कर्नाटक में खाद संकट पर छिड़ा विवाद, राज्य और केंद्र सरकार आमने-सामने

कर्नाटक में खाद संकट पर छिड़ा विवाद, राज्य और केंद्र सरकार आमने-सामने

कर्नाटक में खाद की भारी कमी से किसान परेशान हैं. राज्य सरकार का दावा है कि उन्होंने केंद्र से कई बार उर्वरक मांगा, लेकिन आपूर्ति कम हुई. पढ़ें पूरी खबर खाद संकट और राजनीति के बीच फंसे किसानों की.

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कर्नाटक में खाद संकट पर छिड़ा विवाद, राज्य और केंद्र सरकार आमने-सामनेयूरिया-खाद की कमी को लेकर उठा विवाद

कर्नाटक में इस बार अच्छी बारिश के कारण बुआई समय से पहले शुरू हो गई है. खासतौर पर मक्का (मकई) की खेती में बढ़ोतरी हुई है, जो लगभग 2 लाख हेक्टेयर तक ज्यादा हुई है. मक्का की फसल को अधिक मात्रा में उर्वरक (DAP और यूरिया) की जरूरत होती है, लेकिन राज्य के कई हिस्सों में उर्वरक की कमी से किसान परेशान हैं. कर्नाटक के कृषि विभाग ने दावा किया है कि अप्रैल से अब तक उन्होंने केंद्र सरकार के उर्वरक विभाग को छह पत्र लिखे हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खुद भी केंद्र को पत्र लिखकर जरूरी यूरिया और DAP की मांग की थी. साथ ही, हर हफ्ते होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंस में राज्य के अधिकारियों ने केंद्र से बार-बार खाद की आपूर्ति की मांग की.

कितना मांगा, कितना मिला?

कृषि विभाग के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार:

  • DAP की मांग: अप्रैल से जुलाई तक 3.03 लाख मीट्रिक टन
  • DAP की आपूर्ति: केवल 2.21 लाख मीट्रिक टन
  • यूरिया की मांग: 6.8 लाख मीट्रिक टन
  • यूरिया की आपूर्ति: केवल 5.35 लाख मीट्रिक टन
  • राज्य सरकार ने कुल 12.95 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने केवल 11.17 लाख मीट्रिक टन को मंजूरी दी.

भाजपा का आरोप खाद बजट में कटौती

भाजपा नेता और विधान परिषद में मुख्य सचेतक एन. रविकुमार ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय खाद के लिए ₹1,000 करोड़ का बजट तय था, जिसे वर्तमान सरकार ने घटाकर ₹400 करोड़ कर दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि किसान रागी, ज्वार, मक्का और मूंग जैसी फसलों की बुआई कर चुके हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल रही है.

रविकुमार ने यह भी कहा कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद और बीज नहीं दिए जा रहे हैं. निजी कंपनियां घटिया गुणवत्ता वाले बीज दे रही हैं, जिससे फसल खराब हो रही है और किसान संकट में हैं.

केंद्र सरकार ने दी सफाई

कृषि विभाग के मुताबिक, मानसून शुरू होने से पहले केंद्र के पास यूरिया का स्टॉक सीमित था. इस वजह से राज्यों को सीमित मात्रा में ही यूरिया दिया गया. यही वजह है कि कर्नाटक को मांग के अनुसार खाद नहीं मिल सकी.

किसान के लिए समाधान जरूरी

राज्य और केंद्र के बीच खींचतान का खामियाजा सीधे किसान को भुगतना पड़ रहा है. खाद की कमी से फसल उत्पादन पर असर पड़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि राजनीति से ऊपर उठकर किसानों को समय पर खाद, बीज और अन्य कृषि सुविधाएं मुहैया कराई जाएं.

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