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ब‍िहार के कृष‍ि मंत्री ने कहा-केंद्र सरकार ने नहीं दी पर्याप्त यूर‍िया...संकट क्यों नहीं होगा?

ब‍िहार के कृष‍ि मंत्री ने कहा-केंद्र सरकार ने नहीं दी पर्याप्त यूर‍िया...संकट क्यों नहीं होगा?

Fertilizer Crisis: यूर‍िया संकट के बीच ज्यादा दाम लेने वालों पर ब‍िहार सरकार का सख्त एक्शन. सूबे के 89 दुकानदारों पर एफआईआर दर्ज और 105 दुकानदारों का लाइसेंस रद्द. कृष‍ि मंत्री ने कहा-केंद्र सरकार ने ड‍िमांड‍ के मुताब‍िक अलॉटमेंट तो कर द‍िया, लेक‍िन वो यूर‍िया का ड‍िस्पैच नहीं कर रही. 

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यूर‍िया संकट के जूझ रहे हैं ब‍िहार के क‍िसान.   यूर‍िया संकट के जूझ रहे हैं ब‍िहार के क‍िसान.

ब‍िहार में चल रहे उर्वरक संकट के बीच वहां के कृष‍ि मंत्री कुमार सर्वजीत ने खुलकर अपनी सरकार का बचाव क‍िया है. उन्होंने इस संकट का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ द‍िया है. कहा क‍ि यूर‍िया की क‍िल्लत केंद्र द्वारा पर्याप्त खाद की सप्लाई न देने की वजह से है. केंद्र मांग के मुताब‍िक बहुत कम यूर‍िया ड‍िस्पैच कर रहा है, इसल‍िए क‍िसान खाद संकट का सामना कर रहे हैं. खेती-क‍िसानी के महत्वपूर्ण इनपुट का क्राइस‍िस डेवलप करके अगर आप जनता में मैसेज देना चहते हैं क‍ि स्टेट गर्वनमेंट खराब है, तो यह ठीक नहीं है. क‍िसानों के नाम पर राजनीत‍ि मत कर‍िए. यह दावा क‍िया क‍ि उर्वरकों की कालाबाजारी करने और ज्यादा दाम लेने वालों पर राज्य सरकार सख्त एक्शन ले रही है. 

उर्वरक संकट को लेकर जब 'क‍िसान तक' ने कुमार सर्वजीत से बातचीत की तब उन्होंने कहा क‍ि मांग के मुताब‍िक केंद्र सरकार ने ब‍िहार को स‍िर्फ 67 फीसदी यूर‍िया की सप्लाई दी है. अब बताईए क‍ि पीक सीजन में अगर ऊपर से खाद ही नहीं आएगा तो क्या होगा? सर्वजीत ने बताया क‍ि खाद का ज्यादा दाम लेने और कालाबाजारी को लेकर 89 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. इसी तरह 105 दुकानदारों का लाइसेंस रद्द कर द‍िया गया है. जबक‍ि 142 का लाइसेंस सस्पेंड करने का एक्शन ल‍िया गया है. सूबे की 3697 दुकानों पर छापेमारी की गई है. 

क‍ितना यूर‍िया म‍िला?  

सरकार यह सुन‍िश्च‍ित कर रही है क‍ि केंद्र से ज‍ितना भी यूर‍िया म‍िला है, कोई उसका ज्यादा दाम न ले. ज्यादा दाम वसूलने वालों के ख‍िलाफ कार्रवाई जारी है. हालात संभालने के ल‍िए राज्य मुख्यालय से 34 बड़े अधिकार‍ियों को ज‍िला स्तर पर भेजा गया है.कुमार सर्वजीत ने कहा क‍ि उर्वरक के मामले में तीन अहम बातें होती हैं. पहला ड‍िमांड, दूसरा अलाटमेंट और तीसरा ड‍िस्पैच. केंद्र सरकार ड‍िमांड के मुताब‍िक अलॉटमेंट तो कर द‍िया, लेक‍िन वास्तव में वो खाद ड‍िस्पैच नहीं कर रही है. 

