राजस्थान के टोंक जिलों में किसान डीएपी के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. जो किसान आम जन के पेट को भरने के लिए कड़ी मेहनत से फसल उगाते हैं वो भारी बारिश में भी डीएपी के कट्टों के लिए लाइनों में लग रहे हैं. लाइनों में लगने के अलावा किसानों से इफको ई बाजार की दुकान पर किसानों से डीएपी का अधिक दाम भी मांगा जा रहा है. टोंक जिले में किसानों से पांच किलो डीएपी के बैग पर 1500 के अन्य सामान जबरदस्ती थोपे जा रहे हैं. बता दें कि दुकानदारों द्वारा इस जबरदस्ती को रोकने के लिए केंद्र सरकार के कृषि मंत्री कि ओर से राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है.
उसके बाद भी इफको बाजार द्वारा संचालित दुकान पर किसानों को बिना मिट्टी जांच बिना सैंपल के जबरदस्ती अन्य सामान दिए जा रहे हैं, जो किसान की लागत को बढ़ाएगा साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति को भी खराब कर सकता है. ऐसे में दुकानदार पर तत्काल लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई को अंजाम दिया जाना अनिवार्य है.
इतना ही नहीं कृषि विभाग के निदेशक चिन्मयी गोपाल द्वारा भी डीएपी यूरिया कृषि विभाग के कर्मियों की निगरानी में बांटने के आदेश भी जारी किए जा चुके हैं. इसके अलावा किसी दुकानदार के पास कितना खाद उपलब्ध है यह जानकारी भी जिला कृषि विभाग के पास मौजूद रहती है. ऐसे में अभी से ही कृषि विभाग ही मॉनिटरिंग शुरू कर दें.
लेकिन दुकानदारों कि ओर से जबरदस्ती सामान देने के खिलाफ किसान महापंचायत टोंक द्वारा अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने की भी घोषणा की जा चुकी है, यदि किसानों को टैगिंग दिया गया तो यह आंदोलन सड़कों पर भी दिखाई देगा. वहीं, किसान महापंचायत राजस्थान के युवा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद चौधरी ने कहा कि क्रय विक्रय सहकारी समिति निवाई में किसानों को जबरदस्ती नैनों यूरिया दिया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों से खुली लुट बन्द करने में कृषि विभाग असमर्थ है.
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