पंजाब सरकार ने इस साल जून में बासमती चावल (Basmati Rice) के लिए खतरनाक माने जाने वाले कीटनाशकों पर बैन (Pesticide Ban) लगाने का ऐलान किया था. लेकिन अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने उसे झटका देते हुए उसके आदेश पर स्टे लगा दिया है. सरकार के बैन के खिलाफ पेस्टिसाइड बनाने वाली कंपनियों के संगठन क्रॉप लाइफ इंडिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और अब कोर्ट ने उस पर ही स्टे का आदेश दिया है. राज्य के कृषि विभाग की तरफ से लगाया गया बैन 1 अगस्त से लागू होकर अगले 60 दिन यानी दो महीने तक के लिए लागू था. यही वह समय होता है जब बासमती के धान पर फूल आते हैं.
इस स्टे पर पंजाब बासमती एक्सपोर्टर्स ने राज्य सरकार से नाराजगी जाहिर की है कि उसने अपना पक्ष कोर्ट में नहीं रखा वरना कोर्ट स्टे नहीं देती. बासमती एक्सपोर्टर एसोसिएशन अब इस स्टे के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है. पंजाब सरकार की तरफ से एक आदेश जारी कर 11 तरह के कीटनाशकों का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया था.
जिन कीटनाशकों को बैन किया गया था उनमें एसेफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरपाइरीफोस, प्रोपिकोनाज़ोल, थियामेथोक्सम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड, कार्बेन्डाजिम, ट्राइसाइक्लाजोल, टेबूकोनाजोल और कार्बोफ्यूरॉन नामक कीटनाशक शामिल हैं. सराकर ने उस समय एक स्टे जारी कर इस बैन को अगस्त से लागू करने की बात कही थी.
राज्य सरकार ने जो नोटिफिकेशन बैन को लेकर जो तर्क दिया था उसके अनुसार इन कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और उपयोग बासमती चावल उत्पादकों के हित में नहीं है. सरकार का कहना था कि इन कृषि-रसायनों के उपयोग के कारण बासमती चावल के दानों में अवशिष्ट स्तर (एमआरएल) से तय मानक ये ज्यादा है. उसका कहना था कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना ने पंजाब राज्य में बासमती चावल के कीटों को नियंत्रित करने के लिए वैकल्पिक कृषि रसायनों की सिफारिश की है.
वहीं सरकार ने पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का हवाला देते हुए कहा था कि उनके परीक्षण में भी कई नमूनों में इन कीटनाशकों का अवशेष मान बासमती चावल के एमआरएल मान से काफी ज्यादा है. सरकार की मानें तो एसोसिएशन ने पंजाब की विरासत बासमती उपज को बचाने और अन्य देशों को बासमती चावल के परेशानी मुक्त निर्यात को सुनिश्चित करने के लिए इन कृषि रसायनों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था. उसका कहना था कि पंजाब राज्य में बासमती फसल पर ये कीटनाशक निर्यात और बासमती चावल की खपत में संभावित बाधा हैं.
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