राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 की सबसे चर्चित सीट शिव से निर्दलीय उम्मीदवार रविद्र सिंह भाटी चुनाव जीत गए हैं. भाटी टिकट की चाह में भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन यहां से उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया. आखिर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते हैं. शिव से टक्कर दो निर्दलीय उम्मीदवारों में ही थी. कांग्रेस के बागी फतेह खान दूसरे नंबर पर रहे हैं. कांग्रेस के वयोवृद्ध उम्मीदवार अमीन खान (84) तीसरे नंबर पर रहे. दोपहर दो बजे तक अमीन खान को 35 हजार से कुछ अधिक वोट ही मिले हैं. वहीं, 41 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए हैं. वहीं, भाटी ने 64 हजार से ज्यादा वोट अपने पक्ष में किए. भाटी संभवत इस विधानसभा में सबसे युवा चेहरे होंगे. वे महज 26 साल के हैं.
राजनीति और रेत के धोरों में एक समानता है कि वे एक रात में कहीं से उठकर कहीं बैठ जाते हैं. यहां किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता. रेतीले राजस्थान में पाकिस्तान के बॉर्डर से कुछ किलोमीटर दूर शिव विधानसभा में इन चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस का पसीना सूखता रहा. क्योंकि यहां से 26 साल एक लड़के ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की ताल ठोक दी थी. बेहद ऊहा-पोह के बीच रविन्द्र सिंह भाटी ने बीजेपी से बागी होकर बेहद चर्चित चुनाव लड़ा है. टिकट वितरण से कुछ दिन पहले ही रविन्द्र ने भाजपा ज्वाइन की थी. बीजेपी में आने के बाद चर्चा थी कि उन्हें पार्टी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने चुनाव लड़ा सकती है, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. ऐन मौके पर रविन्द्र ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. भाटी मारवाड़ में युवाओं का एक नया चेहरा बनकर उभरे हैं. ये उनका पहला चुनाव है.
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शिव का ये चुनाव दो निर्दलीय और दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के बीच फंस गया था. यहां से कांग्रेस ने अपने बुजुर्ग नेता अमीन खान को 10वीं बार टिकट दिया. वहीं कांग्रेस से ही टिकट मांग रहे फतेह खान का टिकट कटने पर वे बागी हो गए. उन्होंने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा है. वहीं, बीजेपी ने भी शिव से भाटी का टिकट काटकर स्वरूप सिंह खारा को टिकट दिया है. इस तरह शिव विधानसभा में दोनों पार्टियों के बागी चुनाव लड़े हैं. इसीलिए शिव का चुनाव देशभर में काफी चर्चित भी रहा है.
रविंद्र सिंह भाटी बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा क्षेत्र में स्थित दुधोड़ा गांव के रहने वाले हैं. पिछले एक साल से भाटी इसी सीट से अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटे थे. बीते साल रन फॉर रेगिस्तान नाम का मैराथन निकालकर भाटी ने हजारों की संख्या में युवाओं को इकठ्ठा कर शक्ति प्रदर्शन किया था. भाटी मारवाड़ की सबसे बड़े जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं.
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रविंद्र ने जय नारायण यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के दौरान कई आंदोलन किए हैं. यहां वे एबीवीपी से जुड़े हुए थे, लेकिन यहां भी उन पर भरोसा नहीं जताया गया. इसीलिए उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और छात्रसंघ अध्यक्ष बने. भाटी ने हजारों युवाओं की भीड़ के साथ गहलोत सरकार के खिलाफ विधानसभा का घेराव भी किया था. इस आंदोलन में भाटी यूनिवर्सिटी की जमीन बचाने में कामयाब भी रहे थे. इसी वजह से भाटी का युवाओं में काफी क्रेज है. इसीलिए इन चुनावों में भाटी के समर्थन में प्रदेशभर के स्टूडेंट और दूसरे राज्यों की यूनिवर्सिटिज से लड़के उन्हें समर्थन देने आए.
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