Potato Production: यूपी में आलू बीज की विक्रय दरों में 1000 रुपये की कमी, किसानों को होगा सीधा फायदा, यहां जानें नया रेट

Potato Production: यूपी में आलू बीज की विक्रय दरों में 1000 रुपये की कमी, किसानों को होगा सीधा फायदा, यहां जानें नया रेट

मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश में लगभग 6.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. विभाग लगभग 42 हजार कुंतल आधारित श्रेणी का आलू बीज किसानों में बीज उत्पादन के लिए वितरित करेगा.

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Potato Production: यूपी में आलू बीज की विक्रय दरों में 1000 रुपये की कमी, किसानों को होगा सीधा फायदा, यहां जानें नया रेटयूपी में लगभग 6.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बुवाई का लक्ष्य

Sale of Potato: प्रदेश के उद्यानमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि योगी सरकार (Yogi government) ने प्रदेश के किसानों एवं आलू उत्पादकों (Potato Production) के हित को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 2023-24 के लिए आलू बीज वितरण व विक्रय की दरें निर्धारित करने में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में राजकीय आलू बीज की उपलब्धता कृषकों को सुगम बनाए जाने के उद्देश्य से प्रदेश के किसानों को बीजोत्पादन के लिए विक्रय हेतु विभागीय दरों में 1,000 रुपये प्रति कुंतल की दर से कमी करके विक्रय दर निर्धारित कर दी गई है. 

उद्यान मंत्री ने बताया कि निर्धारित दरों के अनुसार अब आधारित प्रथम आलू 2,325 रूपये प्रति कुंतल, आधारित द्वितीय आलू 1,915 रूपये प्रति कुंतल, ओवर साइज (आधारित प्रथम) 1655 रूपये प्रति कुंतल, ओवर साइज (आधारित द्वितीय) 1,600 रूपये प्रति कुंतल तथा आधारित प्रथम आलू (ट्रूथफुल) 1570 रूपये प्रति कुंतल बीज हो गया है. सफेद एवं लाल आलू प्रजातियों की बीज विक्रय दरें एक समान है. उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश के किसानों को नकद मूल्य पर आधारित प्रथम, द्वितीय तथा प्रमाणित आलू बीज उपलब्ध कराया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि इन दरों पर प्रदेश के कृषक अपने जनपदीय उद्यान अधिकारी से नकद मूल्य पर बीज प्राप्त कर आलू बीज का उत्पादन कर सकते हैं. यह आलू बीज आधारित प्रथम, आधारित द्वितीय तथा प्रमाणित श्रेणी का है, इससे आगामी वर्षों के लिए बीज तैयार किया जा सकता है, जिससे प्रदेश में आलू के गुणवत्तायुक्त बीज की कमी की पूर्ति होगी. प्रदेश के किसान भाई जनपद के उद्यान अधिकारी से मिलकर निर्धारित दरों पर आलू बीज प्राप्त कर अपने निजी प्रक्षेत्रों पर बीज उत्पादन कर सकते हैं.

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मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश में लगभग 6.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. विभाग लगभग 42 हजार कुंतल आधारित श्रेणी का आलू बीज किसानों में बीज उत्पादन के लिए वितरित करेगा. जिससे किसानों द्वारा अग्रेतर श्रेणी का बीज उत्पादन कर प्रदेश में गुणवत्तायुक्त बीज की कमी को पूरा करने में सहभागी हो सकते हैं. गुणवत्तायुक्त प्रमाणित आलू बीज से प्रदेश के आलू उत्पादन में वृद्धि होगी.

उत्तर प्रदेश के उद्यानमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने दी जानकारी
उत्तर प्रदेश के उद्यानमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने दी जानकारी

निदेशक उद्यान अतुल कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2022-23 में प्रदेश के राजकीय प्रक्षेत्रों पर उत्पादन के लिए सीपीआरआई, भारत सरकार से 8782.43 कुन्तल जनक ( ब्रीडर) आलू बीज प्राप्त कर राजकीय प्रदेश के 17 राजकीय प्रक्षेत्रों पर कुल 201.40 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू बीज का उत्पादन कराया गया, जिससे 42728 कुंतल आधारीय श्रेणी के आलू बीज ( कुफरी बहार, कुफरी चिप्सोना-1 एवं 3, कुफरी आनन्द, कुफरी पुखराज, कुफरी सूर्या, कुफरी ख्याति, कुफरी गरिमा, कुफरी सिन्दूरी, कुफरी फ्राईसोना, कुफरी मोहन, कुफरी ललित, कुफरी गंगा, कुफरी नीलकण्ठ, कुफरी केसर एवं कुफरी बादशाह) का उत्पादन प्राप्त हुआ, जिसे राजकीय शीतगृह अलीगंज, लखनऊ तथा मोदीपुरम, मेरठ में भण्डारित किया गया है.

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भण्डारित आलू बीज का प्रदेश के समस्त जनपदों को आवंटित कर किसानों के मध्य नकद मूल्य पर वितरण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रसंस्कृत प्रजातियों के लिए उत्तर प्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था से पंजीकरण के उपरान्त आलू बीज उत्पादन की बैगिंग, टैगिंग कराने पर किसानों को 25,000 रुपये प्रति हैक्टेयर की दर से अनुदान की व्यवस्था है. आलू की प्रसंस्कृत प्रजातियां कुफरी चिप्सोना - 1 एवं 3, कुफरी फ्राईसोना तथा कुफरी सूर्या आदि हैं.

खेती किसानी भी हुई एडवांस

आधुनिकता के दौर में हमारी खेती किसानी भी एडवांस हो गई है. खेती में चुनौतियां कम नहीं हुई है, लेकिन इन चुनौतियों के साथ बेहतर उत्पादन लेना किसानों को आ गया है. हमारे कृषि वैज्ञानिक भी इस काम में पूरा सहयोग कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के कई किसान ऊंची मेड बनाकर आलू की खेती करते हैं, जिससे आलू की फसल में कीट-रोग लगने या नुकसान की संभावना कम हो जाती है. आलू उत्पादन की एयरोपॉनिक तकनीक विकसित कर ली गई है, जो मिट्टी के बिना ही आलू का उत्पादन देती है.

 

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