Stubble Burning: पराली जलाने की घटनाओं में कमी के लिए एक्शन प्लान तैयार, हरियाणा के ये 10 जिले हैं टारगेट

Stubble Burning: पराली जलाने की घटनाओं में कमी के लिए एक्शन प्लान तैयार, हरियाणा के ये 10 जिले हैं टारगेट

Stubble Burning: 2023 की तुलना में पिछले धान सीजन के दौरान सक्रिय पराली जलाने वाले स्थानों में 39% की गिरावट हासिल करने के बाद, हरियाणा कृषि और किसान कल्याण विभाग ने लक्षित कार्रवाई के लिए सबसे अधिक पराली जलाने के मामलों वाले 10 जिलों की पहचान की है.

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पराली जलाने की घटनाओं में कमी के लिए एक्शन प्लान तैयार, हरियाणा के ये 10 जिले हैं टारगेटपराली प्रबंधन के लिए प्लान रेडी. (सांकेतिक फोटो)

पिछले सीजन पराली जलाने की घटनाओं में बहुत हद तक कमी लाने के बाद, इस सीजन के लिए फिर से हरियाणा कृषि और किसान कल्याण विभाग ने प्लानिंग शुरू कर दी है. इसके तहत विभाग ने टार्गेटेड एक्शन के लिए हरियाणा में ऐसे 10 जिलों की पहचान की है, जहां सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आते हैं. बता दें कि हरियाणा कृषि और किसान कल्याण विभाग ने 2023 की तुलना में पिछले धान सीजन के दौरान सक्रिय पराली जलाने वाली लोकेशनों (AFL) में 39% की गिरावट हासिल की है. विभाग की ओर से इन फोकस वाले जिलों के उपायुक्तों को पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं.

जिलों के उपायुक्तों को समझाया गया प्लान

इसको लेकर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन जिलों के उपायुक्तों से फसल अवशेष जलाने की रोकथाम और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए विशेष उपाय अपनाने का अनुरोध किया गया है. लाल और पीले क्षेत्र के गांवों और प्रमुख धान उत्पादक गांवों में एक केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए. अधिकारियों को सूक्ष्म स्तर पर व्यापक जागरूकता शिविर लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं.

कृषि विभाग ने इन जिलों को किया चिन्हित-

  1. फतेहाबाद
  2. जींद
  3. कैथल
  4. अंबाला
  5. सिरसा
  6. कुरुक्षेत्र
  7. करनाल
  8. हिसार
  9. यमुनानगर
  10. सोनीपत

किन जिलों में कितने घटे पराली के मामले

अंग्रेजी अखबरा 'द ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन जिलों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है, लेकिन कई जिलों में पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है-

  • फतेहाबाद में पराली जलाने के मामले 2023 में 579 से घटकर, 15 सितंबर से 30 नवंबर, 2024 तक 130 हो गए.
  • जींद में 343 से घटकर 218 हो गए, कैथल में 262 से घटकर 194 हो गए
  • अंबाला में 195 से घटकर 99 और सिरसा में 188 से घटकर 162 मामले हुए
  • कुरुक्षेत्र में पराली के मामले 154 से घटकर 132 और करनाल में 126 से घटकर 96 दर्ज हुए
  • हिसार में भी पराली जलाने के मामले 111 से घटकर 49 ही रह गए
  • यमुनानगर में 98 से घटकर 38 और सोनीपत में 78 से घटकर 70 हो गए
  • मगर पानीपत जैसे कुछ जिलों में पराली के मामलों में वृद्धि देखी गई, जहां ये 25 से बढ़कर 41 हो गए

फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 50% सब्सिडी

इस बीच, फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) घटक के अंतर्गत धान फसल अवशेष आपूर्ति श्रृंखला बनाने का काम शुरू हो गया है. किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), पंचायतों और प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) से सब्सिडी के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. व्यक्तिगत किसानों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 20 अगस्त है. वहीं अन्य श्रेणियों के लिए आवेदन 7 अगस्त को समाप्त हो गए. अब तक लगभग 50 किसानों ने अवशेष प्रबंधन मशीनरी खरीदने के लिए बैक-एंड सब्सिडी के लिए आवेदन किया है.

करनाल के उप-कृषि निदेशक (डीडीए) डॉ. वज़ीर सिंह ने बताया कि विभाग 2025-26 सीआरएम योजना के तहत सुपर एसएमएस, बेलर, हैप्पी सीडर, रोटरी स्लेशर, मल्चर, रिवर्सिबल एमबी प्लाऊ, जीरो-टिल ड्रिल, सुपर सीडर, सरफेस सीडर, क्रॉप रीपर, लोडर और टेडर जैसे उपकरणों पर सब्सिडी दे रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत किसानों को 50% सब्सिडी या स्वीकृत विभागीय दर, जो भी कम हो, दी जाएगी.

किसान यहां से कर सकते हैं आवेदन

अगर आपको फसल अवशेष प्रबंधन की मशीनों के लिए आवेदन करना है तो www.agriharyana.gov.in पर जाएं और आवेदन करें. इसके लिए पहले किसान को रबी 2025 और खरीफ 2024 की फसलों के लिए 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर पंजीकृत होना होगा. डॉ. सिंह ने बताया कि प्रत्येक परिवार के केवल एक सदस्य ही आवेदन कर सकते हैं और जिन लोगों को पिछले तीन सालों में किसी विशिष्ट उपकरण के लिए सब्सिडी मिली है, वे उसी उपकरण के लिए दोबारा आवेदन करने के पात्र नहीं हैं. इसका चयन डीसी की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय कार्यकारी समिति द्वारा किया जाएगा.

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