सरकार किसानों के लिए दर्जनों योजना चलाकर उनके विकास और आय दो गुनी करने का दावा करती है, लेकिन उन्हीं के विभाग के जिम्मेदार अफसर सरकारी योजनाओं को दरकिनार कर रहे हैं. बांदा में चारो तरफ किसानों के बीच हाहाकार मचा हुआ है. एक तो बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी अब जो बची कुची फसल हैं वो खाद और पानी की किल्लत के चलते सूखती जा रही है. आये दिन किसान धरना या सड़कों पर उतरकर हंगामा करते हैं. लेकिन उन्हें मिलता है क्या? कुछ नहीं, पुलिस आती है, आश्वासन देकर किनारे करती और आज भी समस्याएं जस की तस हैं. जिससे साफ दिखाई देता है कि शासन से आने वाले निर्देशों का कागजी कोरम पूरा करके अफसर वाहवाही की ढिंढोरा पीटते हैं.
इसी तरह यूपी के बांदा में अन्नदाता इस कदर परेशान हैं, कि उसकी कोई सुनने वाला नहीं है, दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. सुबह से खाद केंद्रों में किसानों की लंबी लंबी लाइनें देखने को मिलती हैं, शाम होते-होते कुछ किसानों को खाद मिलती है तो कुछ किसान परेशान नजर आते हैं. खाद न मिलने से परेशान किसानों का गुस्सा फूट गया. आक्रोशित किसानों ने नेशनल हाइवे जाम कर दिया और जमकर नारे बाजी की. सूचना पर पहुचीं पुलिस किसानों को समझाया और जाम खुलवाया. किसानों का कहना है कि सोसायटी केंद्रों में सुबह आधार कार्ड जमा कर लेते हैं, इसके बावजूद भी खाद नहीं मिलती है. बाहर की दुकानों में महंगे रेट पर खाद बेची जा रही है, जिससे यहां रोककर बाहर की दुकानों से कालाबाजारी की जा रही है.
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आपको बता दें कि इन दिनों धान की रोपाई के बाद किसानों को खाद की जरूरत पड़ती है. मामला सदर, अतर्रा, पैलानी, नरैनी, बबेरू तहसील क्षेत्र के खाद क्रय केंद्रों का है. जिले में लगभग हर जगह किसान खाद के लिए बेहद परेशान हैं, जहां किसान सुबह 6 बजे से अपना कागजात जमा करके लाइन मे लग जाते हैं, किसानों का कहना है कि हम रोजाना ऐसा करते हैं, रोज खाद नही मिलती, सोसायटी वाले अपने चहेतों को खाद दे देते हैं. और ब्लैक कर लेते हैं.
सुबह से ही महिलाएं आकर लाइन लग जाती हैं. रोजाना खाद न मिलने पर किसान भड़क जाते हैं और रोड को जाम कर देते हैं फिर जमकर हंगामा और अफसरों से सवाल करते हैं. लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. प्राइवेट दुकानों में कृषि विभाग की मिलीभगत से किसानों को महंगे दामों में खाद बेची जा रही है. खुलेआम लूट मची हुई है. विभाग के अफसर खाना पूर्ति के लिए चेकिंग करके अपना कोरम पूरा करके निर्देशों की वाहवाही कर लेते हैं. बांदा जिला प्रशासन के दावों की बात करें तो उनका कहना है कि हमारे पास खाद की मात्रा यानी स्टॉक भरपूर है. लेकिन ये लंबी-लंबी लाइनों की तस्वीरें बहुत कुछ बयां कर रही हैं. क्या बुजुर्ग क्या महिलाएं चारो तरफ किसान खाद के लिए परेशान हैं.
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