UP Weather Updates: अक्टूबर का दूसरा सप्ताह खत्म होने को जा रहा है लेकिन अब भी गर्मी लोगों को सता रही है. प्रदेश के सभी हिस्सों में दिन की चटक धूप देखने को मिल रही है. वही रात के तापमान में गिरावट भी दर्ज की गई है. राजधानी लखनऊ में न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से लेकर 24 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का पूर्वानुमान है. इसी कड़ी में लखनऊ मौसम केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि 15 अक्टूबर को पश्चिमी यूपी में एक दो स्थान पर गरज चमक के साथ बारिश हो सकती है. पूर्वी यूपी में इस दौरान बारिश की संभावना नहीं है. वहीं 16 और 17 अक्टूबर को पश्चिमी और पूर्वी यूपी में कुछ जगहों पर बारिश होने की उम्मीद जताई गई है. जबकि 12, 13 और 14 अक्टूबर को भी मौसम शुष्क रहने का अनुमान है. कहीं भी बादल बिजली और बारिश की कोई संभावना नहीं है. 13 अक्टूबर को एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने जा रहा है, जिसके असर से 15 से 20 अक्टूबर के बीच गुलाबी ठंड दस्तक दे सकती है.
मौसम वैज्ञानिक के अनुसार, 12 अक्टूबर से लेकर 14 अक्टूबर तक प्रदेश में कही भी बारिश होने की कोई भी संभावना नहीं है. इस अवधि में ना ही पश्चिमी यूपी में बारिश व बूंदाबांदी होने के कोई आसार है और ना ही बादल गरजने व बिजली चमकने की कोई चेतावनी ही जारी की गई है. ऐसे ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी मौसम शुष्क रहने के कारण बारिश की कोई संभावना नहीं है. ना ही आकाशीय बिजली गिरने और ना ही बादल गरजने की ही कोई उम्मीद जताई गई है.
बारिश के आंकड़ों के अनुसार, यूपी में 1 जून से 30 सितंबर तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में 799.2 मिमी. की औसत के सापेक्ष में 569.5 मिमी वर्षा हुई है जो 29 फीसदी कम है. वहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश की औसत 672 मिमी के सापेक्ष में 693.9 मिलीमीटर हुई है जो सामान्य से तीन परसेंट अधिक रही है.
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प्रदेश के बिजनौर में सबसे ज्यादा 1270 मिमी बारिश हुई वहीं भदोही में सबसे कम 162 मिमी बारिश दर्ज की गई. मौसम विभाग के वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि राजस्थान के ऊपर निकले क्षोभ मंडल में बने प्रति चक्रवात के प्रभाव से बारिश बंद हो गई है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जून महीने के दौरान सबसे कम बारिश हुई है.
आपको बता दें कि भारत में नवंबर से जनवरी तक अल-नीनो सक्रिय रहने वाला है. इस दौरान मौसम में कई बदलाव देखे जा सकते हैं. अल-नीनो का असर पूरी दुनिया पर देखा जा रहा है जिसके पीछे क्लाइमेट चेंज भी एक वजह है. इससे पूरी दुनिया के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और मौसम के पैटर्न में खतरनाक बदलाव देखे जा रहे हैं. कहीं बाढ़ तो कहीं बेमौसमी बारिश तो कहीं ओलावृष्टि तो कहीं वज्रपात. इसके पीछे क्लाइमेट चेंज और अल-नीनो को जिम्मेदार माना जा रहा है. इसने खेती के पैटर्न को भी प्रभावित किया है क्योंकि जब फसलों के बढ़ने और पकने का समय आता है तो उस वक्त बारिश हो जाती है. या जब फसलों को कम तापमान की जरूरत होती है तो उसमें अचानक तेज वृद्धि हो जाती है. इससे फसलों की पैदावार घट रही है.
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