गाय के मूत्र और गोबर से बनाएं जैविक खाद, बढ़ेगा उत्पादन 

गाय के मूत्र और गोबर से बनाएं जैविक खाद, बढ़ेगा उत्पादन 

जैविक खाद बनाने के लिए पांच चीजों की जरूरत होती है. इनमें गाय का मूत्र, गाय का गोबर, बेसन, गुड़ और खेत के मेड़ की मिट्टी ली जाती है. अगर 10-10 किलो गाय का मूत्र और गोबर लिया है तो उसमें एक किलो बेसन और एक किलो मिलाया जाता है.

Advertisement
गाय के मूत्र और गोबर से बनाएं जैविक खाद, बढ़ेगा उत्पादन मंजरी फाउंडेशन कैंपस में जैविक खाद के लिए सामग्री से भरे ड्रम

बीते चार-पांच दशकों में देश में खेती के लिए खाद के रूप में रासायनिक खादों को चलन काफी बढ़ा है. इससे फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन साथ ही कई तरह के दुष्प्रभाव भी अब सामने आ रहे हैं. खुद सरकारें भी ऑर्गेनिक फार्मिंग पर जोर देने लगी है. साथ ही कई किसान अब वापस जैविक खाद पर लौट रहे हैं. किसानों का मानना है कि इससे खेतों की उर्वरकता बढ़ रही है. साथ ही फसल में शुद्धता भी बढ़ रही है. खेतों के अलावा जैविक खाद बनाने और फिर इसे बेचने का बिजनेस भी एक बड़े मार्केट के रूप में उभरा है. इस खबर में हम आपको जैविक खाद के बनने की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे.

इसके लिए किसान तक ने राजस्थान के सबसे पूर्वी जिले धौलपुर के सरमथुरा कस्बे का रुख किया. सदियों तक डकैतों से प्रभावित रहे इस क्षेत्र में अब बदलाव की तस्वीरें दिखने लगी हैं. कस्बे के बाहरी इलाके में एक गैर सरकारी संस्था मंजरी फाउंडेशन का कैंपस है. यहां जैविक खाद बनाया जाता है. 

क्या होता है जैविक खाद?

किसी भी तरह के जानवर और वनस्पतियों से मिलने वाली खाद को ही जैविक खाद कहा जाता है. किसान खेती के साथ-साथ पशु भी पालते हैं. इन पशुओं के मूत्र, गोबर, बचा हुआ चारा, घास, पेड़-पौधों की पत्तियों से जैविक खाद तैयार की जा सकती है. इसे फसलों में इस्तेमाल करने से उत्पादन भी बढ़ता है. साथ ही भूमि अगले साल भी अच्छी फसल देने के लिए तैयार हो जाती है. 

ये भी पढ़ें- राजस्थान में क‍िसानों की राह आसान बना रहे कस्टम हायरिंग सेंटर, क‍िराए पर म‍िल रही एग्री मशीनें

कम लागत में बनता है जैविक खाद

फाउंडेशन में प्रोजेक्ट एसोसिएट पद पर काम करने वाले राजेश कुमार से किसान तक ने बात की. वे बताते हैं कि हमने इस क्षेत्र में जैविक खाद बनाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया है. वे बताते हैं कि जैविक खाद को बनाने में लागत बेहद कम आती है. यूरिया और डीएपी उर्वरक कम से कम दो से ढाई हजार रुपए तक पड़ते हैं. जबकि जैविक खाद में मुश्किल से 200-250 रुपए का खर्च आता है. 

ये भी पढ़ें- Photos: राजस्थान में सर्दी का स‍ितम, पत्ति‍यों पर जम गया पाला, 1.4 डि‍ग्री पहुंचा पारा

पांच चीजों को मिलाकर बनता है 'जीवामृत'

राजेश बताते हैं कि जैविक खाद बनाने के लिए पांच चीजों की जरूरत होती है. इनमें गाय का मूत्र, गाय का गोबर, बेसन, गुड़ और खेत के मेड़ की मिट्टी ली जाती है. अगर 10-10 किलो गाय का मूत्र और गोबर लिया है तो उसमें एक किलो बेसन और एक किलो मिलाया जाता है. इसके बाद इस मिश्रण को किसी छायादार जगह पर रख दिया जाता है और हर रोज एक बड़े डंडे से उसे मिलाया जाता है. छायादार जगह पर रखने के सात दिन बाद जैविक खाद बनकर तैयार हो जाता है. जिसका नाम जीवामृत रखा गया है.
राजेश बताते हैं कि सात दिन बाद इस जैविक खाद को पांच-पांच लीटर की कैन में भरकर किसानों को वितरित कर दी जाती हैं. साथ ही उन्हें जैविक खाद बनाने की विधि भी समझाई जाती है. 

POST A COMMENT