हरियाणा के बल्लभगढ़ में खाद को लेकर किसानों में नाराजगी देखने को मिल रही है. दरअसल खाद वितरण केंद्र के बाहर बुधवार को किसानों ने डीएपी उर्वरकों के आवंटन में देरी के खिलाफ प्रदर्शन किया. किसानों के हंगामा करने के बाद इस मामले में पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा. प्रदर्शन कर रहे एक किसान किशन ने कहा कि वो सुबह 05 बजे से दुकान के बाहर कतार में इंतजार कर रहे हैं और दोपहर 01 बजे तक उन्हें DAP खाद नहीं मिली.
उन्होंने आरोप लगाया कि डीएपी वितरित करने के लिए अधिकृत एजेंसी पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर खाद उपलब्ध कराने में नाकाम रही, जिससे किसानों में रोष फैल गया. वहीं किसान अपनी बारी का घंटों तक इंतजार करते रहे.
किशन ने 'दि ट्रिब्यून' को कहा कि अगर किसानों को समय पर डीएपी और यूरिया उर्वरक नहीं मिलेगा, तो इससे गेहूं और सरसों जैसी रबी फसल जिसकी जल्द ही बुवाई होनी है, उसमें देरी होगी. वहीं बिना डीएपी के फसलों से अच्छे उत्पादन मिलने की संभावना खत्म हो जाएगी. दि ट्रीब्यून इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों के नेतृत्व में किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिले में डीएपी और यूरिया उर्वरकों के वितरण या उपलब्धता में बाधाओं को दूर करने के लिए पलवल एसडीएम को एक ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने कहा है कि किसानों को रबी फसल की बुवाई तक डीएपी उपलब्ध करवाई जाए.
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किसान नेता महेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि यदि पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध नहीं कराया गया, तो किसान इसको लेकर एक नवंबर से आंदोलन शुरू करने को मजबूर हो जाएंगे. हालांकि कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि डीएपी या किसी अन्य उर्वरक की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि किसान किसी भी समस्या के मामले में कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं. सरकारी खाद वितरण केंद्रों का कहना है कि अभी अचानक खाद की मांग बढ़ी है, इसलिए किसानों में अफरा-तफरी का माहौल है. समय के साथ यह परेशानी दूर हो जाएगी क्योंकि खाद की सप्लाई दुरुस्त हो जाएगी.
किसान खरीफ की अपेक्षा रबी के सीजन में खाद का अधिक इस्तेमाल करते है. खासतौर पर गेहूं और मटर की फसल में. दरअसल गेहूं की फसल की सिंचाई चार से पांच बार होती है. इसमें उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा चना, मटर, सरसों आदि फसलों के लिए भी उर्वरक की डिमांड काफी रहती है. वहीं किसानों को डिमांड के मुकाबले यूरिया खाद समय पर न मिलने से किसानों में नाराजगी देखी जा रही है. किसानों का मानना है कि DAP खाद के इस्तेमाल से उनकी उपज में बढ़ोतरी होती है. वहीं हरियाणा के किसान समय पर खाद न मिलने से परेशान हैं.
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