भारत, पाम ऑयल का एक बड़ा एक्सपोर्टर है और मलेशिया के साथ वह इंडोनेशिया से भारी मात्रा में इसे खरीदता है. सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर दूसरे देशों पर इसकी निर्भरता कम करने के मकसद से एक राष्ट्रीय खाद्य ऑयल मिशन - पाम ऑयल (NMEO-OP) शुरू किया है लेकिन अभी यह वह रफ्तार नहीं पकड़ सका है जिसकी उम्मीद थी. ऐसे में इंडस्ट्री का मानना है कि इसका आयात इस बार नया रिकॉर्ड बनाएगा.
देश में पाम ऑयल के आयात में हाल ही में कमी आई है और इसकी वजह है सोया ऑयल जैसे सस्ते विकल्पों की उपलब्धता भी है. इसके बावजूद आयात अभी उतना कम नहीं हुआ है जितना कि होना चाहिए. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने इंडस्ट्री के एक सीनियर ऑफिशयल के हवाले से बताया है कि भारत ने आयात शुल्क में कटौती का फैसला किया है. इस वजह से इंडोनेशिया को उम्मीद है कि साल 2025 में भारत को पाम ऑयल का निर्यात 50 लाख टन के आंकड़े को पार कर जाएगा, जो 2024 में 48 लाख टन था.
इंडोनेशिया पाम ऑयल एसोसिएशन (आईपीओए) के चेयरमैन एडी मार्टोनो ने एक इंटरव्यू में बताया कि दुनिया का टॉप पाम ऑयल प्रोड्यूसर देश इस साल भारत को 1,00,000 अंकुरित पाम बीज भी भेज रहा है. बीजों को भेजने का मकसद भारत की उस योजना को समर्थन देना है जिसके तहत 2025-26 तक पाम की खेती को 10 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया गया है. यह वर्तमान में 3,50,000 हेक्टेयर है. भारत अपने राष्ट्रीय खाद्य ऑयल मिशन-ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) के तहत पाम बीजों के आयात में तेजी ला रहा है.
भारत ने घरेलू खाद्य ऑयल की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयासों के तहत कच्चे पाम ऑयल पर मूल सीमा शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है. इंडोनेशिया का भारत को पाम ऑयल निर्यात वर्ष 2023 के 60 लाख टन से घटकर साल 2024 में 48 लाख टन रह गया है. इसकी एक वजह है कि साल 2024 के ज्यादातर समय में सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों की तुलना में पाम ऑयल की ऊंची कीमतें हैं. हालांकि, अप्रैल, 2025 से पाम ऑयल की कीमतें सोयाबीन ऑयल से कम रही हैं, जिससे प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हुआ है. मार्टोनो ने कहा, 'मुझे लगता है कि इस साल कीमतों को लेकर कोई समस्या नहीं है. मुझे पूरी उम्मीद है कि साल 2025 में हम भारत को निर्यात बढ़ाएंगे.'
उन्होंने आगे कहा कि इंडोनेशिया, व्यापार-से-व्यापार व्यवस्था के माध्यम से भारत को पाम के बीजों के निर्यात का समर्थन करता है. साथ ही पाम खेती में अपने अनुभव के आधार पर टेक्निकल गाइडेंस भी देता है. आईपीओए और भारतीय वनस्पति ऑयल उत्पादक संघ (आईवीपीए) ने हाल ही में पाम ऑयल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक एमओयू साइन किया है. मार्टोनो का कहना है कि भारत इंडोनेशिया के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बाजार है. इस समझौता ज्ञापन के बाद भारत को स्थिर निर्यात करने की उम्मीद है.
इस साझेदारी का उद्देश्य भारत में पाम ऑयल के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में उपभोक्ताओं की चिंताओं का समाधान करना भी है. मार्टोनो की मानें तो भारत में उपभोक्ताओं में अब भी इंडोनेशियाई पाम ऑयल के बारे में गलत धारणाएं हैं. पाम ऑयल बहुत ही हेल्दी विकल्प है. उनका कहना था कि आईपीओए इंडोनेशियाई पाम ऑयल के बारे में निगेटिव कैंपेनिंग का मुकाबला करने के लिए आईवीपीए के साथ सहयोग कर रहा है.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today