भारत में पोल्ट्री स्वास्थ्य सुधारने और इस सेक्टर को अत्याधुनिक समाधान देने के लिए भारतीय बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने अमलान इंटरनेशनल के साथ हाथ मिलाए हैं. अमलान इंटरनेशनल, अमेरिका की ऑयल-ड्रि कॉरपोरेशन का पशु स्वास्थ्य व्यवसाय है. दोनों साझेदार कंपनियों का कहना है कि इससे भारत के पोल्ट्री क्षेत्र में ज्ञान साझा करने, तकनीकी प्रशिक्षण और सतत विकास के लिए एक रूपरेखा भी स्थापित होगी.
एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स और अमलान इंटरनेशनल ने एक संयुक्त बयान में कहा कि इस साझेदारी से एडवांस्ड आहार योजकों तक पहुंच बढ़ेगी, जो आंत के स्वास्थ्य, पोषक तत्व अवशोषण और आहार रूपांतरण अनुपात (FCR) में सुधार करेगा. साथ ही बेहतर पोल्ट्री उत्पादन सुनिश्चित करेगा और हाई क्वालिटी वाले प्रोटीन के लिए पोल्ट्री उद्योग की बढ़ती मांग में मदद करेगा.
एक प्रेस रिलीज में एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स के प्रबंध निदेशक शौनक अमीन ने कहा कि इस साझेदारी से उन्हें भारत भर के पोल्ट्री किसानों के लिए वैज्ञानिक रूप से समर्थित, व्यावहारिक समाधान लाने में मदद मिली है. उन्होंने कहा, "टॉक्सिन बाइंडर और आंत के स्वास्थ्य में अम्लान की विशेषज्ञता और बाजार में हमारी मजबूत उपस्थिति के साथ, हम न केवल नए उत्पाद पेश कर रहे हैं, बल्कि पोल्ट्री फार्मिंग में प्रमुख चुनौतियों का समाधान भी कर रहे हैं." शौनक ने आगे कहा कि हमारा दीर्घकालिक लक्ष्य दक्षता में सुधार लाना और उद्योग के लिए ज्यादा टिकाऊ भविष्य की दिशा में योगदान देना है.”
वहीं इस कमर्शियल समझौते पर हस्ताक्षर के मौक पर, कृषि उपाध्यक्ष और अमेरिका की अमलान इंटरनेशनल के अध्यक्ष डॉ. डब्ल्यू वेड रॉबी ने कहा, "साझेदारी की यह मजबूत नींव नए और अनुसंधान आधारित उत्पादों के द्वार खोलेगी, जो व्यापक रूप से भारत के पोल्ट्री और फीड मिलिंग क्षेत्र तक पहुंचेगी." उन्होंने कहा कि अमलान इंटरनेशनल के लिए एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स इंडिया के साथ सहयोग करना खुशी की बात है, जिसकी वैश्विक उपस्थिति के साथ ही एक मजबूत विरासत भी है. रॉबी ने आगे कहा कि यह समझौता मजबूत सहयोग, निरंतर सीखने, ज्ञान साझा करने और पोल्ट्री उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्पादों की एक रेंज के माध्यम से सफल पोल्ट्री के लिए रूपरेखा तैयार करेगा.”
गौरतलब है कि हाल ही में एक स्टडी में सामने आई थी जिसमें दावा किया गया था कि मुर्गे-मु्र्गियों में संक्रमण की रोकथाम के लिए पोल्ट्री उद्योग की कंपनियां ‘अतिरिक्त’ एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं. ये स्टडी यूके रॉयल वेटनरी कॉलेज और पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय (WBUAFS) के सहयोग से की गई है. अध्ययन में पता चला है कि पोल्ट्री ब्रीडिंग कंपनियां चूज़ों को बैक्टीरिया से संक्रमित होने से बचाने में असमर्थ हैं. इस कारण उत्पादकों को शुरुआती चरण में ही एंटीबायोटिक्स का सहारा लेना पड़ रहा है. लेकिन पोल्ट्री उद्योग के अधिकारी इसका खंडन कर रहे हैं.
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