अमेरिका की ट्रंप सरकार ने भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. यह टैरिफ अब तक 27 अगस्त से लागू होगा. इस ऐलान ने जहां भारतीय निर्यातकों कि लिए फौरी राहत की खिड़की बंद कर दी है. वहीं इससे होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से मदद के उम्मीद बढ़ गई है. इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार शाम अमेरिकी टैरिफ से निपटने की तैयारियों पर एक अहम बैठक बुलाई है.
उम्मीद के जा रही है कि पीएम मोदी की अगुवाई में होने वाली इस बैठक के बाद सरकार कुछ अहम ऐलान कर सकती है जो भारत कि निर्यातकों को राहत देने के साथ साथ वैकल्पिक बाजारों की तलाश में मदद दे. प्रधानमंत्री मोदी की यह बैठक उनकी दो बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों, जापान और चीन की इस महीने के आखिर में होने वाली यात्रा से पहले हो रही है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार निर्यातकों के लिए आर्थिक राहत और खासतौर पर कामगारों के सुरक्षा कि लिए विशेष पैकेज का ऐलान कर सकती है. साथ ही बड़ी तेजी के साथ वैकल्पिक बाजारों के तलाश और कारोबारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के कवायद भी तेज हुई है.
जनकारों के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ ऐलानों का असर अमेरिका के लिए होने वाले भारत के 55% उत्पाद क्षेत्रों पर होगा. इसमें कपड़े, आभूषण, चमड़ा उत्पाद, खिलौने, रसायन, मशीन टूल, प्लास्टिक, समुद्री उत्पाद आदि शामिल हैं. इनमें से कई उत्पाद ऐसे हैं जिनके निर्माण और उत्पादन में बड़ी आबादी रोजगार पाती है.
ट्रंप प्रशासन के ताजा ऐलान ने भारत के इन सभी उत्पादों को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया है क्योंकि भारत कि अधिकतर प्रतिस्पर्धी देशों के उत्पाद भारत पर लागू 50% के मुक़ाबले 30 से 35% कम दरों पर उपलब्ध होंगे. ऐसे में भारतीय उत्पादों के लिए अमेरिकी बाजारों में टिके रहना नामुमकिन हो जाएगा.
इससे निकलने के दो ही सूरत हैं, यदि अमेरिका सरकार रूस-यूक्रेन युद्ध के संभावित समझौते के बाद भारत पर लागू अतिरिक्त 25% टैरिफ़ वापस ले ले. अथवा भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो जाए जो टैरिफ़ दरों को घटाकर 10% या 15% कर दे. हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता पर रुकी हुई बातचीत के मद्देनजर तत्काल किसी समाधान की उम्मीद नहीं है. मगर उम्मीद की किरण बरकरार इसलिए है क्योंकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए रखी गई फॉल ऑफ़ 2025 (अक्टूबर 2025) की डेडलाइन ख़त्म होने में अभी वक्त है. भारत कि विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर यह कह चुके हैं कि अमेरिकी टीम भले न आई हो लेकिन दोनों देशों के बीच कोई कट्टी नहीं है. संपर्क और संवाद के प्रक्रिया जारी रहती है.
निर्यात क्षेत्र विशेषज्ञों के मुताबिक भारत भारत का करीब 45.5 अरब डॉलर का निर्यात नए टैरिफ़ प्रावधानों से प्रभावित होगा. इसका असर तत्काल भले न दिखे लेकिन सितंबर 2025 के निर्यात आंकड़ों में नज़र आने लगेगा. हालांकि अतिरिक्त टैरिफ़ से बचने के लिए अमेरिकी आयातकों और भारतीय निर्यातकों ने फ़्रंटलोडिंग कर इसका असर कम करने का प्रयास किया है. यानी अमेरिका में दिवाली, क्रिसमसऔर न्यू ईयर के त्योहारी सीज़न से पहले आयातकों ने अपना स्टॉक भर लिया है. लेकिन अगर टैरिफ दरों में बदलाव नहीं होता है तो आने वाले गर्मियों के सीजन में इसका असर नजर आने लगेगा.
अमेरिका की तरफ से लगाई गई 50% टैरिफ़ दरों के बावजूद भारत का करीब एक 45 फ़ीसद निर्यात नियम 232 या ज़ीरो टैरिफ़ प्रावधानों के कारण अभी सुरक्षित है. इसमें जरूरी दवाएं, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर आदि शामिल हैं. साथ ही सेवा क्षेत्र को अभी टैरिफ प्रावधानों में फिलहाल शामिल नहीं किया गया है. भारत और अमेरिका का द्विपक्षीय कारोबार करीब 190 अरब डॉलर का है. इसमें से उत्पाद निर्यात का आंकड़ा लगभग 130 अरब डॉलर का है.(प्रणव उपाध्याय की रिपोर्ट)
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