भारत में इस समय खरीफ फसलों की बुवाई जोरों पर है, जिससे यूरिया की मांग अचानक बहुत बढ़ गई है. इस बढ़ती मांग के कारण देश में यूरिया का स्टॉक तेजी से घट गया है. यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) ने हाल ही में 20 लाख टन यूरिया आयात करने का टेंडर जारी किया है. इससे कुछ दिन पहले ही इंडियन पोटाश लिमिटेड (IPL) भी इसी तरह का आयात आदेश जारी कर चुका है.
1 अगस्त 2025 तक भारत के पास केवल 37.19 लाख टन यूरिया स्टॉक बचा था, जबकि पिछले साल इसी समय यह 86.43 लाख टन था. अप्रैल-जून की तिमाही में यूरिया की बिक्री में 12% की वृद्धि हुई है, जिससे स्टॉक पर और दबाव बना है.
इस साल अच्छी बारिश के कारण धान और मक्का की खेती का क्षेत्र बढ़ा है, जिससे यूरिया की खपत भी ज्यादा हो रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों के कृषि मंत्रियों से अपील की है कि वे यूरिया की समय पर और उचित आपूर्ति सुनिश्चित करें और दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई करें. उन्होंने कहा, "अगर मांग असली खेती के लिए है, तो यूरिया की आपूर्ति की जाएगी. मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है."
सरकार ने यूरिया की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सब्सिडी में 51.5% की वृद्धि की है. वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 31,983.6 करोड़ रूपये की सब्सिडी उर्वरक कंपनियों को दी गई है.
NFL द्वारा जारी टेंडर के तहत पूर्वी और पश्चिमी तटों पर 10-10 लाख टन यूरिया आयात किया जाएगा. रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ने भारत को 3 लाख टन यूरिया बेचने का समझौता किया है, जिससे राहत की उम्मीद है. अगर चीन अपने निर्यात प्रतिबंधों में ढील देता है, तो वैश्विक बाजार में यूरिया के दाम भी कम हो सकते हैं. अभी यह कीमत मई में $425/टन से बढ़कर अगस्त में $530/टन तक पहुंच गई है.
NFL का टेंडर 2 सितंबर को खोला जाएगा, जिससे वैश्विक आपूर्ति और मांग की स्थिति और स्पष्ट हो सकेगी. जून में भले ही यूरिया आयात में 23.7% की बढ़ोतरी हुई, लेकिन अप्रैल-जून में घरेलू उत्पादन में 10% की गिरावट और पहले के महीनों में आयात की कमी ने मौजूदा संकट को और बढ़ा दिया है.
यूरिया की मांग में आई तेज़ बढ़ोतरी के चलते सरकार ने त्वरित और निर्णायक कदम उठाए हैं. आने वाले हफ्तों में आयात और सब्सिडी जैसे उपायों का असर दिखेगा, जिससे किसानों को समय पर यूरिया मिल सकेगा और फसलों की पैदावार प्रभावित नहीं होगी.
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