यूर‍िया-डीएपी खाद को लेकर इफको और कृभको पर गंभीर आरोप, मंत्रालय को ल‍िखा गया पत्र 

यूर‍िया-डीएपी खाद को लेकर इफको और कृभको पर गंभीर आरोप, मंत्रालय को ल‍िखा गया पत्र 

भारतीय किसान यूनियन चढूनी ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय को पत्र ल‍िखकर कहा है क‍ि इफको क‍िसानों को जबरन नैनो यूर‍िया और डीएपी दे रही है, जबक‍ि कृभको खाद के साथ क‍िसानों को जबरन अपने दूसरे प्रोडक्ट भी खरीदने को मजबूर कर रही है. इसका व‍िरोध करने पर खाद नहीं म‍िलती. 

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यूर‍िया-डीएपी खाद को लेकर इफको और कृभको पर गंभीर आरोप, मंत्रालय को ल‍िखा गया पत्र खाद बनाने वाली कंपन‍ियों पर गंभीर आरोप.

एक तरफ केंद्र सरकार क‍िसानों को राहत देने के ल‍िए भारी सब्स‍िडी देकर सस्ती खाद मुहैया करवा रही है, तो दूसरी ओर खाद बेचने वाली कंपन‍ियां अपने कारनामों से क‍िसानों की लागत बढ़ा रही हैं. आरोप लग रहा है क‍ि इफको और कृभको जैसी कंपन‍ियां क‍िसानों को तभी यूर‍िया और डीएपी दे रही हैं जब क‍िसान उनके बनाए दूसरे प्रोडक्ट भी खरीद रहे हैं. यह आरोप भारतीय किसान यूनियन चढूनी ने लगाए हैं. क‍िसानों की ओर से म‍िल रही श‍िकायत के आधार पर संगठन ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय को पत्र ल‍िखकर खाद बनाने वाली उन कंपन‍ियों के ख‍िलाफ फर्ट‍िलाइजर कंट्रोल ऑर्डर के तहत कार्रवाई करने की मांग की है जो क‍िसानों के साथ इस तरह की जबरदस्ती कर रही हैं.

पत्र में कहा गया है क‍ि न‍िजी और सहकारी कंपन‍ियों द्वारा किसानों को जबरन खाद के साथ दिए जा रहे अन्य पदार्थ (Tagging) की प्रथा रोकी जाए. खासतौर पर इफको और कृभको के ख‍िलाफ गुस्सा जाह‍िर क‍िया है. संगठन ने कहा क‍ि रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा नवंबर 2022 में द‍िए गए सख्त निर्देश के बावजूद हर‍ियाणा में किसानों को यूरिया व डीएपी खाद के साथ दुकानदार जबरदस्ती अन्य समान भी बेच रहे हैं. ऐसा न करने पर खाद नहीं म‍िलती है. क‍िसानों की ओर से ऐसी शिकायतें म‍िलने के बाद संगठन ने दो पब्लिक नोटिस सोशल मीडिया पर जारी किए थे. इसके बावजूद खाद व‍िक्रेताओं की मनमानी नहीं रुकी. संगठन ने यूरिया और डीएपी खाद की कालाबाजारी रोकने को लेकर भी पत्र ल‍िखा है. ताक‍ि क‍िसानों को राहत म‍िल सके. 

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जबरन नैनो यूर‍िया-डीएपी देने का आरोप

यून‍ियन के मीड‍िया प्रभारी राकेश बैंस ने कहा है क‍ि प्रदेश भर के हजारों किसानों ने हर‍ियाणा सरकार को ल‍िख‍ित तौर पर श‍िकायत भेजी है. हर जिले में किसानों के साथ यह जबरदस्ती की जा रही है. ज्यादातर शिकायतें मुनाफा कमाने के चक्कर में सहकारी समितियों व इफको के किसान सेवा केंद्रों के ख‍िलाफ हैं. जो कि नैनो यूरिया व नैनो डीएपी क‍िसानों पर थोपने का काम कर रही है. कृभको के किसान सेवा केंद्रों में यूरिया व डीएपी के साथ सल्फर व अन्य पदार्थ (Tagging) जबरदस्ती बेचा जा रहा है. 

