देश में यूरिया का उत्पादन बढ़ा है. इसका नतीजा है कि अप्रैल-नवंबर में यूरिया के आयात में कमी देखी गई है. सरकार यूरिया के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है. आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा वित्त वर्ष में नवंबर तक यूरिया उत्पादन में बड़ी वृद्धि हुई है. इसका फायदा ये मिला कि यूरिया की मांग पूरी की जा रही है. हालांकि देश के कुछ हिस्सों में यूरिया की किल्लत की खबरें भी आ रही हैं. इसके बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है केंद्रीय एजेंसियों के साथ अच्छा तालमेल बनाकर राज्य सरकारें यूरिया की कमी की समस्या दूर कर सकती हैं.
पिछले कुछ साल का रिकॉर्ड देखें तो देश में सालाना 350 लाख टन यूरिया की जरूरत पड़ती है. इसमें से देश में 250 लाख टन यूरिया का उत्पादन होता रहा है, जबकि 80-100 लाख टन खाद का आयात करना होता था. इसकी घट-बढ़ मॉनसून और अन्य फैक्टर पर निर्भर करती है. कभी यूरिया की जरूरत बढ़ जाती है तो कभी घट भी जाती है. आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, अप्रैल-नवंबर में यूरिया का आयात 4.7 परसेंट तक गिरा है. एक साल पहले इसी अवधि में 4.84 मिलियन टन आयात किया गया था जो कि घटकर 4.61 मिलियन टन पर आ गया है.
देश में यूरिया के उत्पादन में तेजी आई है. इसका उत्पादन 14.4 परसेंट बढ़कर 18.7 मिलियन टन हो गया है. यह उत्पादन पहले 16.3 मिलियन टन हुआ करता था. बिक्री में भी तेजी देखी जा रही है. यूरिया की बिक्री 6.7 परसेंट बढ़कर 23.2 मिलियन टन हो गई है जो पहले 21.76 मिलियन टन हुआ करती थी.
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आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में यूरिया का उत्पादन 250.72 लाख टन रहा, जबकि 2020-21 में 246.05 लाख टन और वित्तीय वर्ष 2019-20 में 244.58 लाख टन था. यूरिया का आयात पिछले वित्त वर्ष में 91.36 लाख टन, 2020-21 में 98.28 लाख टन और 2019-20 में 91.23 लाख टन रहा था.
यूरिया वर्तमान में 45 किलोग्राम के बैग में बेचा जाता है और अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) 242 रुपये प्रति बैग है (नीम कोटिंग और लागू होने वाले टैक्स को छोड़कर). प्रति 45 किलो के बैग पर 1800 रुपये की सब्सिडी दी जाती है. उत्पादन लागत और एमआरपी के बीच की अंतर राशि को खाद कंपनियों को सरकार सब्सिडी के तौर पर देती है.
'बिजनेसलाइन' को एक एक्सपर्ट ने बताया कि इस साल अक्टूबर की शुरुआत में रबी सीजन में यूरिया की बिक्री 2 मिलियन टन रही जो कि पिछले साल भी इतनी ही थी. नवंबर में इसमें तेजी देखी गई और बिक्री पिछले साल के 3.13 मिलियन टन के मुकाबले बढ़कर 3.94 मिलियन टन हो गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मीडिया में यूरिया किल्लत की खबरें सुर्खियां बनीं जिससे किसानों ने इसकी अधिक खरीदारी की.
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इस महीने की शुरुआत में खाद मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि भारत यूरिया उत्पादन में 2025 तक आत्मनिर्भर बन जाएगा. उन्होंने कहा कि खाद के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. इसके लिए 'मेक इन इंडिया' अभियान पर जोर दिया गया है. यूरिया का उत्पादन बढ़ाने के लिए उन कारखानों को खोला जा रहा है जो कई साल से बंद हैं. सरकार ने भारत ब्रांड के अंतर्गत वन नेशन वन फर्टिलाइजर स्कीम लॉन्च की है. यह स्कीम बताती है कि किसी एक ही खास ब्रांड के फर्टिलाइजर के इस्तेमाल को कैसे कम करना है.
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