पटना में पहली बार पैरा-वेट कोर्स, BASU को सरकार की हरी झंडी का इंतजार!

पटना में पहली बार पैरा-वेट कोर्स, BASU को सरकार की हरी झंडी का इंतजार!

पटना के कई युवा वेटनरी के क्षेत्र में पैरा-वेटनरियन बनना चाहते हैं, लेकिन पटना में इस तरह के कोर्स उपलब्ध न होने के कारण उन्हें दूसरे जिलों और राज्यों का रुख करना पड़ता है. अब ऐसे छात्रों के लिए एक अच्छी खबर है. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पहली बार पैरा-वेटनरियन के लिए डिप्लोमा डिग्री देने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है.

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पटना में पहली बार पैरा-वेट कोर्स, BASU को सरकार की हरी झंडी का इंतजार!बिहार पशु विज्ञान विव‍ि में पैरा वेटनरी कोर्स हाेगा शुरू!

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (बासु), पटना जल्द ही पैरा-वेट डिप्लोमा और एआई टेक्नीशियन सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहा है. पटना वेटरनरी कॉलेज के डीन ने बताया कि इन कोर्सों के शुरू होने के बाद राज्य में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे. जैसे ही राज्य सरकार से स्वीकृति मिलेगी, इस सत्र से पढ़ाई शुरू हो जाएगी. पटना के कई युवा वेटनरी के क्षेत्र में पैरा-वेटनरियन बनना चाहते हैं, लेकिन राजधानी में इस तरह के कोर्स उपलब्ध न होने के कारण उन्हें दूसरे जिलों या राज्यों का रुख करना पड़ता है. अब ऐसे छात्रों के लिए एक अच्छी खबर है. 

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पहली बार पैरा-वेटनरियन के लिए डिप्लोमा डिग्री देने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है. स्वीकृति मिलते ही बासु इस कोर्स को शुरू करने वाला पटना का पहला विश्वविद्यालय बन जाएगा.

राज्य सरकार को दो नए कोर्सों के लिए भेजा प्रस्ताव

बिहार वेटनरी कॉलेज के डीन, डॉ. जे.के. प्रसाद ने बताया कि विश्वविद्यालय पहले से ही ग्रेजुएशन स्तर पर साढ़े पांच साल का बैचलर ऑफ वेटनरी साइंस एंड एनिमल हसबैंड्री (BVSc & AH) कोर्स चला रहा है. लगभग एक महीने पहले, दो नए कोर्स शुरू करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. इसमें एक प्रस्ताव ‘स्कूल ऑफ पैरावेट’ खोलने का है, जिसके तहत दो साल का पैरा-वेटनरियन साइंस डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जाएगा. 

दूसरा प्रस्ताव एआई टेक्नीशियन के लिए तीन महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की बात कही गई है. विश्वविद्यालय ने इन कोर्सों से जुड़ी सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली हैं. जैसे ही राज्य सरकार की स्वीकृति मिलेगी, इस सत्र से पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी.

कौन होते हैं पैरा-वेटनरियन?

जिस प्रकार मनुष्यों के इलाज में कंपाउंडर, नर्स, दवा देने वाले, इंजेक्शन लगाने वाले और लैब टेक्नीशियन की भूमिका होती है, उसी तरह वेटनरी क्षेत्र में पैरा-वेटनरियन की भूमिका होती है. वे डॉक्टर के सहायक स्टाफ के रूप में कार्य करते हैं. डीन डॉ. जे.के. प्रसाद के अनुसार, बिहार में पैरा-वेट कर्मियों की भारी कमी है. विश्वविद्यालय में भी सहायक स्टाफ की काफी जरूरत है, जिन्हें विभिन्न कार्यों में लगाया जा सकता है. बिहार सरकार में 1,300 से अधिक पशुधन सहायक के पद खाली पड़े हैं.

बिहार में एआई कर्मियों की भारी कमी

डॉ. प्रसाद के अनुसार, बिहार में करीब 10,000 एआई टेक्नीशियनों की कमी है. इसे ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने एआई टेक्नीशियन का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का निर्णय लिया है. भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, यह कोर्स अधिकांश राज्यों में चल रहा हो रहा है. यह रोजगार का एक बड़ा माध्यम बन सकता है.

कौन कर सकता है आवेदन?

विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, जो छात्र इंटरमीडिएट में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी (PCB) विषयों से पढ़ाई कर चुके हैं, वे पैरा-वेटनरियन कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं.  इसमें फ्रेशर छात्रों के अलावा वे विद्यार्थी भी आवेदन कर सकते हैं, जिनका इंटरमीडिएट के बाद शिक्षा में लंबा अंतराल आ गया है. सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद विश्वविद्यालय इस संबंध में आधिकारिक सूचना जारी करेगा.

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