सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है. नकदी फसल की सूची में सूरजमुखी भी शामिल है. तभी तो बेहतर लाभ देने वाली इस फसल को नकदी फसल के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि देश में पहली बार सूरजमुखी की खेती साल 1969 में उत्तराखंड के पंतनगर में की गई थी. यह एक ऐसी तिलहनी फसल है जिस पर प्रकाश का प्रभाव नहीं पड़ता है. यही वजह है कि किसान इसे खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमों में उगा सकते हैं. इसके फूलों में 45 से 50 प्रतिशत बीज होते हैं.
अपनी उत्पादन क्षमता और उच्च मूल्य के कारण पिछले कुछ वर्षों में सूरजमुखी की खेती किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए किसान सूरजमुखी की खेती करते नजर आ रहे हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अच्छी उपज और उच्च गुणवत्ता के लिए सूरजमुखी की कौन सी किस्म का चुनाव किया जाए. आज इस लेख में हम सूरजमुखी की उन्नत किस्मों के बारे में बात करेंगे.
सूरजमुखी की उन्नत किस्मों में यह किस्म भी शामिल है. इसकी उपज की बात करें तो प्रति एकड़ 8 से 12 कुं की उपज प्राप्त की जा सकती है. फसल तैयार होने की अवधि 88-93 दिन है. सिंचित स्थिति में उत्पादन 8-12 क्विंटल/एकड़ और असिंचित स्थिति में 4-6 क्विंटल/एकड़ तक का है. इस किस्म के पौधे की औसत ऊंचाई 175-190 सेंटीमीटर होती है. वहीं इसकी बीज मेन तेल की मात्रा 42-44% तक है. रबी, खरीफ और गर्मी के मौसम के लिए यह किस्म उपयुक्त है. यह अलटोनेरिया के प्रति सहिष्णु किस्म है.
ये भी पढ़ें: पूर्वांचल में महक रहा अफ्रीकन मैरीगोल्ड, कम लागत में किसानों को मिल रहा अधिक मुुनाफा
इस किस्म से उपज की बात करें तो प्रति एकड़ 8 से 10 क्विंटल फसल प्राप्त की जा सकती है. खरीफ मौसम में इस किस्म को तैयार होने में 95 से 100 दिन का समय लगता है. वहीं रबी मौसम में यह 100-105 दिन में तैयार होता है. इस किस्म के पौधे की ऊँचाई 165 से 170 सेमी है. बीज में तेल की मात्रा लगभग 38-40% तक होती है.
इस किस्म से उपज की बात करें तो प्रति एकड़ 9-12 कुं फसल प्राप्त की जा सकती है. खरीफ के मौसम में फसल को तैयार होने में 90-95 दिन का समय लगता है. वहीं रबी के मौसम में फसल को तैयार होने में 95-100 दिन का समय लगता है. पौधे की ऊंचाई 160-175 सेमी है तो वहीं तेल की मात्रा लगभग 40 से 42% है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today