पंजाब में अक्सर धान की कटाई के बाद पराली का मसला गर्माता है. इस मुद्दे को हल करने के लिए राज्य के कृषि विभाग की तरफ से किसानों को सब्सिडी पर मशीने मुहैया कराई जाती हैं. अब जरा सोचिए कि अगर ये मशीनं ही गायब हो जाएं तो. पंजाब के फिरोजपुर में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. यहां पर कृषि विभाग की तरफ से सब्सिडी पर खरीदी गई 12452 मशीनों में से 5600 मशीनें गायब हो गई हैं.
ये मशीने धान की पराली के रखरखाव के लिए पंजाब सरकार की तरफ से किसानों और विभाग को सब्सिडी पर उपलब्ध कराई गई थीं. मामला सामने आने पर हड़कंप मच गया है और विभाग ने जिला खेतीबाड़ी अधिकारी को इस मामले पर चार्जशीट जारी की है. साथ ही एक ब्लाक अधिकारी को पूरे मामले की वजह से सस्पेंड कर दिया गया है. इस मामले को कृषि विभाग की बड़ी लापरवाही करार दिया जा रहा है. पराली प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा खरीदी गई 12,452 मशीनों में से करीब 5,600 मशीनें गायब पाई गई हैं. इन मशीनों की कीमत करोड़ों रुपये बताई जा रही है. माना जा रहा है कि यह सब अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है.
दरअसल, पंजाब सरकार किसानों को पराली प्रबंधन की मशीनें खरीदने पर 90 फीसदी तक की सब्सिडी देती है. लंबे समय से इस मामले की शिकायतें मिल रही थीं लेकिन जिला कृषि विभाग की ओर से जांच को दबाने की कोशिश की जा रही थी. जब डिप्टी कमिश्नर (DC) फिरोजपुर, दीपशिखा शर्मा, ने पराली न जलाने की मुहिम के तहत अधिकारियों के साथ बैठक में मशीनों का रिकॉर्ड मांगा तब जाकर यह सारा मामला खुला.
जब मशीनों की फिजिकल वेरिफिकेशन कराई गई, तो चौंकाने वाला सच सामने आया—हजारों मशीनें लापता थीं. मामले की गंभीरता को देखते हुए DC ने जांच के लिए एक कमेटी बनाई. जांच रिपोर्ट में साफ हुआ है कि मशीनों की खरीद-फरोख्त में भारी गड़बड़ी हुई है. रिपोर्ट पंजाब कृषि विभाग को भेजी गई, जिसके बाद कार्रवाई करते हुए हल्का गुरुहरसहाए के ब्लॉक कृषि अधिकारी को सस्पेंड किया गया है ओर जिला कृषि अधिकारी को चार्जशीट किया गया. अब यह जांच हो रही है कि ये मशीनें वास्तव में किसानों को दी गई थीं या सिर्फ कागजों में खरीद दिखाकर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया.
मशीन बेचने वाले सरबजीत ने बताया कि मशीन विक्रेताओं के अनुसार, पराली को इकट्ठा कर गांठ बनाने वाली छोटी मशीन की कीमत 4–5 लाख रुपये है. जबकि बड़ी मशीन 17–18 लाख रुपये तक की होती है. इन पर 50 फीसदी से 90 फीसदी तक की सब्सिडी दी जाती है. यह किसानों और सहकारी समितियों को उपलब्ध होती है. 2.5 एकड़ से ज्यादा की जमीन रखने वाले किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.(अक्षय कुमार का इनपुट)
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