जब कोई पूछता है तो केंद्र सरकार अलॉटमेंट का आंकड़ा पेश करती है. असल में उसे तो बताना चाह‍िए क‍ि क‍ितनी खाद ड‍िस्पैच हुई है. कुमार सर्वजीत ने कहा क‍ि ब‍िहार में इस बार गेहूं की बुवाई का रकबा बढ़ गया है. इसल‍िए खाद की ड‍िमांड भी बढ़ी है. हमने करीब 10 लाख म‍िट्रिक टन यूर‍िया मांगा था. ज‍िसका अब तक 67 फीसदी ही म‍िला है. केंद्र सरकार अनुरोध है क‍ि वो क‍िसानों के नाम पर स‍ियासत न करे. हालांक‍ि, रसायन‍ और उर्वरक मंत्रालय ने अपनी एक र‍िपोर्ट में कहा था क‍ि रबी सीजन 2022-23 में 5 द‍िसंबर तक राज्यों को 82.79 लाख म‍िट्र‍िक टन की जगह 114.40 लाख म‍िट्र‍िक टन यूर‍िया उपलब्ध करवाई गई है.

खाद कालाबाजारी का धंधा  

उधर, बिहार किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह टुडू ने कहा क‍ि यूर‍िया का सरकारी रेट 266 रुपये प्रत‍ि बोरी (45 क‍िलो) है. लेक‍िन, यहां 300 से लेकर 500 रुपये तक में क‍िसानों को उपलब्ध हो रहा है. पैक्स पर सहकारी उर्वरक कंपन‍ियों से यूर‍िया आता है, लेक‍िन इस बार नहीं मि‍ल रहा है. क्योंक‍ि केंद्र सरकार ने मांग के ह‍िसाब से सप्लाई नहीं दी है. ब‍िहार में खाद की कालाबाजारी का धंधा वर्षों से फल फूल रहा है. यहां का उर्वरक नेपाल सप्लाई कर द‍िया जाता है. यह ताज्जुब की बात है क‍ि सरकार 2.5 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्स‍िडी का पर्चा क‍िसानों के नाम पर फाड़ रही है, जबक‍ि क‍िसानों को एक-एक बोरी यूर‍िया के ल‍िए धक्के खाने पड़ रहे हैं.

फ‍िक्स है यूर‍िया का दाम 

यूरिया का मार्केट पूरी तरह सरकार कंट्रोल करती है. यूरिया का उत्पादन न तो हर कोई कर सकता है और न ही बेच सकता है. यह कंट्रोल्ड प्रोडक्ट है. जिसका दाम सरकार ने तय किया हुआ है. यानी यूरिया का एमआरपी वैधानिक रूप से भारत सरकार द्वारा तय किया जाता है. अगर कोई दुकानदार सरकार द्वारा तय दाम से अधिक पर उवर्रक बेचता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है. ताकि किसानों को यह उचित दाम पर उपलब्ध हो.  

बिक्री केंद्र तक पहुंचाने की ज‍िम्मेदारी 

सभी उर्वरकों (यूरिया, डीएपी, एनपीके और एमओपी) को बिक्री केंद्र (Point of Sale) तक पहुंचाने की ज‍िम्मेदारी आपूर्तिकर्ता कंपनी की होती है. ताक‍ि किसानों को निर्धारित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध हो सके. इस मामले में किसी प्रकार की कोई कोताही बरतने पर उन कंपन‍ियों के विरुद्ध भी फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर-1985, उर्वरकों को इधर-उधर करने पर फर्टिलाइजर मूवमेंट कंट्रोल ऑर्डर-1973 और कोटा से अध‍िक उर्वरक रखने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 के तहत कार्रवाई होती है.  

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