खाद के नियमों में ढील देने की मांग, ECA के दायरे से बाहर करे सरकार

खाद के नियमों में ढील देने की मांग, ECA के दायरे से बाहर करे सरकार

आईएमएमए के अध्यक्ष राहुल मीरचंदानी ने कहा कि सब्सिडी का दर्जा अपराधीकरण का मानदंड नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि छोटे और बड़े उल्लंघनों को अलग-अलग किया जाए और उनके लिए भुगतान के प्रावधान लागू किए जाएं. 

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भारतीय सूक्ष्म-उर्वरक निर्माता संघ (आईएमएमए) ने गैर-सब्सिडी वाले उर्वरकों के उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का आह्वान किया है. इसने प्रस्ताव दिया है कि गैर-सब्सिडी वाले खादों को आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) से हटा देना चाहिए, क्योंकि देश में अब खादों या खाद्यान्नों की कोई कमी नहीं है. नई दिल्ली में आईएमएमए द्वारा आयोजित बिजनेस-टू-गवर्नमेंट (बी2जी) गोलमेज सम्मेलन में प्रतिभागियों ने कहा कि ECA ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है और इसके अपराध वाले प्रावधान अब उद्योग में नए व्यापारियों के लिए बाधा बन रहे हैं.

अपराधीकरण नहीं हो सब्सिडी का दर्जा 

आईएमएमए के अध्यक्ष राहुल मीरचंदानी ने कहा कि सब्सिडी का दर्जा अपराधीकरण का मानदंड नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि छोटे और बड़े उल्लंघनों को अलग-अलग किया जाए और उनके लिए भुगतान के प्रावधान लागू किए जाएं. संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी इस पर सहमत थे और उन्होंने ईसीए के अंतर्गत आईएमएमए के कानूनी प्रस्तावों को शामिल करने के लिए अंतर-मंत्रालयी परामर्श के लिए अपनी तत्परता दिखाई. 

मीरचंदानी ने कहा कि सरकारी सहायता के कारण सब्सिडी वाले खाद अधिनियम के तहत जारी रह सकते हैं, लेकिन गैर-सब्सिडी वाले उत्पादों पर बाज़ार-संचालित नियम लागू होने चाहिए. एसोसिएशन ने राज्य-अधिसूचित उर्वरक ग्रेडों को तत्काल अपडेट करने का आह्वान किया. इसने राज्य-विशिष्ट फ़ॉर्मूलेशन बनाने के लिए ओपनसोर्स मिट्टी के स्वास्थ्य डेटा का लाभ उठाने पर ज़ोर दिया.

खाद के नियमों में ढील देने की मांग

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन विभाग के उप महानिदेशक, ए.के. नायक ने कहा कि स्थायी और सबसे उपयुक्त मिट्टी के स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए पोषक तत्वों के फॉर्मूलेशन की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि उर्वरक नियंत्रण आदेश अनुसूची में शामिल करने के लिए केवल सच्ची लेबलिंग पर निर्भर रहने के बजाय, प्रभावकारिता डेटा का समर्थन किया जाना चाहिए.

सम्मेलन में जैव-उत्तेजक विनियमन, विशेष रूप से 16 जून के मानदंडों के लागू होने के बाद इस पर चिंता व्यक्त की गई. उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने संक्रमणकालीन अंतरालों की ओर इशारा किया और तत्काल उपाय करने की मांग की. केंद्रीय उर्वरक क्वालिटी नियंत्रण और प्रशिक्षण संस्थान, फरीदाबाद के निदेशक श्याम बाबू ने इस चुनौती को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि प्रयोगशालाओं और रसायनज्ञों के निरंतर प्रशिक्षण से तैयारी की कमी कम होगी. उन्होंने ऑन-साइट सत्यापन के लिए गुणात्मक परीक्षण किटों के सह-विकास में सहयोग का वादा किया. 

कृषि-व्यापारियों के बीच बढ़ेगा विश्वास 

उद्योग ने 16 जून से पहले के स्टॉक की बिक्री की अनुमति देने और राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं को राज्यों में प्रयोगशालाएं पूरी तरह तैयार होने तक अस्थायी मंज़ूरी देने की सिफ़ारिश की. आईसीएआर-पूसा के मिट्टी विज्ञान प्रमुख देबाशीष मंडल ने कहा कि इससे किसानों और कृषि-व्यापारियों के बीच विश्वास काफ़ी बढ़ेगा. गोलमेज सम्मेलन में “एक राष्ट्र, एक लाइसेंस” ढांचे के अंतर्गत एकीकृत डिजिटल लाइसेंसिंग तंत्र का आह्वान किया गया. 

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