागपुर और गोवा के बीच यात्रा का समय 8 घंटे रह जाएगा, जो अभी 18 घंटे लगता है.

गौर करने वाली बात ये है कि अधिकारियों ने पहले बताया था कि महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) इस परियोजना का क्रियान्वयन करेगा और हुडको ने लगभग 7,500 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण के लिए 12,000 करोड़ रुपये का लोन स्वीकृत किया है. उन्होंने बताया कि एक्सप्रेसवे का उद्देश्य राज्य के सभी शक्तिपीठों को जोड़ना और पर्यटन एवं कनेक्टिविटी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना है. हाई-स्पीड कॉरिडोर वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, नांदेड़, परभणी, बीड, लातूर, धाराशिव, सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग जिलों से होकर गुजरेगा.

परियोजना का क्यों हो रहा विरोध?

कांग्रेस एमएलसी सतेज पाटिल ने आरोप लगाया कि एक्सप्रेसवे की लागत 86,000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 1.06 लाख करोड़ रुपये हो गई है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह पहले अविकसित क्षेत्रों में सड़क निर्माण और किसानों की कर्जमाफी पर ध्यान केंद्रित करे. किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य ऐसे समय में "भूमि को मुक्त" कराना है जब देश में कृषि योग्य भूमि तेजी से घट रही है.

वहीं शिवसेना (यूबीटी) नेता विनायक राउत ने दावा किया कि एक्सप्रेसवे से केवल ठेकेदारों और राजनेताओं को ही फायदा होगा, जबकि विधायक कैलाश पाटिल ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि यह परियोजना उनके लिए "ड्रीम" या "क्रीम" हो सकता है. पूर्व विधायक ऋतुराज पाटिल ने बताया कि इस बैठक में 15 अगस्त को ग्राम सभाओं में एक्सप्रेसवे विरोधी प्रस्ताव पारित करने और गांवों में हस्ताक्षर अभियान शुरू करने का भी संकल्प लिया गया. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कोल्हापुर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र के 10 गांवों में यह अभियान शुरू होगा.

(सोर्स- PTI)

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