अन्य चीजें न लेने पर नहीं म‍िलती खाद

बैंस का कहना है क‍ि इफको और कृभको जैसी सहकारी संस्थाओं के केंद्रों की देखादेखी ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में प्राइवेट दुकानदार भी जमकर किसानों के साथ जबरदस्ती कर रहे हैं. यही नहीं कृभको के पिपली, कुरुक्षेत्र स्थ‍ित किसान सेवा केंद्र अधिकारी ने फोन पर बताया कि उनके पास खाद के साथ अन्य चीजों को बेचने के लिखित आदेश हैं. दूसरी ओर, इफको के अधिकारी उस क्षेत्र में खाद देने से स्पष्ट मना कर रहे हैं जहां क‍िसान उनके दूसरे प्रोडक्ट लेने से मना कर रहे हैं. जब कोई किसान इन सेवा केंद्रों व दुकानों पर विरोध करता है तब उसे खाद देने से स्पष्ट मना कर दिया जाता है. खाद विक्रेताओं द्वारा किसानों को बोला जाता है कि खाद बनने वाली कंपनियां जबरदस्ती उन्हें हर गाड़ी के साथ कुछ न कुछ लगाकर भेज रही हैं तब हम क्या करें? 

क‍िसानों को लूट रही हैं खाद कंपन‍ियां: यून‍ियन

दूसरी ओर इस प्रकार की ज़ोर जबरदस्ती को रोकने के किए रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने सख्त दिशा निर्देश भी जारी किए हुए हैं. फिर भी खाद बनने वाली कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में हर किसान से ज़ोर-जबरदस्ती कर रही हैं. यदि कोई दुकानदार इसका विरोध करता है तब ये खाद कंपनियां उसके खाद की सप्लाई को रोक देती हैं. इन खाद कंपनियों के आगे कृषि विभाग के अधिकारी भी लाचार नजर आते हैं. आरोप है क‍ि ज्यादातर अधिकारी इन कंपनियों से मिलीभगत कर लेते हैं. इसल‍िए ये खाद कंपनियां क‍िसानों से ऐसी लूट जारी रखे हुए हैं. इनके ख‍िलाफ फर्ट‍िलाइजर कंट्रोल ऑर्डर के तहत कार्रवाई करते हुए लाइसेंस रद्द किए जाएं ताकि क‍िसानों को राहत म‍िल सके. 

कंपन‍ियों के ल‍िए मंत्रालय के आदेश

अब आते हैं रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उस आदेश पर ज‍िसका क‍िसान संगठन ज‍िक्र कर रहा है. यह सच है क‍ि मंत्रालय ने प‍िछले साल जारी एक आदेश में ऐसी गत‍िव‍िध‍ियों को रोकने के ल‍िए सख्त ह‍िदायत दी थी. ज‍िसमें कहा गया था क‍ि "विभाग के संज्ञान में आया है कि उर्वरक कंपनियां किसानों को उर्वरक बेचते समय उर्वरक के साथ अन्य उत्पादों का टैग लगा रही हैं. कंपन‍ियों की ओर से इस तरह की प्रथाओं में शामिल होना उचित नहीं है. इस तरह की गतिविधियों में शामिल होना गैरकानूनी है, क्योंकि इससे उर्वरक की लागत बढ़ जाती है.

यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि कृषि के लिए उर्वरक पर अत्यधिक सब्सिडी दी जाती है ताक‍ि किसानों को लाभ हो. इसके विपरीत, टैगिंग से लागत बढ़ जाती है. इस संबंध में सलाह दी जाती है कि इस तरह की गत‍िव‍िध‍ियों को तुरंत रोका जाना चाहिए. यदि टैगिंग से संबंधित कोई मामला विभाग के संज्ञान में आता है तो संबंधित कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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