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Fertilizer Crisis: ब‍िहार में खाद की क‍िल्लत के ल‍िए कौन ज‍िम्मेदार? 

Fertilizer Crisis: ब‍िहार में खाद की क‍िल्लत के ल‍िए कौन ज‍िम्मेदार? 

केंद्र ने बिहार सरकार के आरोपों को किया खारिज, कहा-जरूरत से ज्यादा दी गई यूरिया-डीएपी. बिहार में खाद की किल्लत के पीछे केंद्र से कम आपूर्ति का आरोप लगा रहे थे वहां के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत. जेडीयू के चार सांसदों ने लोकसभा में पूछा सवाल तो रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने द‍िया उर्वरक आपूर्त‍ि का पूरा ब्यौरा.

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पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद ब‍िहार में क्यों हुआ खाद संकट? (File Photo). पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद ब‍िहार में क्यों हुआ खाद संकट? (File Photo).

इस साल रबी सीजन के दौरान ब‍िहार के क‍िसानों को खाद के ल‍िए तरसना पड़ा. सूबे के उर्वरक संकट के ल‍िए वहां के कृष‍ि मंत्री कुमार सर्वजीत सीधे तौर पर केंद्र सरकार को ज‍िम्मेदार ठहरा रहे थे. उनका कहना था क‍ि केंद्र ने मांग के मुताब‍िक बहुत कम खाद की सप्लाई की है. ज‍िसकी वजह से राज्य में खाद की कमी हो गई है.अब इसी मसले से जुड़े एक सवाल के जवाब में केंद्र ने लोकसभा में आंकड़ों के साथ इस आरोप को खार‍िज क‍िया है. केंद्र ने कहा है क‍ि ब‍िहार में अक्टूबर 2022 से जनवरी 2023 तक आवश्यकता से अध‍िक यूर‍िया और डीएपी की उपलब्धता रही है. ऐसे में सवाल उठता है क‍ि खाद की क‍िल्लत के ल‍िए कौन ज‍िम्मेदार है. 

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यूर‍िया की उपलब्धता

केंद्र ने बताया है क‍ि अक्टूबर 2022 में 2.10 लाख टन यूर‍िया की आवश्यकता थी, जबक‍ि वहां 2.82 लाख टन उपलब्धता थी. नवंबर 2022 में 2.50 लाख टन की जरूरत थी, ज‍िसके बदले 3.35 लाख टन उपलब्ध करवाया गया. द‍िसंबर 2022 में 3.30 लाख टन की आवश्यकता की जगह 4.47 लाख टन उपलब्धता थी. इसी तरह जनवरी 2023 में 29 तारीख तक 2.40 लाख टन की जगह 3.99 लाख टन की उपलब्धता थी.

डीएपी की उपलब्धता

इसी तरह अक्टूबर 2022 के दौरान ब‍िहार में 0.90 लाख टन डीएपी की आवश्यकता थी, जबक‍ि 1.39 लाख टन की उपलब्धता रही. नवंबर में 1.22 लाख टन की आवश्यकता के व‍िरुद्ध केंद्र ने 2.25 लाख टन डीएपी उपलब्ध करवाई. द‍िसंबर में 1.00 लाख टन की जरूरत की जगह 1.98 लाख टन की उपलब्धता थी. जबक‍ि जनवरी 2023 में 29 जनवरी तक 0.40 लाख टन की जगह 1.68 लाख टन डीएपी की उपलब्धता थी. 

कृष‍ि व‍िशेषज्ञ ब‍िनोद आनंद का कहना है क‍ि इन आंकड़ों को देखते हुए तो ऐसा लगता है क‍ि राज्य सरकार कालाबाजारी पर रोक नहीं लगा पाई. केंद्र लोकसभा में आंकड़ा पेश करके ब‍िहार में माह-वार पर्याप्त खाद उपलब्धता का दावा कर रही है, मतलब वो गलत नहीं बोल रही है. सही बात तो यह है क‍ि राज्य सरकार खाद को कालाबाजारी और तस्करी करने वालों से बचाकर क‍िसानों तक नहीं पहुंचा पाई.

कौन रोकेगा कालाबाजारी? 

भगवंत खुबा ने दावा क‍िया है क‍ि बिहार में उर्वरकों की उपलब्धता सहज रही है. राज्य सरकारों को उर्वरकों की कालाबाजारी और तस्करी रोकने के अतिरिक्त अधिकतम खुदरा मूल्य पर उर्वरकों की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त पावर प्रदान की गई है. राज्य सरकारों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 तथा उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध तलाशी लेने, माल जब्त करने और दंडात्मक कार्रवाई करने की शक्ति प्रदान की गई है. 

कैसे होता है खाद का आवंटन

प्रत्येक फसली मौसम के शुरू होने से पहले ही कृषि एवं किसान कल्याण विभाग सभी राज्य सरकारों की सलाह से उर्वरकों की राज्य-वार और माह-वार आवश्यकता का आकलन करता है. अनुमानित आवश्यकता के आधार पर उर्वरक विभाग मासिक आपूर्ति योजना जारी करते हुए राज्यों को उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा का आवंटन करता है. साथ ही उपलब्धता की लगातार निगरानी भी करता है. यूरिया तथा अन्य उर्वरक के लिए मांग (आवश्यकता) और उत्पादन के बीच के अंतर को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है. 

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