भारत सरकार ने बांग्लादेश से कुछ जूट आधारित वस्तुओं के आयात पर नए प्रतिबंध लगाए हैं. खबर है कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने 11 अगस्त, 2025 को एक सरकारी अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी है. यह फैसला आईटीसी (एचएस), 2022 अनुसूची 1 के तहत मौजूदा आयात नीति में संशोधन करता है और तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है. इसे आदेश के अनुसार, जूट या अन्य टेक्सटाइल बास्ट फाइबर से बने, ब्लीच किए या बिना ब्लीच किए, बुने हुए कपड़े, सुतली, डोरी, रस्सी, जूट से बने केबल और जूट के बोरे व थैलों सहित कई वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया है. इन चीजों को अब भारत-बांग्लादेश सीमा पर किसी भी भूमि बंदरगाह के माध्यम से भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी.
गौरतलब है कि जूट सेक्टर ऐतिहासिक रूप से भारत-बांग्लादेश व्यापार संबंधों में एक संवेदनशील क्षेत्र रहा है, दोनों देश जूट उत्पादों के प्रमुख उत्पादक और निर्यातक हैं. बांग्लादेश कपड़ा क्षेत्र में भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करता है और अब भारत पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के साथ, अमेरिका को कपड़ा निर्यात पर इसका बड़ा लाभ होगा. 2023-24 में भारत-बांग्लादेश व्यापार 12.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. 2024-25 में, बांग्लादेश को भारत का निर्यात 11.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि आयात 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में जूट की खेती सबसे ज्यादा होती है. भारत के कुल जूट उत्पादन का बंगाल में अकेले लगभग 70% हिस्सा होता है. यही वजह है कि पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग में 40 लाख किसान और करीब 4 लाख श्रमिक जुड़े हैं. बांग्लादेशी जूट उत्पादों के आयात से बंगाल में घरेलू जूट की मांग लगातार घट रही थी जिससे बंगाल का जूट उद्योग संकट में आ रहा था. मगर अब इस बंदरगाह प्रतिबंध का पश्चिम बंगाल के जूट किसानों और स्थानीय जूट उद्योग पर सकारात्मक असर पड़ेगा. बांग्लादेश से आयात कम या महंगा होने पर घरेलू बाजार की सप्लाई बनाए रखने के लिए बंगाल के स्थानीय किसानों और उद्योगों को अपने जूट उत्पादों का अच्छा दाम मिलेगा. साथ ही जब विदेशी से आ रहा सस्ता माल घटेगा तो स्थानीय जूट की मांग बढ़ेगी और इससे बंगाल के किसानों की आय में सीधे तौर पर इजाफा होगा.
इस अधिसूचना के मुताबिक, भारत-बांग्लादेश सीमा के बजाय, इन आयातों को केवल महाराष्ट्र के न्हावा शेवा बंदरगाह के माध्यम से ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी. अधिसूचना में कहा गया है, "भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित किसी भी भूमि बंदरगाह से बांग्लादेश से आयात की अनुमति नहीं होगी. हालांकि, इसकी अनुमति केवल न्हावा शेवा बंदरगाह के माध्यम से ही होगी." DGFT अधिसूचना में कहा गया है कि ये प्रतिबंध विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत और मई-जून 2025 में घोषित पूर्व उपायों के क्रम में लागू किए जा रहे हैं. हालांकि आदेश में इस नए कदम के पीछे के कारणों का उल्लेख नहीं है, लेकिन ऐसे उपाय अक्सर गुणवत्ता नियंत्रण, व्यापार संतुलन संबंधी चिंताओं या प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के दबावों से घरेलू उद्योगों की सुरक्षा से जुड़े होते हैं.
(सोर्स- ANI)
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