हाल ही में भारतीय आयातकों ने चीन से सोयाबीन तेल (Soyabean Oil) की खरीद पर रोक लगा दी है. पिछले महीने भारत ने रिकॉर्ड 1.5 लाख टन सोया ऑयल के सौदे किए थे, लेकिन अब इन सौदों के बाद चीन से कोई नई खरीद नहीं हो रही है. इसका मुख्य कारण है- अर्जेंटीना की ओर से कीमतों में कटौती.
भारत अपनी ज़्यादातर सोया ऑयल की ज़रूरत अर्जेंटीना से पूरी करता है (लगभग 65%). जब भारत ने चीन से बड़ा सौदा किया, तो अर्जेंटीना ने तुरंत अपने रेट कम कर दिए. इसके चलते भारतीय कंपनियों ने चीन से फिलहाल खरीद बंद कर दी है.
मुंबई में डिगम्ड सोया ऑयल की लैंडेड कॉस्ट (import price) अभी $1,205 प्रति टन है. ये कीमत पिछले हफ्ते से करीब 2% और पिछले साल की तुलना में करीब 18.5% ज्यादा है. वहीं, RBD पाम ऑयल की कीमत $1,105 प्रति टन है, जो सोया ऑयल से सस्ती है.
भारत की 9 बड़ी कंपनियों जैसे पतंजलि फूड्स, अडानी विल्मर और विदेशी कंपनियां जैसे कारगिल (Cargill), बुंगे (Bunge), ADM और लुई ड्रेफस (Louis Dreyfuss) ने चीन की दो कंपनियों से सितंबर से दिसंबर 2025 के बीच डिलीवरी के लिए सोया ऑयल के सौदे किए थे. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के निदेशक बीवी मेहता ने बताया कि अब भारतीय कंपनियां काफी समझदारी से काम ले रही हैं और जहां से सस्ता तेल मिल रहा है, वहां से खरीद रही हैं- चाहे वह वियतनाम हो या नेपाल.
वियतनाम में Bunge कंपनी का क्रशिंग प्लांट है, जहां से तेल निकालकर भारत भेजा जाता है. नेपाल भी भारत को सस्ता रिफाइंड सोया ऑयल, सूरजमुखी और रेपसीड ऑयल साउथ एशियन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (SAFTA) के तहत निर्यात कर रहा है.
अर्जेंटीना से तेल आने में 6 हफ्ते (45-60 दिन) लगते हैं, जबकि वियतनाम और चीन से यह डिलीवरी 10 से 21 दिनों में हो जाती है. ऐसे में अगर चीन फिर से अर्जेंटीना जैसी कीमतें देता है, तो भारतीय कंपनियां वहां से खरीद शुरू कर सकती हैं.
2021 में अमेरिका सरकार ने बायोफ्यूल में सोया ऑयल इस्तेमाल का आदेश दिया, जिसके बाद वहां कई क्रशिंग प्लांट्स खुलने लगे. 2023 से अब तक 8 प्लांट शुरू हो चुके हैं और 7 और बनने वाले हैं.
2024 में अमेरिका ने 4.6 लाख टन सोया ऑयल एक्सपोर्ट किया, जिसमें 20% हिस्सा भारत ने खरीदा. SEA के अनुसार, नवंबर 2024 से जुलाई 2025 के बीच भारत ने अमेरिका से 1.88 लाख टन सोया ऑयल मंगवाया.
अगर चीन अपनी कीमतें फिर से कम करता है और सप्लाई समय पर देता है, तो भारतीय आयातक दोबारा चीन की ओर रुख कर सकते हैं. फिलहाल, भारत सस्ते और जल्दी मिलने वाले विकल्पों पर ध्यान दे रहा है.
तेल की कीमतें और डिलीवरी टाइम भारतीय कंपनियों के फैसलों को प्रभावित कर रहे हैं. स्मार्ट खरीदारी के ज़रिए भारत अपनी ज़रूरतें पूरी कर रहा है और लगातार बदलते मार्केट पर पैनी नज़र बनाए हुए है.
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