देश में जारी उर्वरक संकट के बीच ही महाराष्ट्र के किसानों को सरकार की तरफ से एक राहत की खबर दी गई है. सरकार ने संसद को बताया है कि चालू खरीफ 2025 सत्र के दौरान महाराष्ट्र में उर्वरकों की ‘पर्याप्त’ उपलब्धता है. यह जानकारी मंगलवार को संसद को दी गई. इसके अलावा राज्य ने 76,000 टन यूरिया और 13,000 टन डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) का बफर स्टॉक बनाए रखा है. रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.
आंकड़ों के अनुसार, 24 जुलाई तक खरीफ 2025 के लिए महाराष्ट्र की उर्वरक आपूर्ति स्थिति सभी प्रमुख उत्पाद श्रेणियों में मौसमी जरूरतों की मजबूत सप्लाई की स्थिति को बयां करती है. यूरिया के संदर्भ में राज्य को खरीफ सत्र के लिए 15.52 लाख टन उर्वरक की आवश्यकता थी. 24 जुलाई तक, आनुपातिक आवश्यकता 9.59 लाख टन थी, जबकि उपलब्धता 14.12 लाख टन से काफी ज्यादा थी. इस अवधि के दौरान बिक्री 10.36 लाख टन रही और अंतिम स्टॉक 3.76 लाख टन रहा, जो न केवल मजबूत आपूर्ति बल्कि मांग में किसी भी और उछाल को पूरा करने के लिए एक अच्छे बफर की तरफ भी इशारा करता है.
डीएपी के मामले में, महाराष्ट्र की कुल मौसमी जरूरत 4.60 लाख टन थी, जिसमें 24 जुलाई तक आनुपातिक आवश्यकता 2.94 लाख टन थी. इस ‘कटऑफ’ तक उपलब्धता 3.02 लाख टन थी, जो जरूरत से थोड़ा ज्यादा थी, जबकि बिक्री 1.92 लाख टन थी. परिणामी अंतिम स्टॉक 1.10 लाख टन था, जो आनुपातिक आवश्यकताओं के सापेक्ष धीमी बिक्री के बावजूद, एक आरामदायक आपूर्ति स्थिति प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि तत्काल कमी की संभावना नहीं है.
आंकड़ों के अनुसार, एमओपी (पोटाश का म्यूरिएट) के मामले में और भी मजबूत अधिशेष स्थिति दिखी. 1.20 लाख टन के मौसमी लक्ष्य और मात्र 0.63 लाख टन की आनुपातिक जरूरत के मुकाबले, महाराष्ट्र ने 1.87 लाख टन उपलब्ध कराया. बिक्री 1.04 लाख टन तक पहुंच गई - अपेक्षित कमी से काफी पहले - जिससे अंतिम स्टॉक 0.84 लाख टन रह गया. यह महत्वपूर्ण बफर की समझदारी से की गई खरीद और वितरण को दर्शाता है. ऐसे में यह सत्र के बीच में फसल पोषक तत्वों की मांग में किसी भी वृद्धि को आसानी से पूरा करता है.
एनपीकेएस (जटिल उर्वरकों) के मामले में भी स्थिति खासतौर पर सकारात्मक रहा था. इस सत्र के लिए जरूरत आवश्यकता 18.00 लाख टन थी, 24 जुलाई तक आनुपातिक 10.59 लाख टन थी. 20.55 लाख टन उपलब्ध होने और 12.76 लाख टन की बिक्री के साथ, अंतिम स्टॉक 7.70 लाख टन के उच्च स्तर पर रहा. सरकार इंटीग्रेटेड फर्टिलाइजर मॉनिटरिंग सिस्टम (आईएफएमएस) के नाम एक ऑनलाइन वेब-बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम से देश भर में सभी प्रमुख सब्सिडी वाले उर्वरकों की आवाजाही पर नजर रखती है.
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