Turmeric variety : हल्दी की इस किस्म की खेती करने वाले किसान हो रहे हैं मालामाल, जानें इसकी खासियत

Turmeric variety : हल्दी की इस किस्म की खेती करने वाले किसान हो रहे हैं मालामाल, जानें इसकी खासियत

आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा विकसित ऐसी ही एक किस्म है एनडीएच-98 जो देश के सभी तरह की जलवायु के लिए उपयुक्त है. हल्दी की इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 350 कुंतल से ज्यादा की पैदावार मिलती है. वही यह किस्म गुणवत्ता के मामलों में दूसरी किस्म से बेहतर है.

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Turmeric variety : हल्दी की इस किस्म की खेती करने वाले किसान हो रहे हैं मालामाल, जानें इसकी खासियतहल्दी की एनडीएच-98 किस्म

हल्दी का प्रयोग हर घर में मसाला के रूप में रोजाना होता है. इसके साथ हल्दी को कई आयुर्वेदिक औषधियां के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. हल्दी की खेती करने वाले किसान ऐसी किस्म को उगाना चाहते हैं जिसमें फायदा ज्यादा हो. आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा विकसित ऐसी ही एक किस्म है एनडीएच-98 जो देश के सभी तरह की जलवायु के लिए उपयुक्त है. हल्दी की इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 350 कुंतल से ज्यादा की पैदावार मिलती है. वही यह किस्म गुणवत्ता के मामलों में दूसरी किस्म से बेहतर है. इस किस्म में करक्यूमिन 5% पाया जाता है. वही यह किस्म लीफ ब्लास्ट और लीफ स्पॉट रोग के प्रति रोधी है. हल्दी की इस प्रजाति की खेती करने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर अच्छा मुनाफा होता है जिससे उनकी आय भी बढ़ रही है.

 एनडीएच- 98 किस्म की खासियत

आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय मसाला परियोजना के अंतर्गत हल्दी की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां के मुख्य अन्वेषक डॉ प्रदीप कुमार ने  किसान तक को बताया कि अप्रैल से लेकर जून तक इसकी बुवाई की जाती है. वही हल्दी की एनडीएच-98 किस्म की अवधी 240 दिन है. इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है. जमीन को अच्छी तरीके से तैयार करने के बाद 5 से 7 मीटर लंबी और दो से तीन मीटर चौड़ी क्यारियां बनाकर तीन 30 से 45 सेंटीमीटर की कतार पर 20 से 25 सेमी पौधे से पौधे की दूरी रखते हुए बुवाई करनी चाहिए. यह वैरायटी दूसरी किस्म के मुकाबले ज्यादा बेहतर है. किसान बसंत पटेल ने बताया कि 2 सालों से उसे हल्दी की इस वैरायटी की खेती कर रहे हैं. इस किस्म से उन्हें भरपूर उत्पादन मिल रहा है.

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औषधिय गुण से भरपूर है यह किस्म

हल्दी की एनडीएच-98 किस्म औषधिय गुण से भरपूर है. इस किस्म का उपयोग सुगंधित और तेलीय रूप से भी किया जा रहा  है. डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया इस किस्म में क्यूमिन के साथ-साथ ओलियोरेजिन भी भरपूर मात्रा में है जिसके चलते इसके औषधिय फायदे बढ़ जाते हैं. इस किस्म की खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है जिससे उनकी आय में इजाफा हुआ है.

किसानों को भाने लगी हल्दी की खेती

उत्तर प्रदेश में किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर हल्दी की खेती की तरह उनका रुझान बढ़ा है. एक एकड़ हल्दी की खेती के लिए 20 से 25000 रुपए की लागत आती है. वही इस खेती में फायदा ज्यादा होने के चलते किसान एनडीएच-98 किस्म को अपने खेतों में खूब लगा रहे हैं. 

ऐसी होती है हल्दी की खेती

डॉ प्रदीप कुमार ने बताया की हल्दी की बुवाई अप्रैल के दूसरे पखवाड़े से लेकर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक होती है. हल्दी के लिए बलूई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. यदि जमीन का पीएच 8 से 9 भी है तब भी उसमें हल्दी की खेती हो जाती है. हल्दी की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल बीज लगती है. वहीं प्रति हेक्टेयर 300 से 400 क्विंटल तक  पैदावार होती है. हल्दी की खेती में एक पेड़ से दूसरे पेड़ की दूरी 20 से 35 सेंटीमीटर की तक होनी चाहिए. बुवाई के समय हल्दी के लिए प्रति हेक्टेयर 120 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस, 80 किलोग्राम पोटाश और इतनी ही मात्रा साड़ी गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए.

 

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